देश में मानसून सामान्य की तुलना में कम, अल नीनो प्रभाव जिम्मेदार

Less than normal monsoon in country El Nino effect is responsible

देश में इस साल उत्तर पूर्व मानसून सामान्य की तुलना में कम रहा है और भारतीय मौसम विभाग तथा स्काई मेट वेदर जैसे संस्थान इसके लिये अल नीनो के प्रभाव को जिम्मेदार बता रहे हैं।

नयी दिल्ली। देश में इस साल उत्तर पूर्व मानसून सामान्य की तुलना में कम रहा है और भारतीय मौसम विभाग तथा स्काई मेट वेदर जैसे संस्थान इसके लिये अल नीनो के प्रभाव को जिम्मेदार बता रहे हैं। इस साल 30 सिंतबर को आधिकारिक तौर पर मानसून की विदाई के बाद देश में इस साल सामान्य की तुलना में 95 फीसदी बारिश हुई। भारतीय मौसम विभाग ने पूर्वानुमान को संशोधित करते हुए अपने बयान में कहा है कि इस साल जून से सितंबर के दौरान मानसून की स्थिति सामान्य से कम रही है।

मौसम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि इस साल देश के विभिन्न हिस्सों में जून में अच्छी बारिश हुई, जबकि जुलाई-अगस्त में असम, बिहार, गुजरात, ओडिशा, उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्सों में बाढ़ की स्थिति रही। सितंबर माह में काफी कम बारिश हुई। इसके लिये बाद के समय में अल नीनो प्रभाव एक प्रमुख कारण हो सकता है। इससे पहले 2014 में सामान्य की तुलना में 88 प्रतिशत बारिश हुई जबकि 2015 में सामान्य की तुलना में 86 प्रतिशत बारिश हुई जबकि 2016 में सामान्य की तुलना में 97 प्रतिशत बारिश हुई। 2013 इसका अपवाद रहा जब सामान्य की तुलना में 106 प्रतिशत बारिश दर्ज की गई।

स्काई मेट वेदर के सीईओ जतिन सिंह ने बताया कि हमारे वैज्ञानिकों ने मौसम पूर्वानुमान में पहले ही कह दिया था कि इस वर्ष अल नीनो का असर होगा। अल नीनो का प्रभाव ही रहा कि शुरूआत में अच्छी मानसूनी बारिश के बाद स्थितियां बदल गई और सितंबर में काफी कम बारिश दर्ज की गई। सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में सामान्य से 29 फीसदी, हरियाणा में 26 फीसदी और पंजाब में 22 फीसदी बारिश कम हुई है। ऐसे में इन कृषि प्रधान राज्यों में कम वर्षा खेती के लिये समस्या पैदा कर सकती है।

भारतीय मौसम विभाग के पूर्व महानिदेशक और विश्व बैंक में दक्षिण एशिया में मौसम मामलों के सलाहकार आर पी एस लक्ष्मण सिंह राठौर ने बताया कि निश्चत तौर पर इस बार देश में डेफिसिट मानसून है। लेकिन इससे बड़ी चुनौती है कि 20 फीसदी जिलों में कम बारिश और 20 फीसदी जिलों में अतिवृष्टि हुई है। मानसून के आखिरी दौर में इस बार अल नीनो का स्पष्ट प्रभाव दिखा है। उल्लेखनीय है कि अल नीनो ऐसे प्रभाव है जहां समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि के कारण वायुमंडलीय जलवायु में परिवर्तन आ जाता है और इसका सीधा असर मानसून पर पड़ता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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