जानें क्या है कच्चातीवु द्वीप विवाद? स्टालिन ने इसे श्रीलंका से वापस लेने के लिए पीएम मोदी से क्यों लगाई गुहार

modi stalin
ANI
अंकित सिंह । May 26 2022 8:53PM

भारत की नीति हमेशा उदार रही है। भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ हमेशा सामान्य रिश्ते रखना चाहता है। नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका या मालदीव जैसे देशों को भारत हमेशा मदद भी करता है। हालांकि भारत और श्रीलंका के बीच इस मुद्दे को लेकर अक्सर विवाद हो जाता है और यह मुद्दा है कच्चातिवु द्वीप का।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज तमिलनाडु दौरे पर थे। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु को कई बड़े सौगात दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब परियोजनाओं का शिलान्यास व उद्घाटन कर रहे थे तो उनके साथ मंच पर वहां के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन भी मौजूद थे। एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समक्ष कई बड़े मुद्दे उठाए। उन्हीं मुद्दों में से एक है कच्चातीवु द्वीप। सीएम एमके स्टालिन ने कहा कि जब प्रधानमंत्री यहां तमिलनाडु आए, तो मैं कुछ चीजों के लिए अपील करता हूं। हम प्रधानमंत्री से (श्रीलंका) से कच्चातीवु द्वीप वापस लाने के लिए कहते हैं ताकि हमारे मछुआरे समुद्र में स्वतंत्र रूप से मछली पकड़ सकें। अब सवाल यह है कि आखिर यह कच्चातिवु द्वीप क्या है और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने एक बार फिर से इस मुद्दे को क्यों उठाया है तो चलिए आपको पूरी बात बताते हैं

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कच्चातिवु द्वीप क्या है

भारत की नीति हमेशा उदार रही है। भारत अपने पड़ोसी देशों के साथ हमेशा सामान्य रिश्ते रखना चाहता है। नेपाल, बांग्लादेश, श्रीलंका या मालदीव जैसे देशों को भारत हमेशा मदद भी करता है। हालांकि भारत और श्रीलंका के बीच इस मुद्दे को लेकर अक्सर विवाद हो जाता है और यह मुद्दा है कच्चातिवु द्वीप का। भारत के दक्षिणी छोर रामेश्वरम से कच्चातिवु द्वीप की दूरी महज 25 से 30 किलोमीटर है। यह भारत और श्रीलंका के मध्य स्थित है। बताया जाता है कि इस द्वीप का निर्माण ज्वालामुखी विस्फोट से हुआ है। भले ही यह द्वीप काफी छोटा है। लेकिन दोनों ही देशों के लिए इसकी अहमियत काफी बड़ी है। ब्रिटिश शासन के दौरान इस भूमि का इस्तेमाल भारत और श्रीलंका संयुक्त रूप से करते थे। हालांकि इस भूमि को लेकर विवाद 1921 में शुरू हुआ। 1921 में श्रीलंका ने इस जमीन पर अपना दावा किया जबकि भारत भी लगातार इस जमीन पर अपना दावा करता रहा।

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यह विवाद लगातार बढ़ता गया। इस विवाद को सुलझाने के लिए 1974 क्षेत्र के बीच समुद्री सीमा समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। उस दौरान देश के प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं। इस समझौते के बाद इंदिरा गांधी ने कच्चातिवु द्वीप को श्रीलंका को गिफ्ट में दे दिया था। हालांकि, दोनों देशों के मछुआरे इस द्वीप का लगातार इस्तेमाल करते रहे। लेकिन कुछ सालों से श्रीलंका यहां भारतीय मछुआरों को परेशान करता है। कई बार हम सुनते भी हैं कि श्रीलंका ने हमारे मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया है। अब यही कारण है कि लगातार कच्चातिवु द्वीप विवाद ग्रुप को लेकर तमिलनाडु में भारी विरोध होता रहता है। तमिलनाडु की ओर से इसे लगातार भारत सरकार पर वापस लेने का दबाव बनाया जाता है। 1991 से तमिलनाडु सरकार इसे वापस लेने की मांग कर रही है।

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