सांसदों ने की अपने वेतन, भत्तों में बढ़ोत्तरी की मांग
संसद सदस्यों के वेतन एवं भत्तों के बारे में विचार करने के लिए योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में गठित संसदीय समिति की सिफारिशों को शीघ्र लागू करने की राज्यसभा में आज मांग की गई।
संसद सदस्यों के वेतन एवं भत्तों के बारे में विचार करने के लिए योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में गठित संसदीय समिति की सिफारिशों को शीघ्र लागू करने की राज्यसभा में आज मांग की गई। बैठक शुरू होने पर यह मुद्दा उठाते हुए सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि बताया जाता है कि प्रधानमंत्री ने इस रिपोर्ट पर विचार करने के लिए मंत्रियों का एक समूह गठित किया है। उन्होंने सवाल किया कि आखिर यह समूह क्यों गठित किया गया।
अग्रवाल के अनुसार, पूर्व में कहा गया था कि जब सरकारी कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया जाएगा तब रिपोर्ट की सिफारिशों पर अमल होगा। अब तो सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें मिल गई हैं और रिपोर्ट का कार्यान्वयन हो रहा है। ऐसे में संसद सदस्यों के वेतन भत्तों संबंधी रिपोर्ट पर शीघ्र फैसला किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसद सदस्य कैबिनेट सचिव से ऊपर होते हैं इसलिए उन्हें शीर्ष नौकरशाहों को मिलने वाले वेतन से 1000 रूपये अधिक दिया जाना चाहिए। अग्रवाल ने मांग की कि मंत्रियों का समूह गठित करने का क्या तुक है। समिति की रिपोर्ट सदन में पेश की जानी चाहिए। अन्य सदस्यों ने उनका समर्थन किया।
इस पर उप सभापति पीजे कुरियन ने कहा, ‘‘मैं नहीं कह सकता कि क्या सभी सदस्य इससे सहमत हैं, क्योंकि उनकी सहमति इस बारे में अहम स्थान रखती है।’’ सांसदों के अपनी मांग पर जोर दिए जाने पर कुरियन ने कहा ‘‘इस पर विचार करना सरकार पर निर्भर करता है।’’ माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि आसन सरकार को सदन के समक्ष एक समुचित विधेयक लाने का आदेश दे। अग्रवाल ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 106 में कहा गया है कि संसद सदस्य सरकार के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने भी कहा है कि महंगाई है। फिर यह सरकार को क्यों नजर नहीं आता।
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