माल्या को मिली राहत से भारत के किए-कराए पर फिर सकता है पानी
न्यायालय के इस फैसले से माल्या के प्रत्यर्पण में देरी तो होगी ही साथ ही साथ माल्या खुद को बेगुनाह सबित करने के लिए अब नए-नए हथकंडों का इस्तेमाल कर सकेगा।
ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने शराब कारोबारी विजय माल्या को थोड़ी राहत देते हुए उसे भारत के हवाले किए जाने के आदेश के खिलाफ अपील की अनुमति दे दी। न्यायालय का यह फैसला भारत के लिए एक झटका हो सकता है। माल्या को भारत में भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है और भारतीय जांच एजेंसियों की अर्जी पर लंदन की निचली अदाल ने उनके प्रत्यर्पण का आदेश दिया है। न्यायालय के इस फैसले से माल्या के प्रत्यर्पण में देरी तो होगी ही साथ ही साथ माल्या खुद को बेगुनाह सबित करने के लिए अब नए-नए हथकंडों का इस्तेमाल कर सकेगा।
God is great.Justice prevails. A Division Bench of the English High Court with two senior Judges allowed my application to appeal against the Magistrates Judgement on the prima facie case and charges by the CBI. I always said the charges were false.
— Vijay Mallya (@TheVijayMallya) July 2, 2019
ब्रिटेन के उच्च न्यायालय ने क्या आदेश दिया
रॉयल कोर्ट आफ जस्टिस की दो सदस्यीय पीठ ने प्रत्यर्पण के खिलाफ माल्या की ओर से पेश दलीलों को सुना। दलीलें सुनने के बाद अदालत ने माल्या को भारत के हवाले किए जाने के आदेश के अपील की अनुमति दी। पीठ ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि माल्या को प्रत्यर्पित किए जाने के बारे में वेस्टमिनिस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की जज एम्मा आर्बुथनॉट ने अपने फैसले में जो निष्कर्ष रखे हैं उनमें से कुछ के खिलाफ तर्क दिए जा सकते हैं।
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पहले क्या हुआ था
फरवरी में ब्रिटेन के गृह मंत्री साजिद जावीद ने शराब कारोबारी विजय माल्या को करारा झटका देते हुए उसे भारत प्रत्यर्पित करने का आदेश दिया था। उन्होंने माल्या को भारतीय अधिकारियों के हवाले किए जाने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए थे। इससे पहले लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की अदालत ने 10 दिसंबर 2018 को कहा था कि 63 साल के कारोबारी माल्या को भारतीय अदालतों के समक्ष जवाब देना होगा। ब्रिटेन सरकार का यह फैसला मोदी सरकार की कूटनीतिक जीत मानी जा रही थी। बाद में ब्रिटेन के उच्च न्यायालय में अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ माल्या ने अपील की थी।
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माल्या ने क्या कहा
न्यायालय द्वारा अपने प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ अपील की अनुमति देने के फैसले के बाद माल्या ने कहा कि मेरी बात सही ठहरायी गयी है। माल्या ने कहा कि मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप मनगढ़ंत हैं। माल्या ने साथ ही भारतीय बैंकों की बकाया राशि चुकाने की अपनी पेशकश को दोहराया। माल्या ने कहा, ‘‘मैं हमेशा कहता रहा हूं कि ये आरोप असत्य हैं। गढ़े गए हैं और इनका कोई आधार नहीं हैं। मेरा मानना है कि मेरी बात सही ठहरायी गयी है।’’ उन्होंने कहा कि मैं अब भी चाहता हूं कि बैंक अपना पूरा पैसा ले लें, उनको जो करना है करें, मुझे शांति से रहने दें। माल्या यह भी कहते है कि वह अपने कर्मचारियों का बयाका वेतन भी चुकता करेंगे। इससे पहले माल्या ने भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि उनको ‘पोस्टर बॉय’की तरह इस्तेमाल करना बंद किया जाए।
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माल्या पर क्या है आरोप
माल्या भारतीय बैंकों के साथ 9,000 करोड़ रुपये के बकाए में धोखाधड़ी और मनी लांड्रिंग करने के आरोप में वांछित है और वह 2016 से लंदन में है। माल्या को सभी तरह के लोन मनमोहन सिंह की सरकार में दिए गए थे। किंगफिशर एयरलाईन के घाटे में जाने के बाद माल्या यह लोन नहीं चुका सका। वह राज्यसभा सदस्य भी रहा है और मोदी सरकार के कार्यकाल में देश से भागने में कामयाब रहा। माल्या 16 जून को भारत-पाकिस्तान मैच देखने स्टेडियम पहुंचा था जिसे देखने के बाद भारतीयों ने चोर-चोर के नारे लगाए थे।
अब क्या होगा
अदालत का फैसला माल्या के पक्ष में गया है। इस फैसले के बाद पूरे केस पर सुनवाई फिर से होगी। माल्या को दोबारा से अपील करने का मौक़ा मिल गया है। अब माल्या के प्रत्यर्पण में देरी हो सकती है। भारत सरकार को भी अब उसके खिलाफ नए सिरे से रणनीति तैयार करनी होगी। अब तक के किए-कराए पर पानी फिर सकता है।
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