लक्ष्मण से जुदा हुए राम, अटल के जाने के बाद फूट-फूट कर रोए आडवाणी

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[email protected] । Aug 16 2018 8:06PM

पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी बवाजपेयी का निधन हो जाने के बाद देश भर में शोक है। PM नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित भाजपा परिवार शोक में डूबा हुआ है।

पूर्व प्रधानमंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता अटल बिहारी बवाजपेयी का निधन हो जाने के बाद देश भर में शोक है। PM नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित भाजपा परिवार शोक में डूबा हुआ है। पर वाजपेयी जी के बेहद करीबी रहे लालकृष्ण आडवाणी बेहद भावुक हो गए। उनकी आंखों से निकलते एक एक आंसू अपने राम से जुदा होने का दर्द बयां कर रहे हैं। भले ही वो उनके परिवार और पार्टी के लोगों को ढांढस बंधाते नजर आ रहे हों पर अंदर ही अंदर टूट गए हैं। आज भाजपा जो कुछ भी है उसमें अटल बिहारी वाजेपयी और लालकृष्ण आडवाणी की अहम भूमिका रही है। एक समय था जब अटल-आडवाणी के जोड़ी राम-लक्ष्मण की जोड़ी कही जाती थी। 

आडवाणी ने अपने शोक संदेश में कहा कि वाजपेयी के शानदार नेतृत्व कौशल, वाक कला, देशभक्ति और इन सबसे ऊपर दया, मानवीयता जैसे उनके गुण और विचारधारा में मतभेद के बावजूद विरोधियों का दिल जीतने की कला का मेरे ऊपर गहरा असर रहा। उन्होंने कहा, ‘‘आरएसएस के प्रचारक से लेकर भारतीय जनसंघ के बनने तक, आपातकाल के दौरान के काले महीनों से लेकर जनता पार्टी के गठन तक और बाद में 1980 में भारतीय जनता पार्टी के उभरने के दौरान उनके साथ लंबे जुड़ाव की यादें हमारे साथ रहेंगी।’’

आडवाणी ने कहा कि गहरा दुख और उदासी व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अटल जी को केंद्र में गैर कांग्रेसी गठबंधन सरकार को स्थायित्व देने में उनकी भूमिका से लेकर छह वर्षों तक उनके साथ उपप्रधानमंत्री के तौर पर काम करने के दिनों के लिए उन्हें याद करूंगा। मेरे वरिष्ठ के रूप में उन्होंने हर तरीके से हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया और मेरा मार्गदर्शन किया।’’

वाजपेजी जी के निधन पर आडवाणी ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि मेरे पास कोई शब्द नहीं है। उन्होंने कहा कि 65 साल की हमारी दोस्ती थी। उन्होंने कहा कि वह हमारे गुरु, प्रेरणास्रोत बताया।  अटल के सचिव के रूप में अपने राजनीति कॉरियर की शुरूआत करने वाले आडवाणी आखिरी लम्हों तक उनके साथ रहे। वो आडवाणी ही थे जिन्होंने अटल से बिना राय लिए उन्हें प्रधानमंत्री उम्मीदवार घोषित कर दिया था।

1980 में पार्टी गठन से पहले और पार्टी गठन के अटल-आडवाणी दोनों में कई बार मतभेद हुए पर वो मतभेद कभी उनकी दोस्ती में दरार पैदा नहीं कर पाया। आडवाणी जहां हार्डकोर नेता माने जाते थे वहीं अटल उदार थे। अपने शुरूआती दिनों में दोनों स्कूटर पर सवार होकर फिल्म देखने जाते थे। इसके अलावा दिल्ली की गलियों में दोनों एक साथ दिख जातें थे।

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