लॉक डाउन ने बिगाड़ा शिक्षा व्यवस्था का स्वास्थ्य, यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को दिए यह उपचार

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अंकित सिंह । Apr 30 2020 5:14PM

आयोग ने कहा है कि कोविड-19 के मद्देनजर छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता है और उनकी ग्रेडिंग 50 प्रतिशत आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर और शेष 50 प्रतिशत पिछले सेमेस्टर के प्रदर्शन के आधार पर किया जा सकता है।

कोरोना महामारी ने पूरे तरीके से मानव जीवन को प्रभावित किया है। इस महामारी के कारण विश्व के अनेक देशों में लॉक डाउन है। भारत में भी 3 मई तक लॉक डाउन है। इस लॉक डाउन की वजह से सबसे ज्यादा जो चीज है प्रभावित हो रही है वह देश की शिक्षा व्यवस्था है। सीबीएसई की 10वीं और12वीं के एग्जाम तक पूरे नहीं हुए हैं तो कई राज्यों में भी परीक्षाएं समय पर नहीं हो सकी है। 1 से 9वीं तक के कक्षा वाले विद्यार्थियों को अगले कक्षा में प्रवेश करने के आदेश तो दिए जा चुके हैं लेकिन कुछ ऐसी जगह भी है जहां इस तरीके के आदेश देना गलत होगा। इसी को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग में शैक्षणिक शोध कार्यों में हुई रुकावट को दूर करने के लिए नया दिशा निर्देश जारी किया है। यह दिशानिर्देश शिक्षण संस्थानों में आयोजित परीक्षाओं, शैक्षणिक सत्र की शुरुआत तथा प्रवेश प्रक्रियाओं जैसी चीजों को स्पष्ट करता है। 

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विभिन्न विषयों में शोध कर रहे विद्यार्थियों के लिए भी इसमें नियम बनाए गए हैं। यूजीसी द्वारा जारी निर्देशों में विश्वविद्यालयों, संबंद्ध महाविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से कहा गया है कि यूजीसी रेगुलेशन 2016 के क्लॉज 9.6 से 9.9 को पूरा करने के लिए आवश्यक के वाइवा विद्यार्थियों से वीडियो कॉफ्रेंसिग के जरिए पूरे किए जा सकते हैं। आयोग ने इस बात का भी ध्यान रखने के लिए कहा है कि इस काम में उपयोग किए जा रहे तकनीक विश्वसनीय होनी चाहिए। वाइवा को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कराने के लिए गूगल, स्काइप, माइक्रोसॉफ्ट टेक्नोलॉजी या किसी अन्य साधन का प्रयोग किया जा सकता है लेकिन इस बात का भी ध्यान होना चाहिए कि विश्वविद्यालय और शोधकर्ता दोनों के लिए यह सुगम हो।

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यूजीसी ने इसके अलावा कुछ अन्य दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं उसके बारे में हम आपको बताते हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विश्वविद्यालयों से कहा कि नए छात्रों के लिए सितंबर से तथा पहले से पंजीकृत छात्रों के लिए अगस्त से शैक्षिक सत्र शुरू किया जा सकता है। आयोग ने परीक्षाओं और शैक्षिक कार्यक्रम के लिए दिशा-निर्देश में कहा है कि अंतिम सेमेस्टर के छात्रों की परीक्षा जुलाई में आयोजित की जा सकती है। यूजीसी ने कहा है, ‘‘बीच के सत्र के छात्रों को पूर्व और मौजूदा सेमेस्टर के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर ग्रेड दिए जाएंगे। जिन राज्यों में कोरोना वायरस की स्थिति सामान्य हो चुकी है वहां जुलाई के महीने में परीक्षाएं होंगी। विश्विवद्यालय कोविड-19 की स्थिति और व्यवहार्यता को देखते हुए जुलाई में आनलाइन या आफलाइन माध्यम से सेमेस्टर परीक्षा आयोजित कर सकते हैं और परीक्षा की अवधि को तीन घंटे से घटाकर दो घंटा किया जा सकता है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने अपनी सिफारिशों में यह कहा है। 

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आयोग ने कोविड-19 महामारी एवं लॉकडाउन के मद्देनजर विश्वविद्यालयों के लिये परीक्षा एवं अकादमिक कैलेंडर संबंधी दिशानिर्देशों का ब्यौरा देते हुए कहा कि अंतिम सेमेस्टर के छात्रों के लिये परीक्षा जुलाई में आयोजित की जाए। यूजीसी ने कहा है कि, ‘‘ विश्वविद्यालय परीक्षा आयोजित करने के वैकल्पिक एवं सरल उपायों को अपना सकते हैं ताकि प्रक्रिया कम समय में पूरी की जा सके। वे परीक्षा की अवधि को तीन घंटे से घटाकर दो घंटे कर सकते हैं।’’ इसमें कहा गया है कि वे परीक्षा की योजना, नियम एवं नियमन के अनुसार आनलाइन या आफलाइन परीक्षा ले सकते हैं और इसमें सामाजिक दूरी के दिशा निर्देशों का जरूर पालन करें, साथ ही यह सुनिश्चित करें कि सभी छात्रों को उचित मौका मिले। आयोग ने कहा है कि कोविड-19 के मद्देनजर छात्रों की सुरक्षा और स्वास्थ्य पहली प्राथमिकता है और उनकी ग्रेडिंग 50 प्रतिशत आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर और शेष 50 प्रतिशत पिछले सेमेस्टर के प्रदर्शन के आधार पर किया जा सकता है।

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