Collegium में केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों वाले सुझाव पर ममता बनर्जी को सताने लगा इस बात का डर!

केंद्र सरकार द्वारा कॉलेजियम पर सुप्रीम कोर्ट को लिखे पत्र के सवाल पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। ममता बनर्जी ने कहा कि न्यायपालिका को आज़ादी होनी चाहिए। अगर कॉलेजियम में केंद्र सरकार का प्रतिनिधी रहेगा तो राज्य सरकार का भी प्रतिनिधी होना चाहिए। लेकिन जब राज्य सरकार कॉलेजियम के लिए अपनी सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट (SC) भेजेगी तो वह (SC) उसे केंद्र सरकार को भेजेगी। ऐसे में राज्य सरकार की सिफारिश का कोई मतलब नहीं रह जाएगा और केंद्र सरकार न्यायपालिका में दखल देना शुरू करेगी। यह हम नहीं चाहते।
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बता दें कि कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि सरकार की ओर से उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के कॉलेजियम में केंद्र और राज्यों के प्रतिनिधियों को शामिल करने की मांग राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम (एनजेएसी) को रद्द करने के दौरान शीर्ष अदालत द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार की गई कार्रवाई है। रिजीजू ने जनवरी के शुरुआत में भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) को पत्र लिखा था और इस बारे में उनकी टिप्पणी उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच चल रही खींचतान की पृष्ठभूमि में आई है।
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वहीं कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सरकार अपने ‘‘वैचारिक आकाओं’’ के अनुकूल लोगों की नियुक्ति होने तक ‘‘फूट डालकर और गतिरोध पैदा करके’’ न्यायाधीशों की नियुक्तियों में जानबूझकर देरी कर रही है। पार्टी की यह नयी टिप्पणी तब आयी है जब एक दिन पहले उसने कहा कि सरकार न्यायपालिका पर पूरी तरह कब्जा जमाने की कवायद के तौर पर उसे धमका रही है और उसने आरोप लगाया कि कॉलेजियम प्रणाली के पुनर्गठन का कानून मंत्री किरेन रीजीजू का सुझाव न्यायपालिका के लिए ‘‘जहर’’ है।
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