मध्यप्रदेश मना रहा अपना 64 वां स्थापना दिवस, कैसे बना मध्यप्रदेश राज्य जाने

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जिसके पहले राज्यपाल डॉ. भोगराजू पट्टाभि सीतारमैया, मुख्यमंत्री पंडित रवि शंकर शुक्ल थे। मध्यप्रदेश राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में पंडित रविशंकर शुक्ल को शपथ दिलाने से पहले राज्यपाल डॉ. सीतारमैया को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हिदायतुल्ला ने शपथ दिलाई थी।

मध्यप्रदेश की स्थापना को 64 साल पूरे हो गए है। राज्य की कमलनाथ सरकार प्रदेश के 64वें स्थापना दिवस पर पूरे राज्य में रंगारंग कार्यक्रम करवा रही है। प्रदेश की राजधानी भोपाल के लाला परेड ग्राउंड में स्थापना दिवस के मौके पर मुख्य समारोह का आयोजन किया गया है। वही प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है। तीन दिनों तक चलने वाले स्थापना दिवस के इस भव्य कार्यक्रम में देश के प्रख्यात रंगकर्मी हिस्सा ले रहे है। इस मौके पर राज्य सरकार पिछले 64 सालों में मध्यप्रदेश के विकास की गाथा लोगों को बताएगी।

मध्यप्रदेश राज्य के स्थापना के 64 साल पूरे होने पर इतिहास के कुछ पन्ने ऐसे भी है जिसमें मध्यप्रदेश राज्य के गठन को लेकर कई कहानीयाँ है। 64 साल पहले 01 नवम्बर 1956 को भोपाल रियासत, मध्यभारत, विंध्यप्रदेश, महाकौशल, बुंदेलखंड, छत्तीसगढ़ के चौदह जिले और राज्स्थान की सिरोंज तहसील की अदला-बदली मंदसौर के सुनेल टप्पा से करके नया राज्य मध्यप्रदेश भाषाई आधार पर गठित हुआ था। जिसके पहले राज्यपाल डॉ. भोगराजू पट्टाभि सीतारमैया, मुख्यमंत्री पंडित रवि शंकर शुक्ल थे। मध्यप्रदेश राज्य के पहले मुख्यमंत्री के रूप में पंडित रविशंकर शुक्ल को शपथ दिलाने से पहले राज्यपाल डॉ. सीतारमैया को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस हिदायतुल्ला ने शपथ दिलाई थी।

राजनीतिनामा मध्यप्रदेश राजनेताओं के किस्से (1956 से 2003) के लेखक दीपक तिवारी बताते है कि एक नवम्बर 1956 को जिस समय मध्यप्रदेश का जन्म हुआ, वह अमावस्या की रात थी। राज्यपाल डॉ. सीतारमैया जब आधी रात को नवनियुक्त मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल को लालकोठी कहे जाने वाले, आज के राजभवन में शपथ दिला रहे थे तभी किसी ने याद दिलाया कि आज तो अमावस्या की रात है। शपथ ले रहे शुक्ल पहले तो थोड़ा असहज हुए, फिर बोले पर इस अंधेरे को मिटाने के लिए हजारों दिये तो जल रहे है। वह शपथ वाली रात दीपावली की भी रात थी।

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दीपक तिवारी बताते है कि नागपुर राजधानी में रविशंकर शुक्ल सन् 1946 से मध्य प्रांत के मुख्यमंत्री के रूप में रह रहे थे। मध्य प्रांत जिसमें विदर्भ के कई जिले शामिल थे, आजादी के पहले सेन्ट्रल प्रॉविन्स और बरार के नाम से जाना जाता था। शपथ वाले दिन ही 80 साल के शुक्ल, उसी शाम को पुराने मध्यप्रदेश की राजधानी नागपुर से भोपाल, जीटी एक्सप्रेस से पहुँचे थे। रास्ते में जगह-जगह कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया और इटारसी रेलवे स्टेशन पर सैकड़ो कार्यकर्ता उनका अभिनंदन करने पहुँचे। भोपाल रेलवे स्टेशन से उन्हें जुलूश की शक्ल में लाया गया। हालांकि ठीक दो माह बाद 31 दिसंबर 1956 को उनका देहांत हो गया।

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वरिष्ठ पत्रकार और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्याल के कुलपति दीपक तिवारी बताते है कि मध्यप्रदेश का जन्म एक विचित्र संयोग था। यहाँ के रहने वाले लोगों ने कभी किसी ऐसे प्रदेश की मांग नहीं की ती। लेकिन जब आंध्रप्रदेश में दिसंबर 1952 में श्रीरामुलु नाम का एक व्यक्ति तेलगु भाषी राज्य की माँग को लेकर भूख हड़ताल करते हुए मर गया और आंध्रप्रदेश राज्य बना दिया गया तब देश के बाकी इलाके भी भाषाई आधार पर राज्य बनाने की माँग करने लगे। कांग्रेस पार्टी जो कि सन 1920 से भाषायी आधार पर राज्यों को बनाने की बात कर रही थी, आजादी के बाद बदल गई थी। ऐसा उसने 1948 के एस.के.धर कमीशन की सिफारिश पर किया। लेकिन जब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने मराठी भाषा के लोगों के लिए महाराष्ट्र राज्य की माँग की और आंध्रप्रदेश की घटना हो गई। तब सुप्रिम कोर्ट के जज सर सैयद फजल अली की अध्यक्षता और कवालम माधव पाणिक्कर एवं डॉ.हृदयनारायण कुंजरू की सदस्यता में राज्य पुर्नगठन आयोग सन 1955 में बना दिया गया। इस आयोग ने भाषाई आधार पर 16 राज्य औ तीन केन्द्र शासित राज्यो की सिफारिश की। मध्यप्रदेश राज्य की स्थापना में आयोग ने केवल इतना किया कि जो छोटे राज्य थे और बाकी के राज्यों से बचे हिस्से को जोड़कर नया राज्य बना दिया। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने जब मध्यप्रदेश का नक्शा देखा तो उन्होनें कहा कि क्या ऊँट की तरह दिखने वाला राज्य बना दिया।

मध्यप्रदेश की स्थापना के समय प्रदेश में 43 जिले थे। राजधानी बनाए जाने के बाद सन 1972 में भोपाल को भी जिला बना दिया गया। वर्तमान में प्रदेश में 51 जिले है। जबकि सन 2000 में भाषाई आधार पर मध्यप्रदेश के 14 जिले अलग कर 01 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना की गई। वर्तमान में मध्पप्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार है जिसके मुख्यमंत्री कमलनाथ है, वही प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन है।

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