जेल में फोन से सियासत पर नीतीश ने की शिकायत, वार्ड की हुई जांच

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बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कल आरोप लगाया था कि लालू अपने राजनीतिक सहयोगियों के संपर्क में हैं और यह जेल नियमावली की अवहेलना है। सूत्रों ने बताया कि संभवत: इसी आरोप के मद्देनजर जेल के अधिकारी यह देखना चाहते थे कि जेल नियमावली का पालन हो रहा है कि नहीं।

रांची। रांची के बिरसा मुंडा जेल के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि उन्होंने स्थानीय पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के वार्ड की आज एक बार फिर जांच की। चारा घोटाले के मामले में सजायाफ्ता लालू न्यायिक हिरासत के तहत स्वास्थ्य आधार पर रिम्स अस्पताल में भर्ती हैं। बिरसा मुंडा जेल के अधीक्षक अशोक कुमार चैधरी एवं उनके अन्य सहयोगियों ने बताया कि बुधवार को स्थानीय राजेन्द्र आयुर्विज्ञान संस्थान (रिम्स) स्थित लालू के वार्ड और कक्ष की जांच की गई, ताकि पता चल सके कि कहीं चुनाव आयोग के दिशानिर्देशों की अवहेलना तो नहीं हो रही। 

बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने कल आरोप लगाया था कि लालू अपने राजनीतिक सहयोगियों के संपर्क में हैं और यह जेल नियमावली की अवहेलना है। सूत्रों ने बताया कि संभवत: इसी आरोप के मद्देनजर जेल के अधिकारी यह देखना चाहते थे कि जेल नियमावली का पालन हो रहा है कि नहीं। गौरतलब है कि स्थानीय मीडिया के एक हिस्से ने पहले भी लालू के रिम्स स्थित वार्ड में छापेमारी की खबर दी थी। जेल एवं पुलिस अधिकारियों ने बताया कि वार्ड की जांच में कोई अवैध चीज नहीं बरामद की गई। 

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उन्होंने बताया कि जेल नियमावली के अनुसार प्रत्येक शनिवार को अधिक से अधिक तीन व्यक्ति जेल अधिकारियों की अनुमति से लालू प्रसाद यादव से मुलाकात कर सकते हैं। लालू अस्पताल से फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकते। कांग्रेस नेता तारिक अनवर एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के राष्ट्रीय महासचिव डीपी त्रिपाठी ने 17 मार्च को लालू से अस्पताल में मुलाकात की थी।

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इससे पूर्व, देश के चढ़ते राजनीतिक पारे के बीच पिछले सप्ताहों में लालू से उनके पुत्रों तेजस्वी यादव तथा तेज प्रताप यादव के अलावा अनेक नेताओं ने मुलाकात की जिनमें शत्रुघ्न सिन्हा, सुबोधकांत सहाय,

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हेमंत सोरेन, शकील अहमद, जीतन राम माझी तथा अन्य लोग शामिल थे। लालू प्रसाद यादव अब तक सीबीआई की विशेष अदालतों द्वारा चार विभिन्न मामलों में दोषी ठहराए जा चुके हैं और उन्हें चौदह वर्ष तक के सश्रम कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। इन मामलों में उनकी जमानत अर्जियां भी झारखंड उच्च न्यायालय से खारिज हो चुकी हैं। 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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