Kartarpur Sahib Corridor | करतारपुर साहिब कॉरिडोर तीर्थयात्रियों के लिए फिर से खुला, यात्रा से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी पढ़ें

Kartarpur Sahib
रेनू तिवारी । Nov 17 2021 1:23PM

सरकार ने करतारपुर साहिब गलियारा को बुधवार से दोबारा खोलने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को इसकी घोषणा की। करतारपुर गलियारा सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के अंतिम विश्राम स्थल गुरुद्वारा दरबार साहिब, पाकिस्तान को पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ता है।

सरकार ने करतारपुर साहिब गलियारा को बुधवार से दोबारा खोलने का फैसला किया है। केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को इसकी घोषणा की। करतारपुर गलियारा सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव के अंतिम विश्राम स्थल गुरुद्वारा दरबार साहिब, पाकिस्तान को पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ता है। शाह ने कहा कि यह फैसला गुरु नानक देव जी और सिख समुदाय के प्रति मोदी सरकार की अपार श्रद्धा को दर्शाता है। उन्होंने ट्वीट किया, “एक बड़ा फैसला जो लाखों सिख श्रद्धालुओं को लाभ पहुंचाएगा, नरेंद्र मोदी सरकार ने कल, 17 नवंबर से करतारपुर साहिब गलियारा को फिर से खोलने का निर्णय किया है।” गृह मंत्री ने कहा, “यह फैसला गुरु नानक देव जी और सिख समुदाय के प्रति मोदी सरकार की अपार श्रद्धा को दर्शाता है।” गृह मंत्री ने कहा कि राष्ट्र 19 नवंबर को श्री गरु नानक देव जी का प्रकाश उत्सव मनाने की तैयारी कर रहा है और उन्हें विश्वास है कि यह कदम “देश भर में खुशी और उत्साह को और बढ़ा देगा।

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करतारपुर कॉरिडोर क्या है?

करतारपुर कॉरिडोर एक वीजा-मुक्त सीमा है जो भारतीय सीमा को पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब से जोड़ता है। 4.7 किलोमीटर लंबे इस मार्ग में भारत के श्रद्धालु बिना वीजा के गुरुद्वारा के दर्शन कर सकते हैं। सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव 16 वीं शताब्दी की शुरुआत में इस गुरुद्वारे में रहते थे और उनकी मृत्यु हो गई थी।

विचार कब प्रस्तावित किया गया था?

1999 में भारत और पाकिस्तानी सरकारों ने नई दिल्ली-लाहौर बस कूटनीति के एक हिस्से के रूप में करतारपुर कॉरिडोर के विचार का प्रस्ताव रखा। 2018 में भारत की ओर से 26 नवंबर को कॉरिडोर की आधारशिला रखी गई थी और 28 नवंबर को पाकिस्तान की तरफ से पत्थर रखा गया था।

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कॉरिडोर का उद्घाटन कब किया गया था?

पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने नवंबर 2019 में एक समारोह में गुरु नानक की 550 वीं जयंती के उपलक्ष्य में करतारपुर गलियारे का उद्घाटन किया, जिससे भारतीय सिख तीर्थयात्रियों को बिना वीजा के पाकिस्तान में अपने धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक की यात्रा करने का मार्ग प्रशस्त हुआ। .

उद्घाटन के बाद से कितने तीर्थयात्री गलियारे का दौरा कर चुके हैं?

पिछले साल हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में इसके उद्घाटन से लेकर 8 मार्च तक 59,000 से अधिक तीर्थयात्रियों ने करतारपुर में गुरुद्वारा दरबार साहिब का दौरा किया। विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कहा था कि उसे उम्मीद है कि पाकिस्तान इस महीने गुरुपरब के अवसर पर 1,500 तीर्थयात्रियों के एक समूह की यात्रा की अनुमति देगा।

कैसे पंजीकृत करें?

केंद्र एक ऑनलाइन पोर्टल (prakashpurb550.mha.gov.in) लेकर आया है जिसके माध्यम से तीर्थयात्री अपना पंजीकरण करा सकते हैं और अपनी यात्रा की तारीख चुन सकते हैं। उन्हें यात्रा की तारीख से तीन या चार दिन पहले पंजीकरण की एक एसएमएस और ईमेल पुष्टि प्राप्त होगी। एक इलेक्ट्रॉनिक यात्रा प्राधिकरण भी तैयार किया जाएगा।

करतारपुर गलियारा खोलने का पाकिस्तान ने किया स्वागत

पाकिस्तान में सिखों की शीर्ष संस्था एवेक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) ने करतारपुर गलियारा फिर से खोलने के भारत सरकार के फैसले का मंगलवार को स्वागत किया और कहा कि इससे भारतीय सिखों को गुरुद्वारा दरबार साहिब की निर्बाध यात्रा करने में मदद मिलेगी। भारत ने बुधवार से करतारपुर गलियारा फिरसे खोलने की मंगलवार को घोषणा की। यह गलियारा, पाकिस्ता स्थित दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर जिले में डेरा बाबा नानक गुरुद्वारा से जोड़ता है। 

सिख धर्म के लिए अतुलनीय महत्व रखता है करतारपुर गलियारा

दरबार साहिब में ही सिख धर्म के संस्थापक गुरुनानक देव ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताये थे। कोविड-19 महामारी के चलते मार्च 2020 से स्थगित तीर्थयात्रा को फिर से शुरू करने की घोषणा शुक्रवार को मनाई जाने वाली गुरुनानक जयंती से तीन दिन पहले की गई। पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी प्रधान सरदार अमीर सिंह ने कहा, ‘‘हम भारत सरकार के फैसले का स्वागत करते हैं, जो काफी पहले ले लिया जाना चाहिए था। यह फैसला भारत के पंजाब से सिखों को उस स्थान की यात्रा करने का अवसर प्रदान करेगा जहां बाबा नानक ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताये थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘पाकिस्तान में पवित्र स्थलों पर आना सिखों का मूल अधिकार है।’’ उन्होंने कहा कि गलियारे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।

सिंह ने कहा, ‘‘यहां से प्रेम और सौहार्द्र का एक संदेश जाना चाहिए। इससे तनाव घटाने और आने वाले दिनों में दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर करने में मदद मिलेगी।’’ सिंह ने कहा कि पाकिस्तानी सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति गुरु नानक जयंती के सिलसिले में बुधवार को यहां करीब 3,000 सिखों की मेजबानी करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत से इतनी ही संख्या में श्रद्धालुओं का गलियारे से आना सुगम कर सकते हैं।’’ उन्होंने कहा कि गलियारा एक दिनों दोनों देशों के लोगों को करीब ले आएगा। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों की देखरेख करने वाले ईटीबीपी ने भी गलियारा फिर से खोले जाने का स्वागत किया। इसके प्रवक्ता अमीर हाशमी ने कहा कि भारत से वाघा सीमा होते हुए बुधवार को करीब 3,000 सिख पाकिस्तान आएंगे। उन्होंने कहा कि मुख्य कार्यक्रम 18 नवंबर को गुरुद्वारा जन्मस्थान ननकाना साहिब में होगा।

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