मणिपुर मुठभेड़: SC ने कहा, अत्यधिक बल प्रयोग गलत
उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि सेना और अर्धसैनिक बल मणिपुर में ‘अत्यधिक एवं प्रतिशोध स्वरूप बल’ का प्रयोग नहीं कर सकते और ऐसी घटनाओं की जांच की जानी चाहिए।
उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि सेना और अर्धसैनिक बल मणिपुर में ‘अत्यधिक एवं प्रतिशोध स्वरूप बल’ का प्रयोग नहीं कर सकते और ऐसी घटनाओं की जांच की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति एमबी लोकुर तथा न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल की पीठ ने सहायक वकील (एमिकस क्यूरी) से मणिपुर में हुईं कथित फर्जी मुठभेड़ों का ब्यौरा देने को भी कहा। पीठ ने कहा कि मणिपुर में कथित फर्जी मुठभेड़ों के आरोपों की जांच सेना चाहे तो, खुद भी कर सकती है। न्यायालय ने कहा कि वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के इस दावे की जांच करेगी कि वह ‘शक्तिविहीन’ है और उसे कुछ और शक्तियों की जरूरत है। उच्चतम न्यायालय जिस याचिका पर सुनवाई कर रहा था वह याचिका सुरेश सिंह ने दाखिल की है और उन्होंने ‘‘अशांत इलाकों में’’ भारतीय सैन्य बलों को विशेष अधिकार देने वाले सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून को निरस्त करने की मांग की है। पूर्व में न्यायालय ने कहा था कि मणिपुर में मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिजन को सुरक्षा बलों द्वारा मुआवजा दिए जाने संबंधी तथ्य ‘संकेत’ देते हैं कि यह मुठभेड़ें फर्जी थीं।
पीठ ने मणिपुर सरकार से कहा कि मृतकों के परिजन को मुजावजा देने के बाद उठाए गए कदमों के बारे में वह न्यायालय को जानकारी दे। इसके बाद न्यायालय ने केंद्र, मणिपुर सरकार तथा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से राज्य में हुए कथित फर्जी मुठभेड़ के मामलों में एक समग्र रिपोर्ट पेश करने को कहा। इन मामलों में से 62 मामले ऐसे हैं जिनमें प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की गई। वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोन्साल्वेज ने कहा ‘‘इन सभी 62 मामलों में किसी भी आरोपी के खिलाफ एक प्राथमिकी तक दर्ज नहीं की गई।’’ गोन्साल्वेज ‘‘एक्स्ट्रा ज्यूडीशियल एग्जीक्यूशन विक्टिम्स फैमिली एसोसिएशन’’ की ओर से न्यायालय में पेश हुए थे। साथ ही पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल मनिन्दर सिंह, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के वकीलों और राज्य सरकार से सहायक वकील (एमिकस क्यूरी) को अपेक्षित जानकारी मुहैया कराने के लिए कहा। सहायक वकील मामलों का समग्र चार्ट तैयार करेंगे ताकि न्यायालय मामले को आगे बढ़ा सके। पूर्ववर्ती संप्रग सरकार ने पहले उच्चतम न्यायालय में कहा था कि मणिपुर में न्यायेत्तर हत्याओं (एक्स्ट्रा ज्यूडीशियल किलिंग) पर न्यायालय द्वारा नियुक्त पैनल की रिपोर्ट के निष्कर्षों पर उच्चतम स्तर पर विचार किया गया।
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