शिक्षा नीति के मसौदे से हिंदी के प्रावधान को हटाना दिखाता है कि कलैनार अभी जीवित हैं: स्टालिन

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अपनी पार्टी के पदाधिकारियों, सांसदों और विधायकों की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ऐसे समय में जब हम थलैवर (नेता) कलैनार (दिवंगत करुणानिधि) की जयंती मना रहे हैं, केंद्र सरकार द्वारा हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने संबंधी प्रावधान को वापस लिए जाने से पता चलता है कि कलैनार अभी जीवित हैं।’’

चेन्नई। देश की नई शिक्षा नीति के मसौदे से अनिवार्य हिंदी शिक्षण के विवादास्पद प्रावधान को हटाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए द्रमुक ने सोमवार को कहा कि इससे पता चलता है कि पार्टी संरक्षक दिवंगत एम करुणानिधि ‘‘जिंदा’’ हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक पैनल ने गैर-हिंदी भाषी प्रदेशों में हिंदी पढ़ाये जाने की सिफारिश की थी, जिसको लेकर विवाद पैदा हो गया।इस बीच सोमवार को शिक्षा नीति का संशोधित मसौदा जारी किया गया जिसमें हिंदी को अनिवार्य बनाये जाने का कोई उल्लेख नहीं है। 

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अपनी पार्टी के पदाधिकारियों, सांसदों और विधायकों की बैठक की अध्यक्षता करने के बाद द्रमुक अध्यक्ष एम के स्टालिन ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘ऐसे समय में जब हम थलैवर (नेता) कलैनार (दिवंगत करुणानिधि) की जयंती मना रहे हैं, केंद्र सरकार द्वारा हिंदी को अनिवार्य विषय बनाने संबंधी प्रावधान को वापस लिए जाने से पता चलता है कि कलैनार अभी जीवित हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आइए, हम हिंदी को जबरन थोपने का विरोध कर हमेशा अपनी मातृभाषा तमिल की रक्षा करें।’’ गौरतलब है कि द्रमुक आज करुणानिधि की 95वीं जयंती मना रही है। उनका पिछले साल अगस्त में निधन हो गया था।

 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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