Kejriwal हैं दिल्ली के बिग बॉस, SC ने कहा चुनी हुई सरकार के पास असली ताकत

Kejriwal Vs LG: obeying the constitution is everybodys duty: CJI

उच्चतम न्यायालय ने आज एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि उपराज्यपाल को मंत्रिमंडल की सलाह से काम करना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि उपराज्यपाल के पास स्वतंत्र अधिकार नहीं हैं।

उच्चतम न्यायालय ने आज एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि उपराज्यपाल को मंत्रिमंडल की सलाह से काम करना चाहिए। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि उपराज्यपाल के पास स्वतंत्र अधिकार नहीं हैं इसलिए उन्हें मंत्रिमंडल की सलाह से काम करना चाहिए। अदालत ने यह भी साफ कर दिया कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देना मुमकिन नहीं है क्योंकि दिल्ली की स्थिति अन्य राज्यों से अलग है। अदालत ने साफ कर दिया है कि चुनी हुई सरकार से ही दिल्ली चलेगी। अदालत ने यह भी कहा कि दिल्ली में पुलिस और जमीन का अधिकार केंद्र सरकार के पास ही रहेगा।

अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इसे लोकतंत्र की जीत बताया है और कहा है कि आज का दिन ऐतिहासिक है।

उल्लेखनीय है कि न्यायालय दिल्ली के उपराज्यपाल को राष्ट्रीय राजधानी का प्रशासनिक मुखिया घोषित करने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के अगस्त 2016 के फैसले के खिलाफ अरिवन्द केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार की अपील पर महत्वपूर्ण फैसला सुना रहा था।

न्यायालय ने कहा कि राज्यों को संविधान में मिले अधिकारों के उपयोग का अधिकार है लेकिन उपराज्यपाल को फैसलों की जानकारी देनी चाहिए। अदालत ने कहा कि दिल्ली की स्थिति बाकी राज्यों से अलग है और केंद्र तथा राज्य के बीच सौहार्दपूर्ण रिश्ते होने चाहिए ताकि कार्य सुचारू रूप से चल सके। अदालत ने मुख्यमंत्री केजरीवाल को भी झटका देते हुए कहा कि राजधानी में अराजकता के लिए कोई स्थान नहीं है। गौरतलब है कि पिछले माह एक सप्ताह से ज्यादा समय तक केजरीवाल अपने मंत्रियों के साथ उपराज्यपाल कार्यालय में धरने पर बैठे रहे थे।

पीठ के सदस्य जस्टिस चंद्रचूड ने अपनी टिप्प्णी में कहा कि सरकार के रोजमर्रा के कामकाज में बाधा डालना ठीक नहीं है और बातचीत से मसले हल किये जाने चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड ने कहा कि उपराज्यपाल फैसले लटका कर नहीं रख सकते और उनका रोल राष्ट्रहित को ध्यान में रखना है। उन्होंने कहा कि संवैधानिक लड़ाई लोकतंत्र के लिए परीक्षा है और सह-अस्तित्व भारतीय संविधान की आत्मा है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि चुनी हुई सरकार के पास ही असली ताकत होती है और वही जनता के प्रति जवाबदेह है। अदालत ने साफ किया कि दिल्ली में कानून बनाना दिल्ली सरकार का अधिकार है।

बहरहाल, कुल मिलाकर पीठ के तीनों जजों की यही राय रही कि उपराज्यपाल राज्य मंत्रिमंडल की सलाह पर काम करें।

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