शीतकालीन सत्र में आएगा कृषि कानूनों की वापसी का प्रस्ताव, केंद्रीय कैबिनेट ने दी मंजूरी

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गुरुनानक जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। जिसके बाद बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने भी हरी झंडी दिखा दी है। आपको बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से आरंभ हो रहा है, जो 23 दिसंबर तक चलेगा

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में तीनों कृषि कानूनों की वापसी के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। आपको बता दें कि केंद्र सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए प्रस्ताव पेश करेगी। करीब एक साल से तीनों कृषि कानूनों को लेकर किसान संगठनों का विरोध प्रदर्शन जारी था। इसी बीच गुरुनानक जयंती के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। जिसके बाद बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट ने भी हरी झंडी दिखा दी है। आपको बता दें कि संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से आरंभ हो रहा है, जो 23 दिसंबर तक चलेगा 

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जारी रहेगा किसान आंदोलन

गौरतलब है कि कृषि कानूनों का विरोध कर रहे 40 किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ कर दिया है कि अभी आंदोलन वापस नहीं होगा। इतना ही नहीं उन्होंने प्रधानमंत्री के समक्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कानून गारंटी समेत 6 मांगें भी रखी। एसकेएम ने तीनों कृषि कानून की वापसी के ऐलान पर आभार जताते हुए कहा था कि 11 दौर की वार्ता के बाद, आपने द्विपक्षीय समाधान के बजाए एकतरफा घोषणा करने का रास्ता अपनाया। 

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उन्होंने पत्र में लिखा था कि मोर्चा ने छह मांगें रखीं, जिनमें उत्पादन की व्यापक लागत के आधार पर एमएसपी को सभी कृषि उपज के लिए किसानों का कानूनी अधिकार बनाने, लखीमपुर खीरी घटना के संबंध में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्रा को बर्खास्त करने और उनकी गिरफ्तारी के अलावा किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने और आंदोलन के दौरान जान गंवाने वालों के लिए स्मारक का निर्माण शामिल है।

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