मोदी सरकार ने NRC को बाधित करने का किया था प्रयास: कांग्रेस

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[email protected] । Aug 6 2018 8:52AM

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने यह कहते हुए खुद ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एन आर सी) से संबंधित प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश की थी कि इस तरह के कदम से कानून व्यवस्था से जुड़ी समस्या पैदा हो सकती है।

नयी दिल्ली। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने यह कहते हुए खुद ही राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एन आर सी) से संबंधित प्रक्रिया को बाधित करने की कोशिश की थी कि इस तरह के कदम से कानून व्यवस्था से जुड़ी समस्या पैदा हो सकती है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि अटॉर्नी जनरल ने 2017 में एन आर सी में विलंब का कारण हिंसा का डर बताया था, जिसके लिए शीर्ष अदालत ने उनकी खिंचाई की थी।

खेड़ा ने कहा, ‘झूठ के शाह और जुमलों के शहंशाह ने एन आर सी को बाधित करने की अपनी पूरी कोशिश की थी। मैं आपको बताऊंगा कि उन्होंने एन आर सी प्रक्रिया को रोकने, विलंबित करने और बाधित करने के लिए किस तरह से साजिश रची थी।’ कांग्रेस का यह बयान पार्टी द्वारा असम में एन आर सी को ‘कांग्रेस पार्टी का शिशु’ बताए जाने और यह कहे जाने के एक दिन बाद आया कि यह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा 1985 में असम समझौते पर हस्ताक्षर किए जाने के परिणामस्वरूप सामने आया था।

खेड़ा ने आरोप लगाया कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने संसद में यह कहकर झूठ बोला है कि सरकार ने एन आर सी को क्रियान्वित करने का साहस दिखाया। उन्होंने कहा कि 30 नवंबर 2017 की तारीख इतिहास में याद रखी जाएगी जब उच्चतम न्यायालय ने केंद्र सरकार की जमकर खिंचाई की थी। खेड़ा ने कहा, ‘30 नवंबर 2017 को उच्चतम न्यायालय ने असम में एन आर सी प्रक्रिया को विलंबित करने के लिए मोदी सरकार की बहानेबाजी को लेकर उसकी जमकर खिंचाई की थी। अटॉर्नी जनरल ने हिंसा के डर का बहाना बनाया था।’

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल की खिंचाई की थी और ‘पूर्ण निष्क्रियता’ तथा हिंसा एवं कानून व्यवस्था से जुड़ी समस्या होने की आशंका के नाम पर मामले को तीन साल से अधिक समय तक खींचने को लेकर सरकार की आलोचना की थी। खेड़ा ने कहा कि अदालत ने अटॉर्नी जनरल के इस बयान पर भी सरकार की खिंचाई की थी कि एन आर सी मसौदे के अंश प्रकाशन का नतीजा कानून व्यवस्था से जुड़ी समस्या के रूप में निकल सकता है और बड़ी संख्या में लोग यह सोचेंगे कि उनका नाम निकाल दिया गया है।

उन्होंने कहा कि यह चौंकाने वाला है कि सरकार के सर्वोच्च कानून अधिकारी ने शीर्ष अदालत में यह बात कही। खेड़ा ने कहा, ‘हम मांग करते हैं कि मोदी सरकार एन आरसी को बाधित करने के लिए उच्चतम न्यायालय में किए गए अपने प्रयासों के लिए असम के लोगों से माफी मांगे।’ उन्होंने कहा, ‘हम यह भी जानना चाहते हैं कि सरकार का रुख क्या है, एक तरफ वह उन लोगों को प्रस्तावित नागरिकता संशोधन विधेयक (2016) के जरिए नागरिकता देना चाहती है जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आ गए थे, वहीं, दूसरी तरफ वह एन आर सी की राजनीति कर रही है।’

खेड़ा ने असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल के इस्तीफे की मांग की और कहा कि उन्हें राज्य का मुख्यमंत्री रहने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि उनकी पार्टी ने एन आर सी के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय में बड़ी बेशर्मी से छल किया।

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