आतंकी कसाब के प्रशंसक रहे IPS अधिकारी को कमलनाथ सरकार ने बनाया SIT प्रमुख

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दिनेश शुक्ल । Oct 5 2019 6:03PM

एसआईटी के प्रमुख राजेन्द्र कुमार वही पुलिस अधिकारी हैं जिन्होंने मुम्बई आतंकी हमले में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल अमिर कसाब की प्रशंसा की थी।

भोपाल। मध्यप्रदेश में कथित हनीट्रैप ब्लैकमेलिंग कांड की जांच करने के लिए बनाई गई एसआईटी को बार-बार बदले जाने को लेकर हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने राज्य शासन को नोटिस जारी किया और गृह विभाग के सचिव से पूछा कि कथित हनीट्रैप ब्लैकमेंलिग कांड में विशेष जांच दल (SIT) के प्रमुख और सदस्यों को 10 से 11 दिन के भीतर क्यों बदला जा रहा है? इसके पीछे क्या ठोस वजह है? उसे कोर्ट में पेश किया जाए। जिसके लिए हाईकोर्ट ने 21 अक्टूबर की तारीख तय की है। इस दिन गृह विभाग को अपना पक्ष कोर्ट में रखना होगा। हाईकोर्ट ने यह नोटिस एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान दिया है।

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दरअसल, कथित हनीट्रैप मामले की जद में कई नेता, मंत्री, पूर्व सरकार के मंत्री, आईएएस और आईपीएस अधिकारी समेत कई प्रतिष्ठित लोग हैं। जिनके साथ अंतरंग पलों की वीडियो क्लिप आरोपी महिलाओं ने बनाई और फिर उनसे ब्लैकमेंलिंग कर भारी रकम के अलावा एनजीओ के काम और सरकारी ठेके हासिल किए। इंदौर नगर निगम इंजीनियर हरभजन सिंह की शिकायत पर इस पूरे मामले का खुलासा हुआ। जिसके बाद पांच महिलाओं सहित दो लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया था। जिनसे पूछताछ में कई अहम तथ्य सामने आए हैं। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए कमलनाथ सरकार के निर्देश पर प्रदेश के पुलिस मुखिया बी.के.सिंह ने 23 सितंबर को एसआईटी का गठन किया था। जिसके अध्यक्ष के रूप में आईजी सीआईडी डी. श्रीनिवास वर्मा को बनाया गया था। जिनकी टीम में इंदौर की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रूचि वर्धन मिश्रा सहित 8 अफसर शामिल थे, लेकिन 24 घंटे के भीतर ही एसआईटी चीफ बदल दिया गया। 24 तारीख को नए एसआईटी चीफ एडीजी इंटेलीजेंस संजीव शमी को एसआईटी का जिम्मा सौंपा गया। 

जांच पटरी पर आ ही रही थी कि सीएम कमलनाथ ने मुख्य सचिव, डीजीपी और एसआईटी प्रमुख के साथ इस पूरे मामले को लेकर मीटिंग की। जिसके दूसरे दिन 01 अक्टूबर को कई पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण के साथ ही एसआईटी प्रमुख भी बदल दिया गया। जारी आदेश में विशेष पुलिस महानिदेशक सायबर क्राइम राजेन्द्र कुमार को इसकी कमान सौंपी गई। उनके साथ दो सदस्यों के रूप में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मिलिंद कानस्कर और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रूचि वर्धन मिश्रा को इस टीम में रखा गया। एसआईटी के प्रमुख राजेन्द्र कुमार वही पुलिस अधिकारी हैं जिन्होंने मुम्बई आतंकी हमले में पकड़े गए पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल अमिर कसाब की प्रशंसा की थी।

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राजेन्द्र कुमार ने साल 2010 में एसएएफ प्रशिक्षण शिविर में पुलिस जवानों को पाकिस्तानी आतंकी अजमल आमिर कसाब से सीख लेने की बात कही थी। साथ ही राजेन्द्र कुमार ने पुलिस जवानों को जूनून के साथ काम करने के लिए आतंकी कसाब का उदाहरण दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर आप अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं तो आप कुछ भी कर सकते हैं...जिसका उदाहरण पाकिस्तानी आतंकवादी अजमल कसाब है। उसने कक्षा आठ तक पढ़ाई की थी और उसके पास सिर्फ एक साल का प्रशिक्षण था। इसके साथ ही वह हथियारों और गैजेट्स और जीपीएस उपकरणों को संचालित कर सकता था। क्योंकि उसमें जुनून था और उसने बहुत अच्छा प्रशिक्षण लिया था।

जिसके बाद सरकार ने संज्ञान लेते हुए उनका तबादला पुलिस मुख्यालय भोपाल कर दिया गया था। हालांकि बाद में राजेन्द्र कुमार ने सफाई देते हुए कहा था कि 26/11 को मुम्बई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनल में लोगों की हत्या करने वाला आतंकवादी का उदाहरण देने का मकसद सिर्फ जवनों को शूटिंग के क्षेत्र में प्रेरित करना था, ताकि वे आतंकियों को मुंहतोड़ जवाब दे सकें।

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यहां एक बात गौर करने वाली है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को प्रधानमंत्री जी कहकर संबोधन देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को लोग ट्रोल करते हुए उन पर आपत्ति लेते हैं, तो दूसरी ओर कथित हनीट्रैप ब्लैकमेंलिंग कांड की जांच करने वाली एसआईटी के प्रमुख राजेन्द्र कुमार को लेकर लोग चुप्पी साधे हुए हैं। अगर समाज में ऐसे उदाहरण दिए जाएंगे तो समाज किस दिशा की तरफ बढ़ेगा। आप सभी इस बात को भलीभांति समझते हैं कि अजमल आमिर कसाब ने कई बेगुनाहों की हत्या कर दी थी। भले ही इस मामले को प्रदेश की कमलनाथ सरकार और विपक्षी दल गंभीरता से न लेते हों लेकिन एक राजनीतिक व्यक्ति और एक प्रशासनिक अधिकारी के विचारों पर उनका दोहरा रवैया कहीं से भी उचित नहीं जान पड़ता।

वहीं अपनी ईमानदारी, कर्तव्य निष्ठा के लिए एक अलग पहचान रखने वाले आईपीएस अधिकारी संजीव शमी को विशेष जाँच दल से हटाने और पाकिस्तानी आतंकी अजमल आमिर कसाब के प्रशंसक रहे राजेन्द्र कुमार को एसआईटी का जिम्मा सौंपे जाने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। जिससे पार पाना कमलनाथ सरकार को आने वाले दिनों में भारी पड़ सकता है।

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