सुधारों के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी नहीं: मोदी

[email protected] । Apr 21 2017 5:51PM

मोदी ने आज जोर देकर कहा है कि सुधारों को लेकर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी उनमें नहीं है। उन्होंने लोकसेवकों से कहा है कि वे आपस में समन्वय बढ़ाते हुए और एकसाथ मिलकर काम करें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कहा कि सुधारों के लिए उनमें कुछ ज्यादा ही राजनीतिक इच्छाशक्ति है। उन्होंने नौकरशाहों से कहा कि वे बना-बनाया ढर्रा छोड़ें और देश को बदलने और बेहतर प्रदर्शन करने के लिए टीम के तौर पर मिलकर काम करें। सिविल सेवकों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि तेजी से फैसला करने के किसी भी नतीजे से उन्हें डरने की जरूरत नहीं है, क्योंकि वह जनहित में ईमानदार फैसले करने वाले अधिकारियों के साथ खड़े रहेंगे।

मोदी ने कहा कि राजनीतिक इच्छाशक्ति से सुधार हो सकता है, लेकिन नौकरशाही काम करती है और जनभागीदारी से बदलाव होता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें उन्हें एक धारा में लाना है और जब हम इन तीनों (राजनीतिक इच्छाशक्ति, नौकरशाही का प्रदर्शन और जनभागीदारी) को एक ही धारा में चलाते हैं तो हमें अच्छे नतीजे मिलते हैं।’’ मोदी ने कहा कि सुधार के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझमें इसकी कमी नहीं है और हो सकता है थोड़ी ज्यादा ही हो।’’ उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को यह सोचने की जरूरत नहीं है कि यदि कोई फैसला तेजी से किया जाता है तो इसके पीछे दुर्भावना है।

सिविल सेवा दिवस पर यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘यदि ईमानदार मंशा से, सच्चाई से और लोगों के कल्याण के लिए कोई फैसला किया जाता है तो दुनिया में कोई भी आप पर सवाल नहीं उठा सकता। कुछ चीजें तात्कालिक तौर पर हो सकती हैं, लेकिन मैं आपके साथ हूं।’’ मोदी की इन टिप्पणियों पर नौकरशाहों ने खूब तालियां बजाईं।

मोदी की टिप्पणियां इसलिए अहम हैं क्योंकि कुछ नौकरशाहों ने तीन ‘सी’ (सीएजी, सीबीआई और सीवीसी) को निर्णय-प्रक्रिया में बड़ी बाधा करार दिया है, जिससे सरकार की नीतियों को लागू करने में दिक्कतें आती हैं। उन्होंने सिविल सेवकों से कहा कि वे अपने फैसलों को इस तरह देखें कि उनसे क्या फायदा होने जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘आंकड़ों से बदलाव आता है क्या ? हमें अपने फैसलों को इस तरह देखने की जरूरत है कि उनसे क्या फायदा होने जा रहा है। सीएजी के लिए ‘आउटपुट’ ठीक है। यदि हम सीएजी के साथ ‘आउटपुट’ देखें तो देश में कोई बदलाव ही नहीं होगा।’’ सरकार में ‘आउटकम’ और ‘आउटपुट’ आधारित निर्णय-प्रक्रिया का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘हम कोई बदलाव नहीं देख पाएंगे और न ही देश में कोई बदलाव होगा। लेकिन यदि हम ‘सीएजी प्लस 1’ के नजरिए से देखें तो बदलाव आएंगे।’’ ‘आउटपुट’ संबंधी निर्णय-प्रक्रिया में यह देखा जाता है कि हम कर क्या रहे हैं और उसमें किनकी भागीदारी है, जबकि ‘आउटकम’ में यह देखा जाता कि कोई काम करने से क्या फर्क पड़ा।

उन्होंने नौकरशाहों से कहा कि वे लोगों की समस्याएं सुलझाने के लिए नए और अनोखे समाधान तलाशें। मोदी ने कहा, ‘‘यदि आप अपने काम करने का तरीका और अपने सोचने का तरीका बदल लेते हैं तो यह अच्छा होगा। यदि आप नियामक की भूमिका से बाहर आकर सुविधा प्रदाता की भूमिका में आएंगे तो चुनौतियां अवसर में बदल जाएंगी।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि वरिष्ठ अधिकारियों को इस सोच से ऊपर उठना होगा कि वे ‘‘सब कुछ जानते हैं’’। उन्हें अपने कनिष्ठ अधिकारियों की ओर से सुझाए गए नए विचारों पर भी गंभीरता से विचार करना होगा।

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