मोदी से ममता हुई फिर खफा, कहा- बंगाल का नाम क्यों नही बदल रही सरकार

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[email protected] । Nov 15 2018 11:11AM

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर ‘बांग्ला’ करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने में कथित रुप से कदम पीछे खींचने पर बुधवार को केंद्र की आलोचना की। जुलाई में विधानसभा में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया था।

कोलकाता। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर ‘बांग्ला’ करने के प्रस्ताव को मंजूरी देने में कथित रुप से कदम पीछे खींचने पर बुधवार को केंद्र की आलोचना की। जुलाई में विधानसभा में सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया था। बनर्जी ने कहा कि भाजपा अपने ‘हितों’ के हिसाब से ‘करीब करीब रोज’ ऐतिहासिक स्थलों और संस्थानों का नाम एकतरफा तौर पर बदल रही है लेकिन जब बंगाल की बारी आती है तो रवैया बिल्कुल भिन्न होता है। 26 जुलाई को विधानसभा ने राज्य का नाम सबसे अधिक बोली जाने वाली तीन भाषाओं- बंगाली, हिंदी और अंग्रेजी में बदलकर ‘बांग्ला’ करने का सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया और उस प्रस्ताव को केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भेज दिया था।

बनर्जी की सरकार तीन बार राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव रख चुकी है। उसने 2011 में ‘पश्चिमबंगा’ नाम का सुझाव रखा था जिसे केंद्र ने ठुकरा दिया। 2016 में उसने राज्य का नाम अंग्रेजी में ‘बेंगाल ’ (Bengal), बंगाली में ‘बांग्ला’ और हिंदी में ‘बंगाल’ रखने का प्रस्ताव रखा, उसे भी ठुकरा दिया गया। अंतत: उसने इस साल जुलाई में ‘बांग्ला’ नाम का प्रस्ताव रखा। बनर्जी ने एक बयान में कहा, ‘‘(गृह मंत्रालय के पास) यह लंबे समय से लंबित है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के बाद कुछ राज्यों और शहरों के नाम राज्य और स्थानीय भाषा की भावना को ध्यान में रखकर बदले गये जैसे उड़ीसा ओड़िशा, पांडिचेरी पुडुचेरी, मद्रास चेन्नई, बंबई मुम्बई, बंगलौर बेंगलुरु आदि। वे वास्तविक हैं। ’’उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल विधानसभा ने ‘हमारी मातृभाषा बांग्ला’ से जुड़ी भावना के आधार पर राज्य का नाम बदलने का प्रस्ताव पारित किया था। 

मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हमें सभी तीनों भाषाओं में बांग्ला नाम इस्तेमाल करने की सलाह दी। तद्नुसार हमारी विधानसभा ने राज्य का नाम बदलकर तीनों ही भाषाओं में ‘बांग्ला’ करने का सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया और फिर उसे केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा।’’कुछ वर्गों की इस आपत्ति पर कि बांग्ला नाम का उच्चारण बांग्लादेश जैसा जान पड़ता है, बनर्जी ने कहा कि नामों से कोई बाधा नहीं पैदा होनी चाहिए क्योंकि ‘‘हमारे पड़ोसी देश में पंजाब है और भारत में भी पंजाब है।’’ भाजपा की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में ‘शून्य शक्ति’ वाला राजनीतिक दल उस राज्य का नाम बदलने पर निर्णय नहीं ले सकता।

विपक्षी कांग्रेस तथा वाम मोर्चे ने बनर्जी की आलोचना को सही ठहराते हुए भाजपा पर इस मुद्दे पर राजनीति करने का आरोप लगाया।विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने कहा, ‘‘हमने नाम परिवर्तन विधेयक को विधानसभा में समर्थन किया है। हमारा मानना है कि राज्य का नाम बदलने का मुद्दा लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है। इसलिए हमें इसे समर्थन दिया था लेकिन भाजपा इस पर राजनीति करने की कोशिश कर रही है। हम इसकी निंदा करते हैं।’’वाम मोर्चा विधायक दल के नेता सुजान चक्रवर्ती ने भी मामता के विचारों से सहमति जताई। 

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