मोदी सरकार बेचेगी देश में शत्रु संपत्ति, कमाएगी एक लाख करोड़
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अंश कालिक सदस्य नीलेष शाह ने बताया कि भारत और पाकिस्तान दोनों ने 1965 की लड़ाई के बाद शत्रु संपत्ति का अधिग्रहण करने के लिये कानून बनाए थे।
नयी दिल्ली। मोदी सरकार शत्रु संपत्तियों को बेचकर अपना खजाना भरने वाली है। पाकिस्तान और चीन की नागरिकता लेने वाले लोगों की ओर से छोड़ी गई संपत्तियों को लेकर केंद्र सरकार ने एक हाईलेवल कमेटी का पुनर्गठन किया है। गृह मंत्रालय की ओर से जारी की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह कमेटी 12,600 से ज्यादा अचल संपत्तियों को निपटारा करेगी, जिससे सरकारी को एक लाख करोड़ रुपये तक मिल सकता है। गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन के अनुसार, इस कमेटी का अध्यक्ष एक एडिशनल सेक्रेटरी रैंक का अधिकारी होगा, जबकि एक मेंबर सेक्रेटरी के साथ 5 अन्य विभागों के सदस्य होंगे। सरकार की ओर से इस कदम को विभाजन के समय और 1962 युद्ध के बाद भारत छोड़ने वाले लोगों द्वारा छोड़ी गई संपत्ति के मुद्रीकरण की एक नई कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।
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प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अंश कालिक सदस्य नीलेष शाह ने बताया कि भारत और पाकिस्तान दोनों ने 1965 की लड़ाई के बाद शत्रु संपत्ति का अधिग्रहण करने के लिये कानून बनाए थे। नीलेष शाह के मुताबिक पाकिस्तान इस तरह की समूची संपत्ति को 1971 में ही बेच चुका है पर भारत इस मामले में उससे 49 साल पीछे चल रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की संपत्तियों को बेचकर अतिक्रमण हटाने और मालिकाना हक की विसंगतियों को दूर करने का यह सबसे बेहतर समय है। आपको बताते चलें कि इस तरह की 9,404 संपत्तियां हैं जो कि 1965 में सरकार द्वारा नियुक्त कस्टोडियन के अधीन की गई थीं।
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न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, पाकिस्तान की नागरिकता लेने वालों की 12,485 संपत्ति और चीन की नागरिकता लेने वालों की देश में 126 संपत्ति है। ये संपत्तियां देश के अलग अलग राज्यों में हैं। इनमें उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 6255 दुश्मन संपत्तियां हैं। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 4088, दिल्ली में 658, महाराष्ट्र में 207, गुजरात में 151, गोवा में 295, तेलंगाना में 158, त्रिपुरा में 105 और बिहार में 94 दुश्मन संपत्तियां हैं।
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