लोकसभा ने जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन विधेयक 2018 को मंजूरी दी

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[email protected] । Feb 13 2019 3:40PM

शर्मा ने स्पष्ट किया कि वर्तमान सरकार स्वतंत्रता से जुड़े ऐसे स्मारकों को राजनीति से दूर रखना चाहती है और इसलिये यह विधेयक ले कर आई है।

 नयी दिल्ली। लोकसभा ने बुधवार को जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन विधेयक 2018 को मंजूरी दे दी जिसमें न्यासी के रूप में ‘भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष’ को हटाने का प्रस्ताव किया गया है। विधेयक में जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम 1951 का और संशोधन करने की बात कही गई है। सदन में विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए संस्कृति मंत्री महेश शर्मा ने कहा कि आजादी के बाद जैसे भारत का सपना स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा था, उसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पूरा कर रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े ऐसे स्मारक में कोई राजनीतिक दल क्यों शामिल रहे? कांग्रेस पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जब 16 मई 2014 को चुनाव परिणाम आ गया था और यह स्पष्ट हो गया था कि सरकार बदल रही है, ऐसे समय में कांग्रेस की तब की सरकार ने अंतिम समय में नेहरू स्मारक ट्रस्ट में कांग्रेस अध्यक्ष की कार्यावधि को बढ़ा दिया।

शर्मा ने स्पष्ट किया कि वर्तमान सरकार स्वतंत्रता से जुड़े ऐसे स्मारकों को राजनीति से दूर रखना चाहती है और इसलिये यह विधेयक ले कर आई है। उन्होंने कहा कि जलियांवाला बाग स्मारक में लाइट एंड साउंड की व्यवस्था को दुरूस्त करने की पहल की गई और 24 करोड़ रूपये जारी किये गए। वहां डिजिटल लाइट एंड साउंड की व्यवस्था शुरू की जा रही है। मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार के तहत ही महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनायी गई, बाबा साहब से जुड़़े पंचतीर्थ का विकास किया गया, सुभाष चंद्र बोस के संस्मरण में संग्रहालय बना, सरदार पटेल की प्रतिमा स्थापित हुई और गुरूनानक देव का 500वां प्रकाश वर्ष मना रहे हैं। कांग्रेस और वामदलों ने विधेयक का विरोध किया। मंत्री के जवाब के बाद कांग्रेस ने सदन से वाकआउट किया।

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विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक अधिनियम 1951 को अमृतसर में जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल 1919 को मारे गए और घायल हुए व्यक्तियों की स्मृति को कायम रखने के लिये स्मारक के निर्माण एवं प्रबंध का उपबंध करने के लिये अधिनियमित किया गया था। इसमें स्मारक के निर्माण और प्रबंध के लिये एक न्यास का उपबंध और कुछ आजीवन न्यासियों सहित न्यास की संरचना का भी उपबंध किया गया है। इसमें कहा गया है कि वर्तमान में न्याय की संरचना में कुछ असंगतियां देखी गई है। इसमें एक दल विशेष के न्यासी बनने और लोकसभा में विरोधी दल के नेता को एक न्यासी बनाने का उपबंध है। इन न्यासियों की पदावधि पांच वर्ष है और अवधि से पहले समाप्त करने का अधिनियम में कोई उपबंध नहीं है।

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