लखनऊ के कबाब, कोरमा, नाहरी और शीरमाल के जायके के आज भी कायल हैं कद्रदान

lucknow-s-kebab-korma-nahari-and-sheermal-are-still-known-as-flavors
[email protected] । Jul 14 2019 1:50PM

शहर के मशहूर और पुराने व्यंजनों की बात करें तो खान ने अमीनाबाद की ‘प्रकाश की कुल्फी’ का नाम लिया। इसी तरह पुराने शहर की गलियों में सुबह सवेरे ‘मक्खन मलाई’ के फेरी वालों का भी बहुत लोगों को इंतजार रहता है।

लखनऊ। अपनी नजाकत, नफासत और तहजीब के लिए जमाने भर में मशहूर  नवाबों के शहर  लखनऊ के गली कूचों में पीढ़ियों से बनाए और खिलाए जाने वाले ‘कबाब’, ‘कोरमा’, ‘नाहरी’, ‘शीरमाल’, ‘रूमाली रोटी’ और ढेरों अन्य व्यंजनों के चाहने वाले आज भी इनके जायके के कायल हैं। लखनऊ विश्वविद्यालय में सत्तर के दशक में छात्र राजनीति कर चुके मोहम्मद हुसैन खान इस समय नक्खास में अपने बच्चों सहित बिरयानी एवं कबाब की दुकान चला रहेहैं। उन्होंने कहा, ‘‘शहर में हर तरफ जायके के मेले हैं। अमीनाबाद में नाज सिनेमा के पास मशहूर ‘टुण्डे कबाब’ खाइए। शाकाहारी हैं तो ‘लखनऊ की चाट’ का मजा लीजिए या फिर आलू टिक्की, दही बड़े, मटर के कबाब, मक्खन मलाई, कुल्फी फालूदा, बास्केट चाट और छोले भटूरे खाइए। लजीज व्यंजन के बाद लखनवी पान यहां की संस्कृति का अभिन्न अंग है।’’ लखनवी जायके के कद्रदान अमित कुण्डू कहते हैं, गलावटी कबाब’ लखनऊ का सबसे प्रसिद्ध कबाब है। बेहतरीन मसालों के साथ खास अंदाज में पकाया जाने वाला यह व्यंजन मुंह में डालते ही घुल जाता है और इनका स्वाद रूह तक को सुकून देता है। इस क्रम में कुण्डू  काकोरी कबाब  का भी जिक्र करते हैं। मीठे की बात करें तो वह मुंह में पानी लाने वाले शीरमाल का नाम लेना नहीं भूलते।

इसे भी पढ़ें: अगर आप भी जल्दी- जल्दी खाते है खाना तो ज़रूर होंगी ये समस्याएं

चारबाग स्थित मुख्य स्टेशन के पास नानवेज प्वाइंट चलाने वाले सरदार गुरमीत सिंह ने  बोटी कबाब  को शानदार बताया और कहा कि सदियों से एक ही तरह पकाए जाने वाले इस परंपरागत मुगलई पकवान को खाने वाले उंगलियां चाटते रह जाते हैं। इसी तरह लखनऊ के ‘टुण्डे कबाब’ न खाए जो यहां आना बेकार। ‘टुण्डे कबाब’ बनाने के लिये लगभग 100 प्रकार के मसालों का प्रयोग किया जाता है। ये बेहद मुलायम होते हैं और बनाने में जरा लापरवाही हो तो बिखर जाते हैं। अब तो इसके चाहने वाले दूर दूर तक हैं और बेंगलूर तथा अन्य कुछ शहरों में भी इसकी एक शाखा खोल दी गई है। स्थानीय थियेटर कलाकार सुनील बहादुर सिंह को सींक कबाब जैसा कुछ नहीं लगता। इसी तरह चना दाल को पीस कर बनने वाले शामी कबाब भी लच्छेदार प्याज और रोटी के साथ खूब मजा देते हैं। ‘मटन बिरयानी’ हो या ‘लखनवी बिरयानी’, अपने खास मसालों और बनाने के तरीके के कारण इसके जैसा स्वाद कहीं और मिलना मुश्किल है। खान ने ‘तंदूरी चिकन’ को लजीज खाने के शौकीन लोगों की पहली पसंद बताया। उनके अनुसार लखनऊ के  पाया की निहारी  एक ऐसी जबरदस्त डिश है, जिसे रात में छह से सात घंटों तक धीमी आंच पर पकाया जाता है। उन्होंने कहा,‘नाहर’ एक उर्दू शब्द है, जिसका अर्थ होता है सुबह और इसीलिए ये डिश सुबह-सुबह लखनऊ में धड़ल्ले से बिकती है । निहारी को कुल्चे के साथ खाया जाता है। भारी खाने के बाद गुलकंद वाले मीठे पान और तरह तरह के अन्य पान की लज्जत के क्या कहने। 

इसे भी पढ़ें: गुजरातियों का फेवरिट स्नैक है फाफड़ा जलेबी, जानें बनाने का तरीका

शहर के मशहूर और पुराने व्यंजनों की बात करें तो खान ने अमीनाबाद की ‘प्रकाश की कुल्फी’ का नाम लिया। इसी तरह पुराने शहर की गलियों में सुबह सवेरे ‘मक्खन मलाई’ के फेरी वालों का भी बहुत लोगों को इंतजार रहता है। होम साइंस की शिक्षिका मंजुला जोशी ने बताया कि लीला सिनेमा के पास ‘बाजपई के खस्ते, कचौड़ी और छोले की दुकान पर हमेशा भीड़ रहती है। इसके अलावा शहर के गली कूचों में सैकड़ों ऐसी दुकाने हैं जो पीढ़ियों से इस शहर के जायके और लज्जत की विरासत संभाले हुए हैं। लखनऊ के राजा बाजार में मिठाई की पुरानी दुकान  त्रिवेदी मिष्ठान्न भंडार  है। यहां की मशहूर ‘दूध की बर्फी’ का जिक्र करते हुए कीर्ति त्रिवेदी ने बताया,  हमें गर्व है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने हमारे यहां की ‘दूध की बर्फी’ पसंद की। खाने के बाद मीठे की तलब लगने पर वह हमारे यहां की दूध की बर्फी बड़े चाव से खाया करते थे।  

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़