MSD के मास्टरस्ट्रोक ने निकाला कश्मीर समस्या का हल

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अभिनय आकाश । Aug 6 2019 1:32PM

ये शाह का कमाल ही था कि पहले फोर्स की मौजूदगी और बॉर्डर पर भारतीय सेना की तैनाती बढ़ाने के साथ ही बारूद की धमकी देने वाली महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को पहले तो नजरबंद किया फिर हालातों को बिगड़ने देने से बचाने के लिए हिरासत में लिया। जम्मू कश्मीर को लेकर मोदी सरकार द्वारा अचानक लिए गए फैसले पर हर कोई हैरान है लेकिन 27 साल पहले ट्रेलर दिखाने वाले मोदी ने पूरी फिल्म रिलीज कर दी और देश भर से मिली प्रतिक्रिया से साबित हो गया कि पिक्चर हिट है।

दुनिया का बेस्ट फिनिशर कौन है तो इस सवाल के जवाब में हर किसी कि जुबान पर एक ही नाम आता है महेंद्र सिंह धोनी यानि एमएसडी। लेकिन कूटनीति, रणनीति और देशनीति के रूप में देश नए फिनिशर से रूबरू हुआ है जिसने 70 सालों से चली आ रही कश्मीर समस्या का हल निकलते हुए मास्टरस्ट्रोक खेला है। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल और धारा 370 की समाप्ति की चर्चा देश और दुनिया में जारी है। लेकिन आज इस ऐतिहासिक फैसले के पीछे के MSD कनेक्शन की बात करना बेहद अहम है जिसने मिशन कश्मीर को अंजाम दिया। MSD यानि M- मोदी, S-शाह, D-डोभाल की तिकड़ी जम्मू कश्मीर में इतने बड़े फेरबदल के पीछे के तीन अहम किरदार हैं। वैसे तो अपने पहले कार्यकाल के अधूरे वादों को पूरा करने के संकल्प के साथ मोदी 2.0 ने अपने संकल्प पत्र में ही कश्मीर के अपने एजेंडे को साफ कर दिया था। जब उसमें साफ लिखा था कि हम आर्टिकल 35A को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा मानना है कि आर्टिकल 35A जम्मू-कश्मीर के गैर-स्थायी निवासियों और महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण है। 

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लेकिन हमेशा से मोदी सरकार पर यह आरोप लगते थे कि वो हर चुनाव में वादा करती रही है कि वो आर्टिकल 370 को कश्मीर से हटाएगी, लेकिन इसपर कोई खास काम नहीं हुआ। मोदी सरकार ने दूसरे कार्यकाल के दौरान शुरू से ही कश्मीर को अपने टॉप एजेंडे में रखा। मोदी के चाणक्य अमित शाह ने गृह मंत्री की कमान संभालते ही कश्मीर के अपने तूफानी दौरे से यह झलक दे दी थी कि वो बाकी गृह मंत्रियों से अलग हैं। मोदी सरकार ने मिशन कश्मीर के लिए अपने सबसे भरोसेमंद और करीबी अजीत डोभाल को जिम्मेदारी दी। भारत के सर्वश्रेष्ठ स्पाई में से एक रहे और खुफिया एजेंसी रॉ के अंडर कवर एजेंट के तौर पर 6 साल तक पाकिस्तान के लाहौर में एक पाकिस्तानी मुस्लिम बन कर रहने जैसे साहसिक कारनामों को अंजाम देने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कश्मीर के हालात और स्थिति पर नजर लगातार बनाई रखी और बार-बार श्रीनगर का दौरा भी किया। 5 अगस्त को राज्यसभा में आर्टिकल 370 को खत्म किए जाने के ऐलान से चंद मिनट पहले तक किसी को पता नहीं था कि क्या होने वाला है? लेकिन जम्मू कश्मीर को लेकर आशंकाएं, अटकलें, अफवाहें और अनुमानों का दौर 27 जुलाई को अतिरिक्त 10 हजार अर्धसैनिक बलों की तैनाती के बाद से ही तेज हो गया था।

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इस खबर के बाद से ही जम्मू-कश्मीर की सियासत और केंद्र में हलचल तेज हो गई। महबूबा मुफ्ती, उमर अब्दुल्ला पूछने लगे कि केंद्र सरकार अब किस नए फैसले की तैयारी में है। अब्दुल्ला ने सरकार से सफाई मांगी कि कम से कम स्थिति तो साफ हो जानी चाहिए। केंद्र सरकार ने इन सभी सवालों को कोई तवज्जो नहीं दी, क्योंकि गृह मंत्री तो इसकी तैयारी 1 जून को पद संभालते ही कर चुके थे। जम्मू कश्मीर को लेकर वैसे तो जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपने और एक देश एक निशान एक विधान एक संविधान का जिक्र अक्सर होता है। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी जम्मू कश्मीर से 27 साल पुराना कनेक्शन है। साल 1992 में नरेंद्र मोदी ने कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराया था। लेकिन तब भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए यह इतना आसान नहीं था। आतंकवादियों ने नरेंद्र मोदी जो तब भाजपा के एक कार्यकर्ता थे, उन्हें चैलेंज किया था कि जिसने मां का दूध पिया है वो लाल चौक पर तिरंगा लहराकर दिखा दे। कश्मीर में पहली बार मुख्यधारा की सियासत करने वाले राजनीतिक दलों और सुरक्षा बलों के लिए तिरंगा लहराना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया था।

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तब इस चुनौती को जनवरी की सभा में स्वीकार किया नरेंद्र दामोदरदास मोदी ने और कहा कि मैं बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर नहीं आऊंगा, बुलेट प्रूफ गाड़ी में भी नहीं आऊंगा, हाथ में सिर्फ तिरंगा लेकर आऊंगा और फैसला 26 जनवरी के लाल चौक पर होगा कि किसने अपनी मां का दूध पिया है। 26 जनवरी 1992 को कन्याकुमारी से चली भाजपा की एकता यात्रा कश्मीर तक पहुंची। इस दौरान आतंकियों ने पुलिस मुख्यालय में ग्रेनेड धमाका भी किया था। 

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लेकिन मोदी डरे नहीं और लाल चौक पर भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी के साथ तिरंगा लहराया। नरेंद्र मोदी ने ये ट्रेलर तब दिखाया था जब भाजपा के एक कार्यकर्ता थे। लेकिन आज वो कार्यकर्ता देश के प्रधानमंत्री बन चुके हैं और जिनकी कूटनीति का सिक्का दुनियाभर में चलता है। जिनके पास (मोदी की) आंख, कान और जुबान माने जाने वाले अमित शाह जैसे चाणक्य हैं। जिनकी नजरों से पीएम मोदी समस्याओं को देखते, विरोधों के स्वर को सुनते और सलाह से विपक्षियों पर बरसते हैं। ये शाह का कमाल ही था कि पहले फोर्स की मौजूदगी और बॉर्डर पर भारतीय सेना की तैनाती बढ़ाने के साथ ही बारूद की धमकी देने वाली महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को पहले तो नजरबंद किया फिर हालातों को बिगड़ने देने से बचाने के लिए हिरासत में लिया। जम्मू कश्मीर को लेकर मोदी सरकार द्वारा अचानक लिए गए फैसले पर हर कोई हैरान है लेकिन 27 साल पहले ट्रेलर दिखाने वाले मोदी ने पूरी फिल्म रिलीज कर दी और देश भर से मिली प्रतिक्रिया से साबित हो गया कि पिक्चर हिट है। 

 

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