केजरीवाल सरकार की सम-विषम योजना को कोर्ट में चुनौती, शुक्रवार को होगी सुनवाई

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[email protected] । Nov 7 2019 5:43PM

यह याचिका नोएडा निवासी एक अधिवक्ता ने दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस योजना के बारे में दिल्ली सरकार की एक नवंबर की अधिसूचना से मौलिक अधिकारों का हनन होता है।

नयी दिल्ली। दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार की ‘सम-विषम’ योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर उच्चतम न्यायालय शुक्रवार को सुनवाई करेगा। याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह योजना मनमानी और कानूनी प्रावधानों के विपरीत है तथा ‘राजनीतिक और वोट बैंक के हथकंडे’ के अलावा यह कुछ नहीं है।

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यह याचिका नोएडा निवासी एक अधिवक्ता ने दायर की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इस योजना के बारे में दिल्ली सरकार की एक नवंबर की अधिसूचना से मौलिक अधिकारों का हनन होता है। याचिका में कहा गया है कि सम-विषम वाहन योजना दिल्ली और पड़ोसी राज्यों के निवासियों के मौलिक अधिकारों का हनन करती है। याचिका में कहा गया है कि पड़ोसी राज्यों से रोजना हजारों लोग नौकरी और कारोबार के सिलसिले में अपने वाहनों से दिल्ली आते हैं और लौटते हैं, ऐसी स्थिति में इस योजना से संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(जी) के प्रावधान का हनन होता है।  याचिका में कहा गया है कि सम-विषम योजना नागिरकों के अपना व्यवसाय करने, व्यापार और कारोबार करने तथा बगैर किसी बाधा के देश में कहीं भी जाने के मौलिक अधिकार का हनन करती है। सम-विषम योजना के बारे में दिये गये तर्कों पर सवाल उठाते हुये याचिका में कहा गया है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता के बारे में केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड सहित तीन स्रोतों के आंकड़ों ने पुष्टि की है कि पहले भी लागू की गयी इस योजना से राजधानी में प्रदूषण के स्तर में कमी नहीं आयी थी। दिल्ली सरकार की यह योजना चार नवंबर को शुरू हुयी है और यह 15 नवंबर तक प्रभावी रहेगी। इस दौरान एक दिन दिन सम संख्या और दूसरे दिन विषम संख्या वाली कारें चलेंगी। 

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याचिका में कहा गया है कि सम-विषम योजना सिर्फ चार पहिये वाले मोटर वाहनों के लिये है जबकि कारों की तुलना में अधिक प्रदूषण पैदा करने वाले दुपहिया वाहनों को इसके दायरे से बाहर रखा गया है। याचिका के अनुसार यह योजना लैंगिक आधार पर महिलाओं और पुरूषों के बीच पक्षपात करती है। इसके तहत अगर महिला कार चला रही है तो उसे सम-विषम योजना के दायरे से बाहर रखा गया है। याचिका में आरोप लगाते हुये कहा गया है कि ऐसा लगता है कि पराली जलाने वाले किसानों, राजनीतिक दलों, एयर प्योरीफायर कंपनियों तथा प्रदूषण से बचने के लिये मास्क बनाने वाली कंपनियों के बीच साठगांठ है। वरना दिल्ली सरकार को यह कैसे पता लगता है कि पराली का धुआं सम-विषम योजना की तारीखों के आसपास ही दिल्ली पहुंचेगा।  न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने चार नवंबर को ही दिल्ली सरकार की सम-विषम योजना पर सवाल उठाया था और जानना चाहा था कि दुपहिया और तिपहिया वाहनों और टैक्सियों की तुलना में कहीं कम प्रदूषण करने वाली कारों को सम-विषम योजना के तहत चलने से रोक कर उसे क्या हासिल होगा। न्यायालय ने अतीत में लागू की गयी सम-विषम योजना के तहत प्रदूषण में आयी कमी के नतीजों का विवरण पेश करने का निर्देश दिल्ली सरकार को दिया था। सम-विषम योजना के खिलाफ दायर याचिका पर न्यायालय वायु प्रदूषण से संबंधित मामलों के साथ ही सुनवाई करेगा। 

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