नगालैंड में गोलीबारी में मारे गए लोगों का अंतिम संस्कार, मुख्यमंत्री ने अफ्सपा हटाने की मांग की

Last rites of those killed in firing in Nagaland, CM demands removal of AFSPA

नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए 14 लोगों के अंतिम संस्कार में शामिल होते हुए सोमवार को सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (अफ्सपा) को निरस्त करने की मांग की।

कोहिमा। नगालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मारे गए 14 लोगों के अंतिम संस्कार में शामिल होते हुए सोमवार को सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (अफ्सपा) को निरस्त करने की मांग की। मोन मुख्यालय हेलीपैड ग्राउंड में शवों के अंतिम संस्कार के समय रियो ने कहा, ‘‘अफस्पा सेना को बिना किसी गिरफ्तारी वारंट के नागरिकों को गिरफ्तार करने, आवासों पर छापा मारने और लोगों को मारने का अधिकार देता है लेकिन सुरक्षा बलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है।’’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘उन्होंने (सेना) कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा कर दी है।’’

इससे पहले, मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने भी अफस्पा को रद्द करने की मांग की। वहीं, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने नगालैंड में एक टीम भेजने का इरादा त्याग दिया लेकिन पार्टी ने कानून को वापस लेने की मांग की जो सुरक्षा बलों को विशेष अधिकार देता है। नगालैंड पुलिस ने सोमवार को सेना के 21वें पैरा स्पेशल फोर्स के खिलाफ असैन्य नागरिकों पर गोलीबारी में कथित संलिप्तता के लिए हत्या का मामला दर्ज किया, जबकि कई आदिवासी संगठनों ने सुरक्षा बलों की कार्रवाई के विरोध में बंद का आयोजन किया। अधिकारियों ने बताया कि मोन कस्बे में दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण है। इस बीच, नगालैंड के मोन जिले में आम नागरिकों पर सुरक्षा बलों की गोलीबारी में मरने वालों की संख्या को लेकर सोमवार को भ्रम की स्थिति बनी रही।

आदिवासियों के शीर्ष संगठन, कोन्यक यूनियन ने दावा किया कि घटना में 17 लोग मारे गए, लेकिन बाद में संगठन ने मृतकों की संख्या को संशोधित कर 14 कर दिया। हालांकि, पुलिस शुरू से दावा करती रही कि शनिवार और रविवार को हुई गोलीबारी की अलग-अलग घटनाओं में 14 लोग मारे गए। गोलीबारी की पहली घटना तब हुई जब सेना के जवानों ने शनिवार शाम को एक पिकअप वैन में घर लौट रहे कोयला खदान कर्मियों को प्रतिबंधित संगठन एनएससीएन (के) के युंग आंग गुट से संबंधित उग्रवादी समझ लिया। इस घटना में छह लोग मारे गए थे। जब मजदूर अपने घरों को नहीं लौटे, तो स्थानीय युवक और ग्रामीण उनकी तलाश में गए और सेना के वाहनों को घेर लिया। इसके बाद हुई झड़प में एक सैनिक की मौत हो गई और कई वाहन जला दिए गए। सैनिकों ने आत्मरक्षा में गोलियां चलाईं, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई।

पुलिस ने कहा कि दंगा रविवार दोपहर तक जारी रहा। गुस्साई भीड़ ने कोन्यक यूनियन के कार्यालयों और इलाके में असम राइफल्स के शिविर में तोड़फोड़ की, और इसके कुछ हिस्सों में आग लगा दी। सुरक्षा बलों ने हमलावरों पर जवाबी गोलीबारी की, जिसमें कम से कम एक व्यक्ति की मौत हुई। नगालैंड पुलिस ने सेना के 21वें पैरा स्पेशल फोर्स के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए प्राथमिकी दर्ज की है। भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302, 307 और 34 के तहत मामला दर्ज किया गया है। ये धाराएं हत्या, हत्या के प्रयास और समान मंशा से किए गए आपराधिक कृत्य से संबंधित हैं। जिले के तिजिट थाने में की गयी शिकायत में कहा गया, ‘‘चार दिसंबर को करीब साढ़े तीन बजे कोयला खदान के मजदूर एक वाहन से तिरु से अपने पैतृक गांव ओटिंग लौट रहे थे। ऊपरी तिरु और ओटिंग के बीच लोंगखाओ पहुंचने पर, सुरक्षा बलों ने बिना किसी उकसावे के वाहन पर अंधाधुंध गोलीबारी की, जिसके परिणामस्वरूप कई ग्रामीणों की मौत हो गई और कई अन्य गंभीर रूप से घायल हो गए।’’ शिकायत में यह भी कहा गया कि घटना के समय कोई पुलिस गाइड नहीं था और न ही सुरक्षा बलों ने गाइड की मांग की थी।

प्राथमिकी में कहा गया, ‘‘इसलिए, यह स्पष्ट है कि सुरक्षा बलों का इरादा नागरिकों की हत्या करना और उन्हें घायल करना था।’’ शिकायत में अधिकारियों से अपराधियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने का आग्रह किया गया। इस बीच, आदिवासी संगठनों, नागरिक संस्थाओं और छात्र संगठनों ने अचानक एक कदम उठाते हुए सोमवार को राज्य भर में छह से 12 घंटे तक की विभिन्न अवधियों का बंद आहूत किया। प्रभावशाली संगठन नगा स्टूडेंट्स फेडरेशन (एनएसएफ) ने पांच दिनों के शोक की घोषणा की है, साथ ही आदिवासियों से इस अवधि के दौरान किसी भी उत्सव में भाग नहीं लेने के लिए कहा है। अधिकारियों ने कहा कि 28 घायलों में से छह की हालत गंभीर बताई जा रही है और उनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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