चुनाव से पहले मुलायम और अखिलेश की बढ़ सकती है टेंशन, CBI को कोर्ट का नोटिस
शीर्ष अदालत ने एक मार्च 2007 को अपने फैसले में सीबीआई को ‘‘आरोपों की जांच करने’’ तथा यह पता लगाने का निर्देश दिया था कि सपा नेताओं की आय से अधिक संपत्ति से संबंधित याचिका ‘‘सही है या नहीं।’’
नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने सपा नेता मुलायम सिंह यादव और उनके बेटों अखिलेश एवं प्रतीक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में सीबीआई को जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश की मांग वाली याचिका पर सोमवार को जांच एजेंसी को नोटिस जारी किया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने सीबीआई से इस मामले में जांच की स्थिति बताने के लिए दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। पीठ कांग्रेस नेता विश्वनाथ चतुर्वेदी की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें सीबीआई को मामले की जांच की स्थिति अदालत को बताने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया। चतुर्वेदी ने 2005 में शीर्ष अदालत में जनहित याचिका दायर करके सीबीआई को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि मुलायम, अखिलेश और उनकी पत्नी डिंपल तथा प्रतीक के खिलाफ भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत मुकदमा चलाने के लिये उचित कार्रवाई की जाए। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन लोगों ने अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की।
SC issues notice to CBI on petition seeking a direction to CBI to place before court or jurisdictional magistrate the status report of investigation carried out by the agency into alleged disproportionate assets of Samajwadi Party chief Mulayam Singh Yadav&his son Akhilesh Yadav pic.twitter.com/cP7A5ndmi8
— ANI (@ANI) March 25, 2019
शीर्ष अदालत ने एक मार्च 2007 को अपने फैसले में सीबीआई को ‘‘आरोपों की जांच करने’’ तथा यह पता लगाने का निर्देश दिया था कि सपा नेताओं की आय से अधिक संपत्ति से संबंधित याचिका ‘‘सही है या नहीं।’’ अदालत ने 2012 में मुलायम और उनके बेटों की इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज कर दिया था और सीबीआई को इस मामले की जांच के क्रम में आगे बढ़ने का निर्देश दिया था। हालांकि, अदालत ने डिंपल का अनुरोध स्वीकार करते हुए सीबीआई को उनका नाम जांच से हटाने का निर्देश दिया था और कहा था कि वह किसी सार्वजनिक पद पर काबिज नहीं थीं। अदालत ने एक मार्च 2007 के अपने आदेश में संशोधन किया था और सीबीआई से सरकार के सामने नहीं बल्कि अदालत के सामने स्थिति रिपोर्ट पेश करने को कहा था। चतुर्वेदी ने अपनी नई याचिका में कहा कि शिकायत दर्ज होने/ अदालत के निर्देश और इस संबंध में एक नियमित मामला दर्ज होने में अनिर्णय के बीच लंबा अंतराल रहा और 11 साल से इस मामले में किसी कार्रवाई के बिना असामान्य लंबा वक्त गुजर चुका है।
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नियमित मामला दर्ज करने के लिए यह विषय अब भी सीबीआई के सामने लंबित है। याचिका में कहा गया कि अब तक मुलायम-अखिलेश के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई और इससे न केवल पूरे मामले को अपूरणीय क्षति पहुंची बल्कि यह हमारी जांच एजेंसियों की विश्वसनीयता एवं ईमानदारी पर गंभीर सवाल उठे। इसमें कहा गया कि सीबीआई कानून के अनुसार नियमित मामला दर्ज करने तथा क्षेत्राधिकार वाले मजिस्ट्रेट को प्राथमिकी की रिपोर्ट देने के लिए बाध्य है। सीबीआई की पिछली स्थिति रिपोर्ट के संदर्भ में, नई याचिका में कहा गया कि इससे संकेत मिलते हैं कि न केवल मुलायम, अखिलेश और प्रतीक ने बल्कि डिंपल ने भी आय से अधिक संपत्ति अर्जित की। इसमें कहा गया कि आयकर रिटर्न और यादव परिवार के विश्वसनीय दस्तावेजों के आधार पर आय से अधिक संपत्ति करीब 2.63 करोड़ रुपये आंकी गई है।
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