किसान मार्च: एक मंच पर दिखे विपक्षी नेता, किसानों की अनदेखी का लगाया आरोप

kisan-march-opposition-leaders-on-one-forum-accused-of-ignoring-farmers
[email protected] । Nov 30 2018 9:04PM

समिति के नेता और स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने कहा ‘‘अब स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार अब तक की सबसे अधिक किसान विरोधी सरकार साबित हुयी है।

नयी दिल्ली। किसानों को कर्ज से मुक्ति और फसल का उचित मूल्य दिलाने के लिये कानून बनाने की मांग को लेकर दिल्ली में दो दिन से आंदोलनरत किसान संगठनों ने किसानों से पांच साल पहले किये गये वादे अभी तक अधूरे रहने का हवाला देते हुये किसान विरोधी दलों को अगले साल आम चुनाव में सबक सिखाने की बात कही है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के आह्वान पर देश भर के 207 किसान संगठनों द्वारा शुक्रवार को आयोजित संसद मार्च में जुटे सामाजिक कार्यकर्ताओं और राजनेताओं ने कर्ज मुक्ति और फसल का उचित मूल्य दिलाने की मांग का समर्थन किया। समिति के नेता और स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेन्द्र यादव ने कहा ‘‘अब स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार अब तक की सबसे अधिक किसान विरोधी सरकार साबित हुयी है।

किसान विरोधी सरकार को हराना है और जो किसान हितैषी होने का दावा कर रहे हैं उनको डराना है जिससे वे बाद में वादे से मुकर न जायें। संसद मार्ग पर आयोजित किसान सभा में सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, राकांपा अध्यक्ष शरद पवार और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित विभिन्न गैर राजग दलों के नेता शामिल हुये। इस दौरान किसानों की कर्ज से मुक्ति और फसल का पूरा दाम दिलाने सहित 21 सूत्री मांग पत्र (किसान चार्टर) पेश किया गया। यादव ने इसे किसान घोषणा पत्र बताते हुये कहा कि पहली बार किसान एक ही झंडे के नीचे एकजुट हुये, पहली बार किसानों ने सिर्फ विरोध नहीं किया बल्कि विकल्प (प्रस्तावित कानून का मसौदा) भी दिया है और पहली बार किसानों के साथ वकील, शिक्षाविद, डाक्टर और पेशेवर सहित संपूर्ण शहरी समाज एकजुट हुआ है। 

इससे पहले लगभग 35 हजार किसानों ने सुबह साढ़े दस बजे रामलीला मैदान से संसद भवन तक किसान मुक्ति यात्रा के साथ पैदल मार्च किया। इस कारण से मध्य दिल्ली स्थित रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक कनॉट प्लेस सहित अधिकतर इलाकों में यातायात व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुयी। किसान मुक्ति यात्रा के लिये देश भर से आये हजारों किसान गुरुवार से ही रामलीला मैदान में एकजुट थे। पुलिस ने सुरक्षा कारणों से किसान यात्रा को संसद भवन तक पहुंचने से पहले ही संसद मार्ग थाने से आगे नहीं बढ़ने दिया। इस कारण से किसानों ने संसद मार्ग पर ही किसान सभा आयोजित की।किसानों को संबोधित करते हुए नर्मदा बचाओ आंदोलन की कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने आरोप लगाया कि ‘‘सरकार शुरुआत से ही कोरपोरेट समर्थक नीतियां लागू कर रही हैं और उसने किसानों के लिए एक भी बड़ा कदम नहीं उठाया।’’ 

पाटकर ने कहा, ‘‘भाजपा सरकार का मकसद किसानों, आदिवासियों की जमीन उद्योगपतियों के हाथों में देने का है।’’ अखिल भारतीय किसान महासभा (एआईकेएम) के महासचिव राजाराम सिंह ने आरोप लगाया कि सरकार ने नोटबंदी के जरिए ‘‘काले धन को सफेद धन में बदलने’’ की कोशिश की। उन्होंने कहा, ‘‘नोटबंदी का असर देशभर के किसानों पर पड़ा है।’’ वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने इस आंदोलन को निर्णायक बताते हुये कहा ‘‘इस बार मज़दूर और किसान अकेला नहीं है। डाक्टर, वकील, छात्र और पेशेवर पहली बार अपनी ड्यूटी छोड़कर किसानों के साथ आये हैं।’’ उन्होंने कहा कि इस बार आंदोलनकारी दोनों प्रस्तावित विधेयकों को पारित करने की मांग से पीछे नहीं हटेंगे। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों की मांग का समर्थन करते हुये कहा है कि किसानों की इस मांग के साथ विपक्ष के सभी दल एकजुट हैं। उन्होंने सभा में मौजूद अन्य दलों के नेताओं का जिक्र करते हुये कहा ‘‘हमारी विचारधारा अलग हो सकती है, मगर किसान और युवाओं के भविष्य के लिये हम सब एक हैं। मोदी जी और भाजपा से हम कहना चाहते हैं कि अगर हमें कानून बदलना पड़े, मुख्यमंत्री बदलना पड़े या प्रधानमंत्री बदलना पड़े, हम किसान का भविष्य बनाने के लिये एक इंच भी पीछे नहीं हटने वाले हैं।’’ 

