ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, रामदास, जैसे संतो ने अंधश्रद्धा से लड़ने का मंत्र दिया: मोदी

Modi mann ki baat on akashwani
[email protected] । Jul 29 2018 12:42PM

ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, रामदास, तुकाराम के संदेश का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि इनके संदेश न केवल जन सामान्य को शिक्षित करने का बल्कि अंधश्रद्धा के खिलाफ लड़ने का समाज को मंत्र देते हैं।

नयी दिल्ली। ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, रामदास, तुकाराम के संदेश का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि इनके संदेश न केवल जन सामान्य को शिक्षित करने का बल्कि अंधश्रद्धा के खिलाफ लड़ने का समाज को मंत्र देते हैं। आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ज्ञानेश्वर, नामदेव, एकनाथ, रामदास, तुकाराम जैसे अनगिनत संत आज भी जन-सामान्य को शिक्षित कर रहे हैं, अंधश्रद्धा के खिलाफ लड़ने की ताकत दे रहे हैं और हिंदुस्तान के हर कोने में यह संत परंपरा प्रेरणा देती रही है।’’ उन्होंने कहा कि चाहे वो उनके भारुड हो या अभंग हो हमें उनसे सद्भाव, प्रेम और भाईचारे का महत्वपूर्ण सन्देश मिलता है। 

मोदी ने कहा कि ऐसे संतों ने समय-समय पर समाज को रोका, टोका और आईना भी दिखाया और यह सुनिश्चित किया कि कुप्रथाएँ समाज से खत्म हों और लोगों में करुणा, समानता और शुचिता के संस्कार आएं। उन्होंने कहा कि हमारी यह भारत-भूमि बहुरत्ना वसुंधरा है जहां समर्पित महापुरुषों ने, इस धरती को अपना जीवन आहुत कर दिया। एक ऐसे ही महापुरुष हैं लोकमान्य तिलक जिन्होंने भारतीयों के मन में अपनी गहरी छाप छोड़ी है। 

मोदी ने कहा, ‘‘ हम 23 जुलाई को तिलक जी की जयंती और एक अगस्त, को उनकी पुण्यतिथि पर उनका पुण्य स्मरण करते हैं।’’ उन्होंने कहा कि लोकमान्य तिलक के प्रयासों से ही सार्वजनिक गणेश उत्सव की परंपरा शुरू हुई। सार्वजनिक गणेश उत्सव परम्परागत श्रद्धा और उत्सव के साथ-साथ समाज-जागरण, सामूहिकता, लोगों में समरसता और समानता के भाव को आगे बढ़ाने का एक प्रभावी माध्यम बन गया था। 

प्रधानमंत्री ने कहा कि उस कालखंड में जब अंग्रेजों के खिलाफ़ लड़ाई के लिए एकजुट होने की जरूरत थी, तब इन उत्सवों ने जाति और सम्प्रदाय की बाधाओं को तोड़ते हुए सभी को एकजुट करने का काम किया। उन्होंने कहा, ‘‘ समय के साथ इन आयोजनों की प्रसिद्धि बढ़ती गई। ’’ 

मोदी ने कहा कि इसी से पता चलता है कि हमारी प्राचीन विरासत और इतिहास के हमारे वीर नायकों के प्रति आज भी हमारी युवा-पीढ़ी में लगाव है। यह एक टीम के रूप में काम करने और नेतृत्व और संगठन जैसे गुण सीखने का अवसर है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के दौरान 1916 में लोकमान्य तिलक की अहमदाबाद यात्रा और उनके निधन के बाद सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा अहमदाबाद में उनकी एक प्रतिमा लगाने की घटना का जिक्र किया । 1929 में इसका उद्घाटन महात्मा गाँधी ने किया था ।

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