युवाओं के लिए सैन्य प्रशिक्षण अनिवार्य करने के पक्ष में नहींः केंद्र
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह युवाओं के लिए सैन्य प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाए जाने के पक्ष में नहीं है। हालांकि सरकार ने स्वीकार किया कि उसे इस संबंध में कुछ सुझाव जरूर मिले हैं।
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि वह युवाओं के लिए सैन्य प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाए जाने के पक्ष में नहीं है। हालांकि सरकार ने स्वीकार किया कि उसे इस संबंध में कुछ सुझाव जरूर मिले हैं। रक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष भामरे ने लोकसभा में रामचरण बोहरा के सवाल के लिखित सवाल के जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भारत सरकार युवाओं के लिए सैन्य प्रशिक्षण को अनिवार्य बनाए जाने की पक्षधर नहीं है।
भामरे ने बताया कि राज्यसभा सदस्य अविनाश राय खन्ना की ओर से एक निजी विधेयक सात दिसंबर 2012 को सदन में पेश किया गया था जिसमें देश के युवाओं को अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण की मांग की गयी थी। सरकार ने इस विधेयक का समर्थन नहीं किया। लेकिन इस पर राष्ट्रपति की सिफारिश हासिल की गयीं और उन सिफारिशों को राज्यसभा में विधेयक पर विचार करने के लिए राज्यसभा सचिवालय को भेज दिया गया। इसी प्रकार 27 फरवरी 2015 को एक निजी विधेयक डॉ. भोला सिंह ने लोकसभा में पेश किया था। सरकार ने इस विधेयक पर सहमति नहीं जतायी और राष्ट्रपति की सिफारिशों के साथ लोकसभा में विधेयक पेश करने के लिए उन सिफारिशों को लोकसभा सचिवालय के पास भेज दिया गया।
भामरे ने बताया कि 13 मार्च 2015 को मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) भुवन चंद खंडूरी ने भी लोकसभा में ऐसा ही एक निजी विधेयक पेश किया था जिसमें केंद्र सरकार के राजपत्रित अधिकारियों को अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण उपलब्ध कराने की बात कही गयी थी। इसे भी राष्ट्रपति की सिफारिशों के साथ लोकसभा में विधेयक पेश करने के लिए सचिवालय को भेज दिया गया।
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