किसानों से दिल्ली सल्तनत के बादशाह की तरह व्यवहार कर रहे हैं मोदी: कांग्रेस
हरिद्वार से दिल्ली के लिए निकली किसान क्रांति यात्रा को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर कथित तौर पर बल प्रयोग किए जाने को लेकर कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘दिल्ली सल्तनत के बादशाह’ की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया और सवाल पूछा कि जब चंद उद्योगपतियों के ‘चार लाख करोड़ रुपये माफ किए जा सकते हैं।
नागपुर। हरिद्वार से दिल्ली के लिए निकली किसान क्रांति यात्रा को रोकने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की सीमा पर कथित तौर पर बल प्रयोग किए जाने को लेकर कांग्रेस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ‘दिल्ली सल्तनत के बादशाह’ की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया और सवाल पूछा कि जब चंद उद्योगपतियों के ‘चार लाख करोड़ रुपये माफ किए जा सकते हैं तो देश के अन्नदाताओं के कर्ज माफ क्यों नहीं हो सकते।
पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मोदी जी, सैकड़ों किलोमीटर की पदयात्रा कर हजारों किसान अपनी मांगों को लेकर आपके द्वार आए। अगर महात्मा गांधी के विचारों को आत्मसात किया होता तो किसानों को बर्बरतापूर्वक लाठियां नहीं, उनकी मांगों की सौगात दी होती। वह समय दूर नहीं जब पूरा देश ‘किसान विरोधी-नरेंद्र मोदी’ के नारों से गूंजेगा।’
लाठी गोली की है भरमार,
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) October 2, 2018
किसानो से बर्बरता पूर्ण व्यवहार
बदलेंगे ऐसी मोदी सरकार !
किसान विरोधी मोदी सरकार !
नहीं चलेगा
नहीं चलेगा..यह अत्याचार! #KisanKrantiPadyatra #किसान_क्रांति_यात्रा pic.twitter.com/bGSuCk2aMe
उन्होंने कहा, ‘क्या भारत के किसान दिल्ली आकर अपनी पीड़ा नहीं बता सकते? क्या किसान प्रधानमंत्री से यह नहीं पूछ सकते कि एमएसपी पर आपका वादा जुमला क्यों साबित हो गया?’ सुरजेवाला ने कहा, ‘प्रधानमंत्री जी, आप एक तानाशाह और दिल्ली सल्तनत के बादशाह की तरह व्यवहार कर रहे हैं। जो बादशाह किसानों की पीड़ा नहीं सुन सकता, उसे पद पर एक दिन भी बने रहने का अधिकार नहीं है।’
उन्होंने कहा कि अगर मोदी सरकार चार साल में 3.16 लाख करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाल सकती है तो फिर देश के 62 करोड़ लोगों का दो लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ क्यों नहीं कर सकती? कांग्रेस नेता ने पूछा, ‘अगर मोदी कुछ लोगों को चार लाख करोड़ रुपये की कर्ज माफी दे सकते हैं तो फिर से 62 करोड़ लोगों के दो लाख करोड़ रुपये माफ क्यों नहीं कर सकते?’
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