मध्य प्रदेश चुनाव: आदिवासी समूह भी चुनावी मैदान में

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[email protected] । Sep 6 2018 3:22PM

जब मध्य प्रदेश में सामान्य जाति के लोग एससी/एसटी कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसे में एक आदिवासी समूह ने कहा कि वह राज्य में आदिवासी सरकार बनाने के लिए साल के अंत में होने वाला विधानसभा चुनाव लड़ेगा।

नयी दिल्ली। जब मध्य प्रदेश में सामान्य जाति के लोग एससी/एसटी कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं, ऐसे में एक आदिवासी समूह ने कहा कि वह राज्य में आदिवासी सरकार बनाने के लिए साल के अंत में होने वाला विधानसभा चुनाव लड़ेगा। जन आदिवासी युवा शक्ति (जेएवाईएस) साल 2012 में फेसबुक पर एक समूह के तौर पर शुरू हुआ था। जेएवाईएस के संस्थापक हीरालाल अलावा ने दावा किया कि छह वर्षों में इसके मध्य प्रदेश, झारखंड, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और ओडिशा समेत 10 राज्यों में करीब 15 लाख सदस्य बने हैं। अलावा 2016 तक नई दिल्ली के एम्स में डॉक्टर थे। इसके बाद वह ‘‘आदिवासी लोगों के अधिकारों की लड़ाई को अगले स्तर तक ले जाने के लिए’’ अपने गृहनगर धार जिले लौटे।

उन्होंने कहा, ‘‘हम दस राज्यों के उन इलाकों में आदिवासी आबादी को साथ ला रहे हैं जहां संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत अनुसूचित इलाकों की घोषणा की जा चुकी है।’’।।उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘कुपोषण के कारण बड़ी संख्या में आदिवासी बच्चे मर रहे हैं। सैकड़ों लोगों को उनके इलाकों से विस्थापित किया जा रहा है। सरकार आदिवासी गांवों में बिजली और पीने का पानी मुहैया कराने में विफल रही है।’’ अलावा ने कहा कि आदिवासी बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच नहीं है। भ्रष्टाचार के कारण ऐसे इलाकों तक विकास निधि नहीं पहुंच पाती। सरकार की मनरेगा योजना के तहत भी कोई रोजगार नहीं है।

जेएवाईएस संस्थापक ने आरोप लगाया कि संसद में 47 नेता आदिवासी आबादी का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं तथा राज्य विधानसभाओं में करीब 600 आदिवासी विधायक हैं लेकिन वे अपने लोगों के मुद्दों को उठाने में अप्रभावी रहे हैं। आदिवासी सांसद और विधायक अपनी पार्टी का प्रचार करने में व्यस्त हैं।।जेएवाईएस ने हाल ही में धार जिले के मनावर में महापंचायत बुलाई थी जहां करीब 50,000 आदिवासियों ने मध्य प्रदेश सरकार के 32 आदिवासी गांव अल्ट्राटेक को देने के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन किया। अलावा ने कहा कि सरकार ने विस्थापित लोगों को बेहद कम मुआवजा दिया।।उन्होंने कहा, ‘‘जनता तक आवाज पहुंचाने के लिए जेएवाईएस ने 47 एसटी के लिए आरक्षित सीटों और 33 अन्य सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इनमें से प्रत्येक सीट पर 40,000 से 50,000 आदिवासी मतदाता हैं। हमारा नारा ‘अबकी बार आदिवासी सरकार’ है।’’

उन्होंने कहा कि जेएवाईएस आदिवासियों के लिए काम करने को इच्छुक किसी भी पार्टी को समर्थन देने के लिए तैयार है। अलावा ने कहा कि कांग्रेस जेएवाईएस से बात कर रही है और उनका समूह पार्टी को समर्थन दे सकता है। हालांकि, भारतीय जनता पार्टी जेएवाईएस को एक चुनौती नहीं मानती है और वह ऊंची जाति के ओबीसी समूहों के प्रदर्शनों को लेकर ज्यादा चिंतित है।।भाजपा के एक नेता ने गोपनीयता की शर्त पर कहा कि ऐसी धारणा है भाजपा को ऊंची जातियों और ओबीसी वर्गों से अधिकतम वोट मिलते हैं। साथ ही जेएवाईएस के कई नेताओं ने समूह के भीतर ‘‘आंतरिक मतभेदों’’ के चलते इसका साथ छोड़ दिया है। 

आदिवासियों के मुद्दे पर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा, ‘‘हमारी सरकार समाज के हर वर्ग को आगे लेकर जा रही है। हम हर किसी के लिए काम कर रहे हैं।’’ ऊंची जाति-ओबीसी के प्रदर्शनों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘यह संवेदनशील मुद्दा है और इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहिए।’’ एससी/एसटी कानून के खिलाफ प्रदर्शन पर अलावा ने कहा, ‘‘इन ऊंची जाति के समूहों ने दलितों और अनुसूचित जनजातियों पर अत्याचार किए। यह लंबे समय से चल रहा है। हम इसके विरुद्ध आंदोलन शुरू कर सकते हैं।’’

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