पटना में जन्में नड्डा को इन वजहों से मिली इतनी बड़ी जिम्मेदारी
हिमाचल के बिलासपुर के रहने वाले जेपी नड्डा का जन्म बिहार के पटना में हुआ। उनके पिता पटना यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर थे।
नरेंद्र मोदी सरकार पार्ट 2 के शपथ ग्रहण सामरोह में एक नाम ऐसा था जिस पर हर किसी निगाहें टिकी थी, वो नाम था मोदी के सिपहसालार अमित शाह का। यह कयास लगाए जा रहे थे कि शाह मंत्री पद संभालेंगे कि नहीं। लेकिन तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए अमित शाह ने मंत्री पद की शपथ भी ली और देश के गृह मंत्री भी बन गए। जिसके बाद अटकलों का बाजार देश की सबसे बड़ी पार्टी के नए अध्यक्ष को लेकर गर्म हो गया। पिछले मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रहे जगत प्रकाश नड्डा के इस बार मंत्री नहीं बनने के बाद से ही उनका नाम भाजपा के अध्यक्ष पद के लिए सबसे आगे चल रहा था। कुशल रणनीतिकार होने के साथ ही नड्डा पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह के विश्वासपात्र भी माने जाते हैं।
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कठिन से कठिन कामों को सूझबूझ और सरलता से सुलझाने में माहिर नड्डा भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष बनाए गए। पीएम मोदी और अमित शाह दोनों के साथ जेपी नड्डा के रिश्ते काफी अच्छे रहे हैं। बता दें कि नरेंद्र मोदी जब हिमाचल प्रदेश के प्रभारी थे उस वक्त जेपी नड्डा और मोदी साथ में काम किया करते थे। दिल्ली के अशोक रोड स्थित भाजपा के पुराने मुख्यालय के आउट हाउस में दोनों एक साथ रहा करते थे। भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह से भी नड्डा की करीबी काफी पुरानी है। शाह जब जनता युवा मोर्चा के कोषाध्यक्ष थे तो नड्डा भाजयुमो के अध्यक्ष थे।
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गौरतलब है कि जब लोकसभा चुनाव अपने चरम पर था और उत्तर प्रदेश में बसपा-सपा-रालोद की तिकड़ी महागठबंधन के जरिए चमत्कार के सपने संजो रही थी और सभी राजनीतिक पंडित इस चुनाव में भाजपा के यूपी में खराब प्रदर्शन करने की भविष्यवाणी करते दिख रहे थे। उस वक्त एक शख्स बूथ लेवल से लेकर प्रदेश की सियासी गलियों को भापंने व नांपने में लगे था। वो नाम था हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश के प्रभारी जेपी नड्डा। परिणाम जब सामने आए महागठबंधन का कुनबा ही बिखड़ गया और भाजपा ने सूबे की 62 सीटें अपने नाम कर ली।
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हिमायल प्रदेश के बिलासपुर के रहने वाले जेपी नड्डा का जन्म बिहार के पटना में हुआ था। उनके पिता पटना विश्वविद्यालय के कुलपति थे। जय प्रकाश आंदोलन से प्रभावित होकर छात्र राजनीति की ओर कदम बढ़ाने वाले नड्डा बाद में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के साथ जुड़ गए। साल 1977 में पटना यूनिवर्सिटी के छात्र संघ चुनाव में वह सचिव चुने गए और फिर 13 साल तक विद्यार्थी परिषद में सक्रिय रहे। साल 1993 में बिलासपुर के विधायक के रूप में पहली बार विधानसभा पहुंचने वाले नड्डा 6 बार बिलासपुर सदर से विधायक चुने गए। जेपी नड्डा 1998 से 2003 तक वह हिमाचल के स्वास्थ्य मंत्री भी रहे। साल 2012 में उन्हें राज्यसभा के लिए चुना गया और कई संसदीय कमिटियों में जगह दी गई।
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कार्यकारी अध्यक्ष बनने के बाद जेपी नड्डा के सामने कई राजनीतिक चैलेंज हैं। अपने स्वर्णीम काल में चल रही भाजपा को इससे भी आगे लेकर जाने के साथ ही उन राज्यों में भगवा झंडा लहराना जहां आरएसएस से लेकर भाजपा के प्रयोग भी उतने कारगर साबित नहीं हुए हैं। हालांकि, बंगाल में भाजपा ने अपने पैर पसार लिए हैं और ममता के अखंड राज पर अनिश्चितता के बादल मंडराने लगे हैं।
Delhi: BJP Working President JP Nadda being felicitated by party leaders at the party Headquarters. pic.twitter.com/hZzOkrdkZT
— ANI (@ANI) June 18, 2019
लेकिन दक्षिण के राज्यों में भी भाजपा की गाड़ी को दौड़ाना और केरल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना व तमिलनाडू जैसे प्रदेश को भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश बनाना जेपी नड्डा की सबसे बड़ी चुनोती होगी। बहरहाल, इसमें तो अभी वक्त है लेकिन नड्डा की अग्नि परीक्षा इसी वर्ष होने वाले तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में होंगे। जब हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड में साल के आखिर में होने वाले विस चुनाव में नड्डा की सांगठनिक कौशल की परीक्षा होगी। हालांकि नड्डा को संगठन का व्यापक अनुभव है, इसलिए उनके लिए राह ज्यादा मुश्किल नहीं होगी।
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