भारत अमेरिका का बड़ा मंथन, दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों की बैठक, जानें क्या होता है 2+2 डायलॉग?

rajnath singh
अभिनय आकाश । Apr 11 2022 7:56PM

टू प्लस टू संवाद टर्म दो देशों के रक्षा और बाहरी मामलों के मंत्रालयों के बीच एक संवाद तंत्र की स्थापना के लिए उपयोग किया जाता है।

भारत और अमेरिका के बीच 2+2 की बैठक होगी। दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रियों की बैठक भारतीय समय अनुसार रात 11:30 मिनट पर होगी। पहले से ही इसका ग्राउंड तैयार किया गया था, जिसके बाद ये मीटिंग होनी है। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर वाशिंगटन में भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता में भाग लेने के लिए अमेरिकी राजधानी पहुंचे। जिसके बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड जे ऑस्टिन III ने भारत-अमेरिका 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता से पहले वाशिंगटन डीसी में स्थित पेंटागन में प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की। बता दें कि अमेरिका के बाइडन प्रशासन के कार्यकाल में पहली 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता है।

अमेरिकी नेतृत्व के साथ बैठक

अपनी पांच दिवसीय अमेरिकी यात्रा में राजनाथ सिंह भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने के लिए अमेरिकी नेतृत्व के साथ बातचीत करेंगे। राजनाथ सिंह पेंटागन में अमेरिकी रक्षा मंत्री लॉयड ऑस्टिन से अलग से मुलाकात करेंगे। दोनों सैन्य सहयोग के माध्यम से रक्षा औद्योगिक सहयोग और क्षमता निर्माण सहित रक्षा सहयोग पर चर्चा होगी। वाशिंगटन डीसी की यात्रा के बाद रक्षा मंत्री का हवाई में यूएस इंडो-पैसिफिक कमांड (INDOPACOM) के मुख्यालय का भी दौरा करने का कार्यक्रम है।

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क्या होता है 2+2 डायलॉग

टू प्लस टू संवाद' टर्म दो देशों के रक्षा और बाहरी मामलों के मंत्रालयों के बीच एक संवाद तंत्र की स्थापना के लिए उपयोग किया जाता है। सरल भाषा में कहे तो टू प्लस टू वार्ता एक प्रकार की अभिव्यक्ति है जिसके अंतर्गत प्रत्येक देश के दो नियुक्त मंत्री रक्षा और विदेश दोनों देशों के रणनीतिक और सुरक्षा हितों पर चर्चा करने के लिए मिलेंगे। जिसका उद्देश्य दोनों देशों के संबंधित रक्षा और विदेश मामलों के प्रमुखों के बीच एक कूटनीतिक, और फलदायी बातचीत स्थापित करना है। भारत अभी 4 देशों के साथ टू प्लस टू डायलॉग करता है। भारत ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, जापान और रूस के साथ टू प्लस टू डायलॉग किया है। इसका मूल मकसद डिप्लोमैटिक और स्ट्रैटजिक रिश्तों को मजबूत करना है। राष्ट्रीय सुरक्षा और इंटेलिजेंस सहयोग बढ़ाने पर इस तरह की मुलाकातों में फोकस किया जाता है।  

ये मुद्दे रहेंगे फोकस में  

बहुत सारे मुद्दे होंगे जिस पर बातचीत होगी। इस बैठक की खास बात ये है कि ये केवल यूक्रेन को लेकर नहीं है बल्कि इसमें क्वाड से लेकर भारत-अमेरिका संबंधों पर भी पूरा फोकस रहेगा। भारत अमेरिका से बहुत सारे हथियार खरीदता है। पिछले पांच सालों के आंकड़ों को देखेंगे तो अमेरिका ही हमारा हथियारों का सबसे बड़ा सप्लायर है। भारत ने तो अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि रूस से वो तेल खरीदता रहेगा। कुल मिलाकर कहा जाए तो रूस हो या अमेरिका, भारत किसी भी सुपरपावर की कठपुतली नहीं बनना चाहता है। वह अपनी नीतियों पर चलता रहा है।  

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