सौम्यता के साथ विदेश नीति के जटिल मुद्दों को सुलझाने वाले जयशंकर के जन्मदिन पर जानिए खास बातें

S. Jaishankar

भारत के प्रमुख रणनीतिक विश्लेषकों में से एक स्वर्गीय के. सुब्रमण्यम के बेटे एस जयशंकर का जन्म 9 जनवरी, 1955 को दिल्ली में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा श्रीनिवासपुरी स्थित कैंब्रिज स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में दाखिला लिया।

नयी दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में विदेश मंत्री सुब्रह्मण्यम जयशंकर या फिर कहें एस जयशंकर का आज 66वां जन्मदिन है। वे हमेशा से प्रधानमंत्री मोदी के पसंदीदा लोगों की सूची में शामिल रहे हैं। केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के साथ ही एस जयशंकर का कद बढ़ने लगा था और साल 2015 में उन्हें विदेश सचिव बनाया गया था। तो चलिए आज हम आपको एस जयशंकर से जुड़ी महत्वपूर्ण बाते बताते हैं। 

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जेएनयू से की थी पीएचडी

भारत के प्रमुख रणनीतिक विश्लेषकों में से एक स्वर्गीय के. सुब्रमण्यम के बेटे एस जयशंकर का जन्म 9 जनवरी, 1955 को दिल्ली में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा श्रीनिवासपुरी स्थित कैंब्रिज स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफेंस कॉलेज में दाखिला लिया। इसके बाद राजनीतिशास्त्र में एमए करने के लिए वह जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) चले गए। जहां पर उन्होंने एमफिल और पीएचडी भी किया।

एस जयशंकर 24 साल में आईएफएस अधिकारी बन गए थे और उनको रूस के भारतीय दूतावास में पहली पोस्टिंग मिली थी। जहां पर वह 1979 से लेकर 1981 तक रहे। फिर वो 1985 तक विदेश मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी रहे। इसके बाद 1985 से लेकर 1988 तक अमेरिका में भारत के सचिव के तौर पर उन्होंने काम किया।

एस जयशंकर ने 1996 से 2000 तक टोक्यो और फिर 2004 तक चेक रिपब्लिक में भारत के राजदूत का पद संभाला था। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट से मिली जानकारी के मुताबिक, एस जयशंकर 2007 से 2009 तक सिंगापुर में उच्चायुक्त, 2009 से 2013 तक चीन में राजदूत और फिर 2013 से 15 तक संयुक्त राज्य अमेरिका में राजदूत रहे। 

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वहीं, रिटायरमेंट से पहले एस जयशंकर को जनवरी 2015 में विदेश सचिव बनाया गया था। जिसके बाद मोदी सरकार की आलोचना भी हुई थी कि पद से सुजाता सिंह की छुट्टी कर एस जयशंकर को विदेश सचिव बना दिया गया। बताया जाता है कि अपनी पहली अमेरिकी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ने एस जयशंकर से मुलाकात की थी और फिर न्यूयार्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन पर भारतीय मूल के नागरिकों को संबोधित किया था।

जयशंकर कैसे बने विदेश मंत्री ?

मोदी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान विदेश नीति के मोर्चे पर कई अहम निर्णय लिए और तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने देश की प्रतिष्ठा बढ़ाई थी। इसके बाद दूसरे कार्यकाल से पहले प्रधानमंत्री मोदी को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का हवाला देते हुए सुषमा स्वराज ने लोकसभा चुनाव लड़ने और केंद्रीय मंत्री बने रहने से इनकार कर दिया था। रिपोर्टों के अनुसार, सुषमा स्वराज ने एक नाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सुझाया था जिसका पता 30 मई की शाम को सभी को लगा।

25 मई को लोकसभा चुनाव के परिणाम घोषित हो जाते हैं और एक बार फिर से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का गठन होता है। 30 मई की शाम को शपथ ग्रहण समारोह होने वाला था लेकिन विदेश मंत्रालय किसे दिया जाए अभी इस पर मुहर नहीं लगी थी। फिर अचानक से लोक कल्याण मार्ग स्थित प्रधानमंत्री आवास से एस जयशंकर के पास फोन जाता है और उन्हें विदेश मंत्रालय का जिम्मेदारी देने के बारे में पूछा जाता है और थोड़ी ही देर में राष्ट्रीय मीडिया के सामने एस जयशंकर का चेहरा छाया रहता है। 

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शाम को एस जयशंकर ने केंद्रीय विदेश मंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण की और फिर उन्हें बाद में गुजरात से राज्यसभा भेज दिया गया। बता दें कि एस जयशंकर चीन के साथ करीब दो महीने से भी अधिक समय तक चले डोकलाम विवाद को सुलझाने में मदद की थी। वहीं, वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) गतिरोध पर भी चीन के साथ लगातार बात कर रहे हैं। फिलहाल, दोनों देशों के सैनिक सीमा के दोनों तरफ तैनात हैं।

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