रक्षा प्रौद्योगिकी, उत्पादों में भारत को आत्म-निर्भर बनाने के लिए काम करें MSME: राजनाथ

Rajnath

यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में योगदान देता है, निर्यात के जरिये विदेशी मुद्रा अर्जित करता और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई को मजबूत रखना सरकार की प्राथमिकता है। 8,000 से अधिक एमएसएमई, कई रक्षा संगठनों मसलन आयुध कारखानों, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों और सेवा संगठनों के विभिन्न स्तरों पर भागीदार हैं।

नयी दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन के चलते रक्षा विनिर्माण पर बुरा असर पड़ा है। उन्होंने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) क्षेत्र का आह्वान किया कि वे भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी और उत्पादों में ‘आत्म-निर्भर’बनाने के लिए काम करें। रक्षा मंत्री ने बृहस्पतिवार को एमएसएमई ई-सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करते हुए कहा कि एमएसएमई क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह क्षेत्र सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में योगदान देता है, निर्यात के जरिये विदेशी मुद्रा अर्जित करता और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराता है। उन्होंने कहा कि एमएसएमई को मजबूत रखना सरकार की प्राथमिकता है। 8,000 से अधिक एमएसएमई, कई रक्षा संगठनों मसलन आयुध कारखानों, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों और सेवा संगठनों के विभिन्न स्तरों पर भागीदार हैं। इस सम्मेलन का आयोजन संयुक्त रूप से रक्षा विनिर्माताओं के संगठन सोसायटी आफ इंडियन डिफेंस मैन्यूफैक्चरर्स (एसआईडीएम), भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और रक्षा उत्पादन विभाग ने किया था। सिंह ने कहा कि ये एमएसएमई इन संगठनों के कुल उत्पादन में 20 प्रतिशत से भी अधिक योगदान देते हैं। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) विपिन रावत ने अमेरिका का उदाहरण देते हुए कहा कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान दो साल के छोटे से समय में अमेरिका ने घरेलू रक्षा उद्योग का विकास कर लिया था। उन्होंने कहा कि भारत का भी अपना रक्षा उद्योग होना चाहिए। उन्होंने एमएसएमई क्षेत्र का आह्वान किया कि वह भारत को रक्षा प्रौद्योगिकियों के मामले में दुनिया के शीर्ष दस देशों में शामिल करने के लिए काम करें। रक्षा मंत्री ने कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में एसआईडीएम और अन्य एमएसएमई की भूमिका की सराहना की।

इसे भी पढ़ें: MSME को 3 लाख करोड़ रुपये की रिण सुविधा को मंत्रिमंडल की मंजूरी

एक बयान में रक्षा मंत्री के हवाले से कहा गया है कि,‘‘मुझे यह जानकर काफी खुशी हुई है कि एसआईडीएम ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा डिजाइन व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) किट, मास्क, वेंटिलेटर कलपुर्जों का निर्माण तेज किया है।’’ उन्होंने कहा कि दो माह से भी कम के समय में न केवल हम अपनी घरेलू मांग को पूरा कर पा रहे हैं बल्कि आगे चलकर पड़ोसी देशों की मदद करने की भी स्थिति में होंगे। सिंह ने भरोसा दिलाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा से शुरू किए गए आत्म-निर्भर भारत अभियान के जरिये भारतीय उद्योग को काफी अवसर उपलब्ध होंगे। इससे लाखों रोजगार को बहाल करने में भी मदद मिलेगी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़