Loksabha में बहु-राज्य सहकारी सोसाइटी संशोधन विधेयक पेश, विपक्ष की स्थायी समिति को भेजने की मांग

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विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच सरकार ने बुधवार को लोकसभा में ‘बहु-राज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022’ पेश किया जिसका मकसद सहकारी क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाना और इसकी चुनाव प्रक्रिया में सुधार करना है। लोकसभा में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा ने उक्त विधेयक पेश किया।

विपक्षी सदस्यों के विरोध के बीच सरकार ने बुधवार को लोकसभा में ‘बहु-राज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022’ पेश किया जिसका मकसद सहकारी क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाना और इसकी चुनाव प्रक्रिया में सुधार करना है। लोकसभा में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा ने उक्त विधेयक पेश किया। कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक सहित ज्यादातर विपक्षी दलों के सदस्यों ने विधेयक को पेश करने का विरोध किया तथा इसे स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की।

विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि यह विधेयक संविधान के संघीय सिद्धांत के खिलाफ है और राज्यों के अधिकारों को अपने हाथ में लेने का केंद्र का प्रयास है। विपक्षी सदस्यों की आपत्तियों को खारिज करते हुए सहकारिता राज्य मंत्री बी एल वर्मा ने कहा कि यह विधेयक सदन की विधायी क्षमता के दायरे में है और किसी भी तरह से राज्यों के अधिकारों पर हमला नहीं करता है। उन्होंने कहा कि राज्यों के अधिकार पर कोई हमला नहीं हुआ है तथा राज्य सोसाइटी को बहु-राज्य सोसाइटी में शामिल करने का प्रावधान से पहले है।

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उनका यह भी कहना था कि यह विधेयक उन बहु-राज्य समितियों के लिए है जिनके काम एक से अधिक राज्यों में हैं। इससे पहले लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने विधेयक पेश किये जाने का विरोध करते हुए कहा, ‘‘सहकारी सोसाइटी राज्य से जुड़ा विषय है...ऐसा स्पष्ट संकेत है कि केंद्र सरकार राज्यों के अधिकार क्षेत्र में दखल देने का प्रयास कर रही है। केंद्र सरकार सहकारी संघवाद की बात करती है तो ऐसे में उसे इस विधेयक को तैयार करने से पहले राज्यों और संबंधित पक्षों से बात करनी चाहिए थे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इस विधेयक के साथ सहकारी संस्थाओं से जुड़ी पूरी शक्ति केंद्र के पास आ सकती हैं।

इस विधेयक को पड़ताल के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए।’’ वहीं, रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (आरएसपी) के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि ऐसा कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है कि राज्य में गठित सहकारी संस्था को बहुराज्यीय सहकारी सोसाइटी के साथ शामिल किया जा सके। उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक संविधान के संघीय सिद्धांत के खिलाफ है। प्रेमचंद्रन ने कहा कि केंद्र सरकार राज्यों के सहकारी संस्थाओं के अधिकार क्षेत्र में हस्तक्षेप करने तथा राज्यों के अधिकारों को अपने हाथ में लेने का प्रयास कर रही है।

दूसरी ओर, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह विधेयक इस सदन की विधायी परिधि से बाहर का है। उन्होंने कहा, ‘‘इस विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए क्योंकि यह विधेयक संघीय भावना का हनन करता है।’’ विधेयक पेश करने का विरोध करते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने कहा कि यह विधेयक अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक है तथा संघीय ढांचे के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि इसे स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए। द्रमुक के टी आर बालू ने कहा कि विधेयक को अध्ययन के लिए स्थायी समिति के पास भेजा जाए।

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के एएम आरिफ ने भी विधेयक का विरोध किया। विपक्षी सदस्यों की विधेयक को स्थायी समिति के पास भेजने की मांग पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह इस संदर्भ में सबसे चर्चा करेंगे। विपक्षी नेताओं के विरोध के बीच सदन में ‘बहु-राज्य सहकारी सोसाइटी (संशोधन) विधेयक, 2022’ पेश किया गया। ज्ञात हो कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत 12 अक्टूबर को बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दी थी।

इस पहल का मकसद क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाना और चुनाव प्रक्रिया में सुधार करना है। वर्तमान समय में देश भर में 1,500 से अधिक बहु-राज्य सहकारी समितियां हैं। ये समितियां स्वयं-सहायता और पारस्परिक सहायता के सिद्धांतों के आधार पर अपने सदस्यों की आर्थिक और सामाजिक बेहतरी को बढ़ावा देती हैं। विधेयक में 97वें संविधान संशोधन के प्रावधानों को शामिल किया जाएगा। यह संशोधन संचालन व्यवस्था और चुनावी प्रक्रिया में सुधार, निगरानी तंत्र को मजबूत करने तथा पारदर्शिता एवं जवाबदेही बढ़ाने के लिये लाया गया है।

विधेयक में बहु-राज्य सहकारी समितियों के कामकाज को अधिक लोकतांत्रिक, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिये सहकारी चुनाव प्राधिकरण, सहकारी सूचना अधिकारी और सहकारी लोकपाल की स्थापना का प्रावधान शामिल है। चुनाव प्राधिकरण यह सुनिश्चित करेगा कि चुनाव निष्पक्ष, स्वतंत्र और समय पर हों। इससे शिकायतों और गड़बड़ी के मामलों को कम करने में मदद मिलेगी। इसमें अधिक चुनावी अनुशासन लाने को लेकर नियमों को तोड़ने और गड़बड़ी करने वालों को तीन साल के लिये प्रतिबंधित करने का प्रावधान है।

वहीं, लोकपाल सदस्यों की शिकायतों के समाधान का मंच उपलब्ध कराएगा। जबकि सहकारी सूचना अधिकारी सदस्यों को सही समय पर सूचना तक पहुंच प्रदान करके पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे। कारोबार सुगमता के लिये संशोधन विधेयक में पंजीकरण की अवधि को कम करने का प्रस्ताव है। इसमें आवेदकों को गलतियों के सुधार के लिये दो महीने का अतिरिक्त समय देने का प्रावधान है। इसमें इलेक्ट्रॉनिक तरीके से दस्तावेज जमा करने और उसे प्राप्त करने का भी प्रावधान है। यानी इसमें एक व्यापक डिजिटल परिवेश की व्यवस्था की गयी है।

विधेयक में बहु-राज्य सहकारी समितियों द्वारा धन जुटाने के अलावा वित्तीय अनुशासन सुनिश्चित करने का भी प्रावधान किया गया है। लेखा परीक्षा व्यवस्था से संबंधित संशोधन अधिक जवाबदेही सुनिश्चित करेगा। संशोधन विधेयक का मकसद देश में सहकारिता आंदोलन को मजबूत बनाना है। स्थापित सहकारी सिद्धांतों के अनुरूप सहकारी समितियों के कामकाज को लोकतांत्रिक बनाने और स्वायत्तता देने के मकसद से ‘बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002’ लाया गया था।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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