निजामुद्दीन मरकज को लेकर सांप्रदायिक राजनीति करने वालों पर ममता ने साधा निशाना

Mamata

दिल्ली सरकार द्वारा 200 से अधिक लोगों के एक साथ जमा होने पर रोक लगाने के आदेश के बाद 13 से 15 मार्च के बीच देश-विदेश के हजारों लोगों ने इस धार्मिक जलसे में हिस्सा लिया था।

कोलकाता। दक्षिणी दिल्ली के निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के कार्यक्रम को लेकर सांप्रदायिक राजनीति करने वालों को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को आडे हाथों लिया और राष्ट्रीय संकट की इस घडी में इससे परहेज करने का आग्रह किया। दिल्ली सरकार द्वारा 200 से अधिक लोगों के एक साथ जमा होने पर रोक लगाने के आदेश के बाद 13 से 15 मार्च के बीच देश-विदेश के हजारों लोगों ने इस धार्मिक जलसे में हिस्सा लिया था। 

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इसमें शामिल होने वाले विभिन्न लोग कोरोना वायरस से संक्रमित पाये गये थे और उनमें से कई अन्य की मौत हो गयी थी। पिछले महीने आयोजित इस जलसे को नहीं रोके जाने पर सवाल उठाते हुए ममता ने कहा कि इसे उस वक्त रोका क्यों नहीं गया। अब कई बातें कही जा रही है। यह ठीक नहीं है। हमें यह भूलना नहीं चाहिए कि लाकडाउन की घोषणा से कुछ ही दिन पहले दिल्ली में दंगे हुए थे। यह सांप्रदायिक राजनीति का समय नहीं है। उन्होंने कहा‘‘ हम यह देख रहे हैं कि निजामुद्दीन मरकज पर कुछ लोग सांप्रदायिक राजनीति कर रहे हैं। यह पूरी तरह अस्वीकार्य है। कोई बीमारी अथवा महामारी आप पर आपके धर्म अथवा आपकी जाति को देख कर हमला नहीं करती है। मैं सभी से अनुरोध करती हूं कि वे संकट को सांप्रदायिक नहीं बनायें।’’ 

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ममता ने कहा कि उनकी सरकार ने तबलीगी जमात के करीब 200 सदस्यों को पृथकवास में भेज दिया है, जिनमें 108 विदेशी हैं। लॉकडाउन की अवधि बढाये जाने की खबरों पर ममता ने कहा कि उन्हें ऐसे किसी प्रस्ताव के बारे में अबतक कोई जानकारी नहीं मिली है। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे इस बारे में अबतक कोई जानकारी नहीं है। जब भी मैं प्रधानमंत्री से बात करूंगी, मैं अपनी राय रखूंगी। इससे पहले मैं इस बारे में कोई बात नहीं करूंगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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