यह भी पढ़ें: किसानों की मांगों के समर्थन में एकजुटता से खड़े हैं सभी दल: राहुल गांधी

इस दौरान केजरीवाल ने कृषि उपज मूल्य के निर्धारण से सबंधित स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने से मोदी सरकार के मुकरने को किसानों के साथ धोखा बताते हुये कहा है कि सरकार ने किसानों की पीठ में छुरा घोंपा है। केजरीवाल ने कहा कि सरकार को किसानों का तत्काल प्रभाव से पूरा कर्ज माफ कर भविष्य में फसल की उचित कीमत का भुगतान सुनिश्चित करना चाहिये जिससे किसान आत्मनिर्भर बन सकें। इसके बाद प्राकृतिक आपदाओं से फसल के नुकसान से किसान को बचाने के लिये बीमा के बजाय दिल्ली की तर्ज पर मुआवजा योजना लागू की जानी चाहिये। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के नेता फारुख अब्दुल्ला ने किसान आंदोलन को केन्द्र सरकार के लिये खतरे की घंटी बताया। उन्होंने किसानों से कहा ‘‘हम आपकी बदहाली से वाकिफ हैं। हमें पता है आपको खेत पर किस हाल में काम करना पड़ता है और जब फसल अच्छी नहीं होती है तो आपको भूखा रहना पड़ता है।’’ समाजवादी पार्टी के नेता धर्मेंद्र यादव ने कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा किसानों के उत्पाद के लिए बेहतर मूल्य पाने के उनके अभियान को मजबूत करने का काम किया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम आपके प्रदर्शनों का समर्थन करने के लिए हमेशा यहां आए हैं और ऐसा करते रहेंगे।’’ उन्होंने कहा कि किसानों को कम नहीं आंकना चाहिए और उनके पास ‘‘सरकार गिराने’’ की ताकत है। अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय सचिव अतुल अनजान ने आरोप लगाया कि किसानों के प्रति नरेंद्र मोदी सरकार के उदासीन रवैये ने कृषि क्षेत्र में संकट पैदा किया और स्थिति खराब हो रही है। माकपा नेता सीताराम येचुरी, भाकपा नेता एस सुधाकर रेड्डी, आप सांसद संजय सिंह और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला भी दिल्ली में किसानों के प्रदर्शन में शामिल हुए। येचुरी ने कहा, ‘‘हमारे पास वोटों की ताकत है। अगर सरकार अपना रुख नहीं बदलती है तो उसे सत्ता से बाहर कर दिया जाएगा।’’ उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी तक देश एकजुट है और ‘‘हम अगले चुनावों में मोदी को हटा देंगे।’’ भाकपा के महासचिव सुधाकर रेड्डी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा सरकार सबसे ज्यादा ‘‘किसान विरोधी सरकार’’ है।

यह भी पढ़ें: किसानों की मांग नहीं मानी तो किसान कयामत ढहा देंगे: अरविंद केजरीवाल

उन्होंने कहा, ‘‘मोदी सरकार ने भूमि अधिग्रहण (संशोधन) विधेयक पारित करने की कोशिश की लेकिन विपक्षी दलों के विरोध के कारण विधेयक राज्यसभा में पारित नहीं हुआ। अगर भाजपा दोबारा जीत जाती है तो वह विवादित विधेयक को पारित करने के लिए कदम उठाएगी।’’ तृणमूल कांग्रेस नेता दिनेश त्रिवेदी ने कहा, ‘‘भारत के किसान हमारे सामने खड़े हैं। यह भारत का अभियान है। ममता जी ने आपके लिए प्रेम व्यक्त किया है। अगर आपका संकल्प मजबूत हैं तो आप सब कुछ हासिल कर सकते हैं।’’ राकांपा प्रमुख शरद पवार ने कहा कि देश में किसानों की स्थिति बदलने की जरुरत है लेकिन सरकार उनकी दुर्दशा की ओर ‘‘सहानुभूति’’ नहीं दिखा रही है। वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने कहा कि किसानों के साथ मोदी सरकार ने जो वादाखिलाफी की है उसे किसान माफ नहीं करेंगे। उन्होंने कहा ‘‘हम किसानों की मांग के साथ खड़े हैं और संसद के आगामी सत्र में किसानों द्वारा प्रस्तावित विधेयक पर यहां मौजूद सभी नेताओं के दल से समर्थन मिलेगा।’’

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़