वैवाहिक मतभेदों के मामले जम्मू-कश्मीर से बाहर भेजे जा सकते हैं

[email protected] । Jul 19 2016 12:35PM

उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि वादियों को न्याय सुनिश्चित कराने के लिए उसके द्वारा वैवाहिक मतभेदों से जुड़े मामलों को अब जम्मू-कश्मीर से बाहर स्थानांतरित किया जा सकता है।

उच्चतम न्यायालय ने आज व्यवस्था दी कि वादियों को न्याय सुनिश्चित कराने के लिए उसके द्वारा वैवाहिक मतभेदों से जुड़े मामलों को अब जम्मू-कश्मीर से बाहर स्थानांतरित किया जा सकता है। प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने यह फैसला इस तथ्य के मद्देनजर दिया है कि जम्मू-कश्मीर के स्थानीय कानून वादी के अनुरोध पर मामलों को राज्य से बाहर स्थानांतरित करने की इजाजत नहीं देते हैं। दीवानी प्रक्रिया संहिता और दंड प्रक्रिया संहिता के मामलों के स्थानांतरण से संबंधित नियम जम्मू्-कश्मीर में लागू नहीं होते हैं।

पीठ में न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला, एके सिकरी, एसए बोबडे और आर भानुमति भी शामिल हैं। इसने कहा कि न्याय पाना सभी वादियों का अधिकार है और इसे सुनिश्चित करने के लिए शीर्ष अदालत अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल कर मामलों को राज्य से बाहर स्थानांतरित कर सकती है। यह फैसला कुछ याचिकाओं के आधार पर आया है। इन्हीं में से एक मामला अनिता कुशवाह का था, जिसमें उन्होंने अपने मामले को जम्मू-कश्मीर से बाहर स्थानांतरित करने की मांग की थी।

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