सोनिया की बैठक में उलझे नेता, जनाधार में आई गिरावट के लिए युवा नेताओं ने 'ओल्ड बिग्रेड' को बताया जिम्मेदार

congress
अंकित सिंह । Jul 31 2020 3:41PM

सोनिया की अगुवाई में हुई पार्टी के राज्यसभा सदस्यों की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश और कई अन्य राज्यसभा सदस्य मौजूद थे।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के राज्यसभा सदस्यों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये बैठक की, जिसमें कई सदस्यों ने राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष बनाए जाने की मांग की। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में रिपुन बोरा, पीएल पूनिया, छाया वर्मा तथा कुछ अन्य सदस्यों ने राहुल को फिर से पार्टी की कमान सौंपने की पैरवी की। सूत्रों का कहना था कि पार्टी के कई राज्यसभा सदस्यों की इस मांग पर सोनिया गांधी की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। गत 11 जुलाई को सोनिया ने कांग्रेस के लोकसभा सदस्यों के साथ डिजिटल बैठक की थी और उसमें भी पार्टी के कई सांसदों ने राहुल गांधी को फिर से पार्टी अध्यक्ष की जिम्मेदारी देने की मांग की थी। गौरतलब है कि पिछले साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद राहुल गांधी ने इसकी नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम अध्यक्ष बनाया गया था। 

इसे भी पढ़ें: बिहार चुनाव: कांग्रेस मीरा कुमार पर लगा सकती है दांव, नेताओं के बीच सुगबुगाहट तेज

लेकिन सोनिया गांधी की यह बैठक नेताओं के बीच हुई तर्क वितर्क के लिए चर्चा में है। दरअसल, इस बैठक में कुछ युवा नेता इस बात पर जोर रहे थे कि आखिर पार्टी की लोकप्रियता में इतनी गिरावट कैसे आई और इसके लिए किसे दोषी माना जाए? बैठक में इतने मुखर होकर कोई नेता बात रखें तो जाहिर सी बात है कि कांग्रेस के भीतर की दरार एक बार फिर से सबके सामने आ गई है। कांग्रेस के युवा नेता इस बात को भी जोर देकर कहते हैं कि जो लोग भी पिछले यूपीए सरकार के हिस्सा थे उन्हें पार्टी के जनाधार में आई गिरावट के लिए जिम्मेदारी लेनी होगी। इसका मतलब साफ साफ है कि पार्टी के युवा नेता ओल्ड बिग्रेड पर खुलकर आरोप लगा रहे हैं। आपको बता दें कि कांग्रेस 2014 में 44 सीटों पर सिमट गई थी जबकि 2019 में इसे महज 50 के आसपास ही सीट मिल पाई थी। 

इसे भी पढ़ें: जब संसद में भारी हंगामे के साथ जम्मू कश्मीर को मिली थी 'आर्टिकल 370' से आजादी

सूत्रों ने यह भी दावा किया कि इस वाद-विवाद के दौरान प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह चुप ही रहे। आपको बता दें कि मनमोहन सरकार पर भ्रष्टाचार के जमकर आरोप लगे थे जिसको भाजपा भुनाने में कामयाब रही। दरअसल, इस वाद विवाद की शुरुआत तब हुई जब कुछ सांसदों ने आर्थिक मंदी, कोरोनावायरस पर नियंत्रण के लिए उपाय और चीन के साथ विवाद जैसे मुद्दों पर नरेंद्र मोदी की सरकार को घेरने में पार्टी की कोशिशों को नाकाम बताया। कुछ नेताओं की यह भी शिकायत रही कि पीएम के जनाधार में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस अब तक कोई रणनीति नहीं बना पाई है। इसी दौरान राज्यसभा सांसद राजीव सातव ने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस को 2014 की हार के बाद जो आत्म निरीक्षण की आवश्यकता थी वह नहीं हुआ। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि हमें फिलहाल आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है। बीजेपी बुरा प्रदर्शन कर रही है पर उस पर हमला करने से पहले हमें खुद देखना होगा कि हमने कैसा प्रदर्शन किया है। अब तक इसे लेकर पार्टी के अंदर कोई भी बहस नहीं हुई है। हमें अब विश्लेषण करने की आवश्यकता है। 

इसे भी पढ़ें: पूर्व मंत्री ने कहा अगर नरोत्तम मिश्रा में दम है, तो करें शिवराज पर एफआईआर

इस बैठक में राजीव सातव ने यह भी स्पष्ट किया कि यह मामला वरिष्ठ और युवा नेताओं के बीच का नहीं है बल्कि पार्टी के हित का है। उन्होंने कहा कि हमें विश्लेषण करने की आवश्यकता है कि यूपीए के दौरान कांग्रेस ने कैसा प्रदर्शन किया? आखिर पार्टी के मंत्री कार्यकर्ताओं से क्यों नहीं मिले? राजीव सातव के समर्थन में अब कई कांग्रेस के नेता भी खड़े हो गए हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने भी कहा कि 2014 में कांग्रेस को मिली हार के लिए यूपीए को जिम्मेदार माना जा सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि क्या यूपीए को भीतरघात का नुकसान उठाना पड़ा? सोनिया की अगुवाई में हुई पार्टी के राज्यसभा सदस्यों की बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, कांग्रेस के संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल, वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश और कई अन्य राज्यसभा सदस्य मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में कोरोना महामारी से संबंधित हालात, मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति, लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध और अर्थव्यवस्था की स्थिति पर मुख्य रूप से चर्चा हुई। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अर्थव्यवस्था की स्थिति पर अपनी बात रखी। गौरतलब है कि राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या 40 है, जबकि लोकसभा में पार्टी के सांसदों की संख्या 52 है।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़