पर्यावरण अनुकूल चुनाव प्रक्रिया की पहल में केरल सबसे आगे: लोकसभा चुनाव 2019

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गत दस मार्च को चुनाव आचार संहिता लागू होने के साथ ही आयोग ने सभी राज्य एवं केन्द्र शासित राज्यों से ‘ग्रीन इलेक्शन’ मुहिम के तहत पर्यावरण अनुकूल चुनाव सामग्री का इस्तेमाल करते हुये राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से भी चुनाव अभियान में ग्रीन प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने की पहल की थी।

नयी दिल्ली।लोकसभा चुनाव में प्रचार अभियान सहित समूची निर्वाचन प्रक्रिया को पर्यावरण अनुकूल बनाने के लिये चुनाव आयोग की ‘ग्रीन प्रोटोकॉल’ आधारित ‘‘ग्रीन इलेक्शन’’ मुहिम के शुरुआती परिणाम दिखने लगे हैं। चुनाव आचार संहिता दस मार्च को लागू होने के बाद पहले पखवाड़े की रिपोर्ट के आधार पर केरल का प्रदर्शन सर्वश्रेष्ठ रहा है। आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि इस अभियान के तहत केरल, प्लास्टिक निर्मित फ्लेक्स और पीवीसी होर्डिंग के अलावा पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली अन्य सामग्रियों से पूरी तरह से मुक्त हो गया है। 

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गत दस मार्च को चुनाव आचार संहिता लागू होने के साथ ही आयोग ने सभी राज्य एवं केन्द्र शासित राज्यों से ‘ग्रीन इलेक्शन’ मुहिम के तहत पर्यावरण अनुकूल चुनाव सामग्री का इस्तेमाल करते हुये राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों से भी चुनाव अभियान में ग्रीन प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करने की पहल की थी।केरल में कोच्चि जिले का रिपोर्ट कार्ड इस मामले में सबसे बेहतर पाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार केरल में पर्यावरण के प्रति स्थानीय लोगों की जागरुकता और ग्रीन प्रोटोकॉल के पालन में सक्रिय भागीदारी, ग्रीन इलेक्शन मुहिम को कारगर बनाने में मददगार साबित हुयी है। 

इस मुहिम में स्थानीय सामाजिक संगठनों, स्कूल और बाजार प्रतिनिधियों के माध्यम से सभी लोकसभा क्षेत्रों में पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली प्लास्टिक निर्मित प्रचार सामग्री के इस्तेमाल से बचा गया है। इसके अलावा ध्वनि प्रदूषण से बचने के लिये उम्मीदवारों ने प्रचार में निर्धारित ध्वनि मानकों वाले सांउड सिस्टम का इस्तेमाल सुनिश्चित किया है।इसी तरह दिल्ली के सीईओ की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी में भी कागज और प्लास्टिक से बनी चुनाव प्रचार सामग्री के बजाय बिना बुने हुये कपड़े से बनी प्रचार सामग्री को बाजार में बढ़ावा दिया गया है। 

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चुनाव प्रचार सामग्री निर्माता कारोबारियों के राष्ट्रीय संगठन के महासचिव गुलशन खुराना ने बताया कि पर्यावरण अनुकूल बिना बुने कपड़े से बनी प्रचार सामग्री न सिर्फ किफायती है बल्कि इस्तेमाल के लिहाज से भी उपयोगी है। इसलिये यह राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को खूब लुभा रही है। इस कपड़े से टोपी, झंडा, बैनर और पोस्टर आदि प्रचार सामग्री कम समय में कम कीमत पर बनायी जाती है। 

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उल्लेखनीय है कि उच्चतम न्यायालय के पूर्व निर्देश पर तैयार किये गये ग्रीन प्रोटोकॉल के तहत आयोग ने ग्रीन इलेक्शन मुहिम को 17वीं लोकसभा चुनाव में देशव्यापी स्तर पर लागू किया है। सात चरणों में 11 अप्रैल से 19 मई तक होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रचार अभियान के जोर पकड़ने के साथ ही सभी राज्यों में निर्वाचन कार्यालय की ओर से पर्यावरण मानकों के पालन हेतु विशेष अभियान चलाया जा रहा है। 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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