गढ़चिरौली में ऑपरेशन को अंजाम देने वाले C-60 कमांडो के बारे में जानें, जिनसे नक्सली भी खौफ खाते हैं

C 60 commandos
अभिनय आकाश । Nov 15 2021 2:31PM

महाराष्ट्र पुलिस की सी 60 नामक कमांडो यूनिट है। जिसे कोबरा 60 भी बोलते हैं। सी फॉर कमांडो और 60 इसलिए क्योंकि इसमें 60 कमांडो भर्ती किए जाते हैं। उस संख्या से इस यूनिटा का नाम पड़ गया। 1992 में महाराष्ट्र पुलिस ने इस स्पेशल फोर्स का गठन किया।

नक्सली देश के अंदर बैठे ऐसे दुश्मन हैं जिन्होंने हिन्दुस्तान के मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में कोहराम मचा रखा है। छुपकर वार करना और न जाने कितने मासूम लोगों की हत्याओं से इन इलाकों में रहने वाले लोगों में दहशत रहती है। ये एक ऐसा नासूर है जिसे खत्म करना एक बड़ी चुनौती है। लेकिन महाराष्ट्र से बीते दिनों एक बड़ी खबर आई। गढ़चिरौली जिला नक्सलियों से भरा इलाका। यहां पर करीब 10 घंटे चली मुठभेड़ के बाद 26 नक्सली के मारे जाने की खबर सामने आई। ये मुठभेड़ कोर्ची तहसील के ग्यारापट्टी इलाके के मर्दिनटोला जंगल में हुई। इसे सी-60 कमांडो यूनिट ने अंजाम दिया। हालांकि नक्सलियों संग मुठभेड़ में चार जवान भी घायल हुए। ऐसी 60 ऐसे कमांडो हैं जिससे नक्सली भी थरथर कांपते हैं। ऐसे में आइए आपको बताते हैं इस स्पेशल फोर्स के बारे में जिन्हें नक्सिलयों के खिलाफ ऑपरेशन के लिए ही तैयार किया गया है।

1992 में हुआ था गठन, आधुनिक हथियार चलाने में माहिर

महाराष्ट्र पुलिस की सी 60 नामक कमांडो यूनिट है। जिसे कोबरा 60 भी बोलते हैं। सी फॉर कमांडो और 60 इसलिए क्योंकि इसमें 60 कमांडो भर्ती किए जाते हैं। उस संख्या से इस यूनिटा का नाम पड़ गया। 1992 में महाराष्ट्र पुलिस ने इस स्पेशल फोर्स का गठन किया। जिसके पीछे ये इरादा था कि विदर्भ के नक्सल प्रभावित जिलों में ऑपरेशन को अंजाम दिए जा सके। इसके लिए इन कमांडोज की स्पेशल ट्रेनिंग होती थी। गुरिल्ला वॉरफेयर, जंगल वॉरफेयर की ट्रेनिंग के साथ ही इन्हें आधुनिक हथियार भी दिए जाते थे। खुफिया जानकारी और आधुनिक हथियारों के जरिये ये बिल्कुल सटीक वार करते हैं और दुश्मन के खात्मे के साथ ही वापस लौटते हैं। सी 60 के जवान अपने साथ करीब 15 किलो का भार लेकर चलते हैं। जिसमें हथियार के अलावा, खाना, पानी, फर्स्ट ऐड और बाकी सामान शामिल होता है। 

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स्थानीय लोगों को किया जाता है शामिल

सी 60 का मतलब है क्रैक 60 कमांडो जिसका गठन महाराष्ट्र पुलिस के आईपीएस केपी रघुवंशी ने 1989-90 के दौरान किया था। इस विशेष टीम में स्थानीय लोगों को चुनकर इस कमांडो विंग में शामिल किया जाता है। इसके लिए वहीं की जनजातीय आबादी से लोगों को लिया जाता है क्योंकि नक्सलियों की तरह वे भी उस इलाके से परिचित होते हैं। ये गढ़चिरौली में अलग-अलग हिस्सों में 24 टीमों में बंटकर अभियान चलाते हैं। मारे गए 26 नक्सली गौरतलब है कि मर्दिनटोला जंगल में तलाशी अभियान के दौरान100 से अधिक नक्सलियों ने सी-60 कमांडो और विशेष कार्रवाई दल (एसएटी) के जवानों पर अपने अत्याधुनिक हथियारों से भारी गोलीबारी शुरू कर दी थी। जिसके बाद मुठभेड़ में 26 नक्सली मारे गए और चार सुरक्षाकर्मी जख्मी हुए। आत्मसमर्पण कर चुके नक्सलियों की मदद से अबतक 16 शवों की पहचान की गई। मारे गए कई नक्सलियों के सिर पर बड़ा इनाम था जिसमें शीर्ष माओवादी सरगना मिलिंद तेलतुंबडे शामिल है, जिसके सिर पर 50 लाख रुपये का इनाम था। पुलिस ने कहा है कि मिलिंद तेलतुंबडे के मारे जाने से न केवल महाराष्ट्र में बल्कि पूरे भारत में नक्सलवाद बहुत बुरी तरह प्रभावित होगा। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इससे पहले दिन में बताया था कि तेलतुंबडे एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में भी एक वांछित आरोपी था।

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