घाटी के मुख्य धारा के कुछ नेता लोगों को ‘‘भड़काने’’ का प्रयास कर रहे: कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक

Jammu and Kashmir Police

उन्होंने कहा, ‘‘लोग, मीडिया ने नयी भर्ती के बारे में बहुत बात की, दिल्ली मीडिया द्वारा कई लेख लिखे गए कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद (कश्मीर में आतंकवाद में) तेजी आएगी लेकिन लोगों, परिवारों के सहयोग से हम इसे काफी हद तक रोकने में सफल रहे हैं।’’

श्रीनगर|  कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने घाटी में मुख्यधारा के नेताओं पर लोगों को ‘‘उकसाने’’ की कोशिश करने के लिए शुक्रवार को निशाना साधा। कुमार ने साथ ही यह भी कहा कि नेताओं या मीडिया को पुलिस जांच को गलत करार देने का कोई अधिकार नहीं है और केवल अदालत ही यह तय कर सकती है।

कश्मीर के पुलिस महानिरीक्षक कुमार ने कश्मीर जोन पुलिस की उपलब्धियों को सूचीबद्ध करने के लिए यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया।

उन्होंने नेताओं से कहा कि वे जनता को भड़काने और ‘‘युवाओं को बर्बाद करने’’ में लिप्त न हों।

कुमार ने कहा कि 2021 में घाटी की स्थिति में सुधार हुआ है, जो मुख्यधारा के कुछ नेताओं या कुछ मीडियाकर्मियों के दावे के विपरीत है। पुलिस महानिरीक्षक के संवाददाता सम्मेलन के लिए कुछ चुनिंदा मीडियाकर्मियों को ही आमंत्रित किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ राजनीतिक दल के नेता, मीडिया का एक वर्ग, यह कहते रहते हैं कि स्थिति में सुधार नहीं हुआ है। कुछ ने तो यहां तक ​​कह दिया है कि स्थिति 1990 के दशक जैसी है। जमीनी हकीकत से पता चलता है कि वे जो कह रहे हैं वह गलत है। स्थिति में काफी सुधार हुआ है।’’

उन्होंने ब्योरा देते हुए कहा कि पिछले साल कश्मीर में 238 आतंकी घटनाएं हुईं थीं, जबकि इस साल 192 आतंकी घटनाएं हुईं।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले साल मारे गए नागरिकों की संख्या 37 थी, जबकि इस साल यह 34 है, जबकि आतंकवादियों ने खुलेआम कहा था कि वे नागरिकों, राजनीतिक कार्यकर्ताओं और सुरक्षा बलों की हत्या करेंगे।

सिर्फ अपने अपराध को छिपाने के लिए, उसे वैध बनाने के लिए वे उन्हें मुखबिर कहते हैं। हमने लोगों की सुरक्षा के लिए कई ऐहतियाती कदम उठाये।’’

उन्होंने कहा कि कुछ नेता आतंकवादियों द्वारा नागरिकों एवं पुलिसकर्मियों की हत्याओं को ‘‘तर्कसंगत’’ बना रहे हैं और यह सुरक्षा बलों के लिए एक चुनौती है।

उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से, हम देखते हैं कि कुछ नेता भी हत्याओं को सही ठहरा रहे हैं। खूंखार आतंकी (टीआरएफ कमांडर) मेहरान (शल्ला) के मुठभेड़ की तस्वीर के साथ यह कहने की क्या जरुरत थी कि यह क्रूर था, मानवाधिकारों का हनन है। उसने कई नागरिकों की हत्या की थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘क्या (टीआरएफ प्रमुख) अब्बास (शेख) जैसे आतंकवादी को मुठभेड़ में मारना क्या गलत है? उसके साथ सहानुभूति क्यों दिखाएं। ये गलत है? मैं नेताओं से कहना चाहता हूं, उनसे इसे रोकने का अनुरोध करता हूं, यह गलत है, आप युवाओं, समाज को नष्ट कर रहे हैं।’’

नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला द्वारा हैदरपोरा मुठभेड़ में पुलिस की विशेष जांच टीम (एसआईटी) की जांच को ‘‘गलत’’ करार किये जाने के बारे में पूछे जाने पर, कुमार ने कहा, नेताओं को जांच से संतुष्ट नहीं होने और एक उच्च स्तरीय जांच की मांग करने का अधिकार है लेकिन उन्हें जांच को गलत बताने का कोई अधिकार नहीं है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह एक लोकतांत्रिक व्यवस्था है और मीडियाकर्मियों, नेताओं और परिवारों को जांच से संतुष्ट नहीं होने और एनआईए, सीबीआई, उच्च न्यायालय से उच्च स्तरीय जांच की मांग करने का अधिकार है। हमें इससे कोई आपत्ति नहीं है लेकिन, केवल अदालत ही तय कर सकती है कि कोई जांच गलत है या नहीं।’’

आईजीपी ने कहा कि एसआईटी ने घटना की जांच की और आरोपपत्र तैयार करेगी जिसे वह अदालत में पेश करेगी जो न्यायिक समीक्षा करेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘एक न्यायाधीश ही तय करेंगे कि जांच गलत है या नहीं। कोई भी नेता, परिवार का सदस्य या मीडिया वाला ऐसा नहीं कर सकता या यह नहीं कह सकता है कि यह ‘गढ़ा’ हुआ है, उन्हें ऐसा कोई अधिकार नहीं है।’’

अब्दुल्ला का जिक्र करते हुए कुमार ने कहा कि नेशनल कान्फ्रेंस अध्यक्ष एक मुख्यमंत्री रहे हैं जिनके अधीन गृह विभाग आता है और इसलिए वह समझते हैं कि पुलिसिंग क्या है।

कश्मीर पुलिस प्रमुख ने अफगानिस्तान के तालिबान के सत्ता पर नियंत्रण करने के प्रभाव के बारे में बात करने के लिए राजधानी दिल्ली की मीडिया पर भी कटाक्ष किया।

उन्होंने कहा, ‘‘लोग, मीडिया ने नयी भर्ती के बारे में बहुत बात की, दिल्ली मीडिया द्वारा कई लेख लिखे गए कि तालिबान के सत्ता में आने के बाद (कश्मीर में आतंकवाद में) तेजी आएगी लेकिन लोगों, परिवारों के सहयोग से हम इसे काफी हद तक रोकने में सफल रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि पिछले साल 167 युवा आतंकवाद में शामिल हुए थे, जबकि इस साल केवल 128 युवा ही आतंकवाद में शामिल हुए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘128 में से 30 को उनके शामिल होने के एक महीने के भीतर ही मार गिराया गया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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