पाटीदारों का गढ़ वराछा सीट पर ऐसा रहा है इतिहास, जानें यहां

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रितिका कमठान । Nov 26 2022 3:59PM

सूरत जिले की वराछा विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर वर्ष 2017 में भाजपा के किशोर भाई कानानी ने 13,998 मतों से जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के धीरूभाई गजेरा को मात दी थी। इससे पहले वर्ष 2012 में भी कानानी ने गजेरा को 20,359 से मात दी थी।

अहमदाबाद। गुजरात में पहले चरण के तहत जिन 89 सीटों पर एक दिसंबर को चुनाव होना है उनमें से 35 सीटें दक्षिणी जिलों भरूच, नर्मदा, तापी, डांग, सूरत, वलसाड और नवसारी में फैली हैं। इन सीटों में से एक सीट है पाटीदार बहुल वराछा। सूरत में आने वाली इस सीट पर भाजपा ने कब्जा जमाया था। सूरत हार्दिक पटेल की अगुवाई में पाटीदार कोटा आंदोलन का केंद्र था। इस जिले में व्यापक स्तर पर हिंसा भी हुई थी।

सूरत जिले की वराछा विधानसभा सीट भाजपा का गढ़ मानी जाती है। इस सीट पर वर्ष 2017 में भाजपा के किशोर भाई कानानी ने 13,998 मतों से जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के धीरूभाई गजेरा को मात दी थी। इससे पहले वर्ष 2012 में भी कानानी ने गजेरा को 20,359 से मात दी थी। 

इस सीट पर इस बार बीजेपी और आप के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। पाटीदार आंदोलन के कारण यहां बीजेपी और आप पार्टी के बीच कड़ी टक्कर की संभावना है। इस सीट पर भाजपा ने पूरा ध्यान दिया है। इस विधानसभा में पाटीदार समुदाय के लोगों की संख्या काफी अधिक है। जानकारी के मुताबिक इस सीट पर अधिकतर डायमंड और टेक्सटाइल के कारोबारी रहते है। वोटर आर्थिक तौर से मजबूत हैं। विधानसभा क्षेत्र में कई मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध है। यहां कई बार सरकारी कॉलेज बनाए जाने की भी मांग उठती रही है। गुजरात सरकार इस मांग को मंजूरी दे चुकी है। माना जा रहा है कि चुनावों में जीत हासिल करने के लिए भाजपा हिंदुत्व रंग बिखेर कर अपनी ओर मोड़ने का प्रयास कर रही है।

आप बढ़ाएगी परेशानी

इस सीट पर आम आदमी पार्टी की सक्रियता भी काफी अधिक है। भाजपा को इस सीट को बचाने की काफी चिंता है, इसलिए पार्टी के लिए खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 नवंबर को यहां प्रचार करने पहुंच रहे है। इस सीट पर बुलडोजर बाबा के नाम से पहचाने जाने वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सभा कर चुके है। हिंदू नेता के तौर पर योगी आदित्यनाथ एक मजबूत नाम हैं। हिंदुओं के बीच भी योगी आदित्यनाथ प्रमुख रुप से पहचाने जाते है।

इस सीट पर आम आदमी पार्टी के उतरने से मुख्य रूप से कांग्रेस पार्टी का वोटबैंक छिनने की संभावना है। अरविंद केजरीवाल का फोकस सूरत की इस सीट पर काफी अधिक है। आम आदमी पार्टी इस जिले से गुजरात में पहली जीत का स्वाद भी चख चुकी है। इस जीत के बाद पार्टी में आत्म विश्वास जागा है। इस जीत के दम पर पार्टी को विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है। 

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