MTNL की नेट सेवा से सांसद परेशान, निजी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर का हो सकता है इस्तेमाल

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रिपोर्ट के मुताबिक मई में स्थिति की समीक्षा करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा यह अनुमोदित किया गया कि सांसदों द्वारा ऑनलाइन काम की सुविधा के लिए निजी ऑपरेटर्स द्वारा दी जाने वाली सेवाओं को ढूंढा जाए।

नयी दिल्ली। तेज भागती हुई दुनिया में सब कुछ तेज और सटीक होना चाहिए और ऐसे में इंटरनेट की स्पीड तो बिल्कुल भी धीमी नहीं चल सकती है। तभी तो सांसदों को इंटरनेट की सुविधा देने वाली कम्पनी एमटीएनएल (MTNL) को लेकर शिकायतें सामने आ रही हैं। बताया जा रहा है कि एमटीएनएल गुणवत्ता संबंधी शिकायतों के बाद संसद सदस्यों को इंटरनेट की सुविधा देने के अपने अधिकारों को खो सकता है। 

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अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, सूत्रों ने बताया कि पिछले सप्ताह संसद की हाउस कमेटी की बैठक में सांसदों को हाईस्पीड इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराने के लिए प्राइवेट कम्पनी की संभावनाओं पर चर्चा किया गया। क्योंकि सचिवालय से रिसीव की गई आधिकारिक दस्तावेजों को फाइल करने में और रिसीव करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

रिपोर्ट के मुताबिक मई में स्थिति की समीक्षा करते हुए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला द्वारा यह अनुमोदित किया गया कि सांसदों द्वारा ऑनलाइन काम की सुविधा के लिए निजी ऑपरेटर्स द्वारा दी जाने वाली सेवाओं को ढूंढा जाए। जबकि सांसदों को प्राइवेट मोबाइल फोन सर्विस का इस्तेमाल करने की अनुमति है। 

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सूत्रों ने बताया कि कई बार सरकारी दूरसंचार कम्पनी द्वारा प्रदान की जाने वाली ब्राडबैंड सेवाएं काफी धीमी होती हैं, जिसकी वजह से सांसदों को संसद से जुड़े हुए काम करने में काफी कठिनाइयां आती हैं। मिली जानकारी के मुताबिक एमटीएनएल ने समिति को जानकारी दी कि लॉकडाउन के समय बढ़ी हुई डेटा की खपत को ध्यान में रखते हुए सांसदों की मासिक डेटा खपत की सीमा को 1500 जीबी तक बढ़ा दिया गया था।

सूत्रों ने यह भी बताया कि सेवा प्रदाता ने संसद और सांसदों के फ्लैटों को लैस करने के लिए कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की भी शुरुआत की है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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