राष्ट्रीय अपील अदालत संबंधी याचिका संवैधानिक पीठ को
उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय से आने वाले मामलों में फैसला लेने के लिए बड़ों शहरों में क्षेत्रीय पीठों वाली राष्ट्रीय अपील अदालत के गठन की मांग संबंधी याचिका संवैधानिक पीठ को भेज दी।
उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय से आने वाले मामलों में फैसला लेने के लिए बड़ों शहरों में क्षेत्रीय पीठों वाली राष्ट्रीय अपील अदालत का गठन करने की मांग संबंधी याचिका को संवैधानिक पीठ के पास आज भेज दिया। प्रधान न्यायाधीश टीएस ठाकुर के नेतृत्व में न्यायालय की एक पीठ ने चेन्नई, मुंबई एवं कोलकाता में राष्ट्रीय अपील अदालत के गठन और इस मामले पर प्रस्ताव को नामंजूर करने वाले सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग संबंधी जनहित याचिका पर फैसला सुनाया है।
केंद्र ने विभिन्न आधारों पर इस याचिका का विरोध किया था। उसने यह भी आधार दिया था कि वादियों को उच्चतम न्यायालय तक पहुंचने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। केंद्र ने यह भी कहा था कि यह ‘‘न तो संभव है और न ही वांछनीय है’’ और यदि इसका गठन किया जाता है तो ‘‘स्वयं हारने वाली क्रिया होगी क्योंकि 10 वर्षों बाद और अधिक मामले प्रणाली पर दबाव बनाएंगे और कार्य सूची फिर से भर जाएगी।’’ याचिकाकर्ता वी वसंतकुमार फरवरी 2014 में यही याचिका लेकर उच्चतम न्यायालय के पास आए थे। उस समय न्यायालय ने केंद्र को इस सुझाव पर छह महीने में जवाब देने का निर्देश देते हुए मामला निपटा दिया था। बाद में केंद्र ने उनका सुझाव इस आधार पर नामंजूर कर दिया था कि इसके लिए संविधान के अनुच्छेद 130 में संशोधन करने की आवश्यकता होगी जिसकी ‘‘अनुमति नहीं है क्योंकि इससे उच्चतम न्यायालय का संविधान पूरी तरह बदल जाएगा।’’ वसंतकुमार ने केंद्र सरकार का यह निर्णय रद्द करने की मांग करते हुए फिर से उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
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