विश्व में नया संतुलन स्थापित हो रहा, भारत का उभार इसका ज्वलंत उदाहरण है: जयशंकर

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जयशंकर ने कहा कि इसने विदेश मंत्रालय की छवि बदल दी है। विदेश मंत्री ने सरकारी विभागों के बीच अधिक एकीकरण की भी अपील की ताकि भारतीय कंपनियां, खास तौर पर विदेशी बाजारों में जिन आर्थिक मुद्दों का सामना करती है उस पर ज्यादा ध्यान दिया जा सके।

नयी दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बृहस्पतिवार को यहां कहा कि भारत के अधिकतर लोग मानते हैं कि पिछले पांच साल में दुनियाभर में देश का कद बढ़ा है और राजग सरकार को लगातार दूसरी बार मिली जीत में इसकी भूमिका अहम रही। जयशंकर ने यहां एक संगोष्ठी में कहा, “विश्व में नया संतुलन” स्थापित हो रहा है और चीन का उभार तथा कुछ हद तक भारत का उभार भी इसका “ज्वलंत उदाहरण’’ है। जयशंकर ने कहा, “भारत में ज्यादातर लोगों ने यह स्वीकारा है कि पिछले पांच साल में दुनियाभर में भारत का कद बढ़ा है।”

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साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार ने भारत में परिवर्तन की संभावना को जीवित रखा है और संभवत: इसे मजबूत ही किया है। 2015-2018 तक विदेश सचिव के तौर पर सेवाएं दे चुके जयशंकर ने कहा कि सरकार भीतर की तुलना में बाहर से अलग दिखती है। हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से कुछ नहीं कहा। विदेश मंत्री बनने के बाद अपने पहले सार्वजनिक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि चुनाव राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रबंधन पर विश्वास मत थे और विदेश नीति इसमें एकीकृत थी। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही भारतीय अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा बाहरी अर्थव्यवस्थाओं की ओर बढ़ा है और भारतीय विदेश नीति के लिए जरूरी है कि वह विदेशी बाजारों तक भारतीय कंपनियों की बेहतर पहुंच हासिल करने में उनकी मदद करे। 

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जयशंकर ‘द ग्रोथ नेट समिट 7.0’ को संबोधित कर रहे थे जिसका आयोजन भारतीय उद्योग परिसंघ और अनंत सेंटर ने किया था। मंत्री ने कहा कि वह विदेशों में भारतीयों की मदद करने के लिए अपनी पूर्ववर्ती सुषमा स्वराज के सोशल मीडिया अभियान को जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि परेशानी में फंसे भारतीयों पर “अत्याधिक जोर’’ दिया जाएगा और अब वे सरकार के उन तक पहुंचने की उम्मीद कर सकते हैं। 

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जयशंकर ने कहा कि इसने विदेश मंत्रालय की छवि बदल दी है। विदेश मंत्री ने सरकारी विभागों के बीच अधिक एकीकरण की भी अपील की ताकि भारतीय कंपनियां, खास तौर पर विदेशी बाजारों में जिन आर्थिक मुद्दों का सामना करती है उस पर ज्यादा ध्यान दिया जा सके। भारत के अपने पड़ोसियों के साथ संबंध का विशेष उल्लेख करते हुए जयशंकर ने कहा कि प्राथमिकता दक्षेस की बजाए क्षेत्रीय समूह बिमस्टेक पर ध्यान देने की होगी। विदेश मंत्री ने कहा कि दुनिया में बहुत बड़े बदलाव हो रहे हैं और वैश्वीकरण दबाव में है, खास कर बाजार तक पहुंच और श्रम की गति के संदर्भ में। 

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दूसरी बात है राष्ट्रवाद का उभार जिसकी पुष्टि देश में चुनाव के दौरान हुई। तीसरी बात यह है कि वैश्विक पुन:संतुलन हो रहा है, खास तौर पर चीन के उभार के बाद। जयशंकर ने कहा, “हम क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं के माध्यम से क्षेत्र में नजदीकी ला सकते हैं।” मंत्री ने कहा, “अगर हम आर्थिक विकास को बढ़ावा देना चाहते हैं तो भारतीय विदेश नीति पर इसके बाहरी पहलू पर ध्यान केंद्रित करने की बड़ी जिम्मेदारी है।” जयशंकर ने कहा कि विदेश मंत्रालय पर रणनीतिक महत्व वाले कार्यक्रमों के क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने की बड़ी जिम्मेदारी है।

 

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