कुमारस्वामी का दावा, हिंदी राजनीति के चलते दक्षिण के नेताओं को नहीं मिलते हैं मौके
कुमारस्वामी ने कहा कि हिंदी की राजनीति ने कई दक्षिण भारतीयों को प्रधानमंत्री बनने से रोका है और एच डी देवेगौड़ा, करूणानिधि एवं कामराज उनमें प्रमुख है। उन्होंने कहा कि वैसे तो उनके पिता (देवेगौड़ा) इस बाधा को तोड़ने में सफल रहे लेकिन के कारण उनकी आलोचना किये जाने और उनकी उपहास उड़ाये जाने की कई घटनाएं सामने आयीं।
कुमारस्वामी ने लिखा, ‘‘द्रमुक सांसद कनिमोई से सवाल किया गया ‘ क्या आप भारतीय हैं?’ मैं बहन कनिमोई का किये गये अपमान पर अपनी आवाज उठाता हूं।’’ उन्होंने लिखा, ‘‘ अब यह बहस करना बिल्कुल उपयुक्त है कि कैसे दक्षिण के नेताओं से हिंदी-राजनीति और भेदभाव के चलते मौके छीन लिए गये।’’ द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) सांसद कनिमोई ने रविवार को आरोप लगाया था कि चेन्नई हवाईअड्डे पर जब वह हिंदी में नहीं बोल सकी, तब सीआईएसएफ की एक अधिकारी ने उनसे पूछा कि ‘‘क्या वह भारतीय हैं।’’ इस पर, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) ने मामले की जांच का आदेश दिया। कुमारस्वामी ने कहा कि हिंदी की राजनीति ने कई दक्षिण भारतीयों को प्रधानमंत्री बनने से रोका है और एच डी देवेगौड़ा, करूणानिधि एवं कामराज उनमें प्रमुख है। उन्होंने कहा कि वैसे तो उनके पिता (देवेगौड़ा) इस बाधा को तोड़ने में सफल रहे लेकिन के कारण उनकी आलोचना किये जाने और उनकी उपहास उड़ाये जाने की कई घटनाएं सामने आयीं।'Hindi politics' was successful in making the then PM Deve Gowda deliver his Independence Day speech from the Red Fort in Hindi. PM Deve Gowda finally agreed only because of farmers from Bihar & UP. To this extent Hindi politics works in this country.
— H D Kumaraswamy (@hd_kumaraswamy) August 10, 2020
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कुमारस्वामी ने कहा, ‘‘ हिंदी राजनीति तब प्रधानमंत्री देवेगौड़ा को लाल किले से अपना स्वतंत्रता दिवस भाषण हिंदी में दिलाने में सफल रही थी।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ प्रधानमंत्री देवगौड़ा बिहार और उत्तर प्रदेश के किसानों के कारण ही अंतत: राजी हुए। इस हद तक इस देश में हिंदी राजनीति काम करती है।’’ उन्होंने कहा कि उनका भी ऐसा ही अनुभव रहा है क्योंकि वह दो बार लोकसभा के सदस्य रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘ सत्तारूढ़ वर्ग दक्षिण को तुच्छ मानकर उसकी अनदेखी करता है। मैंने बहुत नजदीक से देखा है कि कैसे हिंदी भाषी नेता पैंतरेबाजी करते हैं। उनमें से ज्यादातर गैर हिंदी नेताओं का सम्मान नहीं करते।
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