दिल्ली में खराब एक्यूआई से मुकाबले के लिए सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधार की जरूरत: पर्यावरणविद्

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चिंतन एनवायरमेंट रिसर्च एंड एक्शन ग्रुप संस्थापक और निदेशक भारती चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार को जीआरएपी पर भरोसा नहीं करना चाहिए और राष्ट्रीय राजधानी में सार्वजनिक परिवहन में सुधार किया जाना चाहिए। इस बीच, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) में कार्यकारी निदेशक (अनुसंधान और वकालत) अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि कदमों में कमी को दूर करने और एकीकृत सार्वजनिक परिवहन सुनिश्चित करना आवश्यक है।

सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था में सुधार, निर्माण स्थलों पर ‘स्मॉग गन’ और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी (डीपीसीसी) को एक संस्था के रूप में मजबूत करना, राष्ट्रीय राजधानी में बिगड़ती वायु गुणवत्ता से निपटने के लिए पर्यावरणविदों द्वारा सुझाए गए कुछ उपाय हैं। निगरानी एजेंसियों के अनुसार, दिल्ली की वायु गुणवत्ता शुक्रवार को लगातार पांचवें दिन खराब श्रेणी में दर्ज की गई और मौसम संबंधी प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण आने वाले दिनों में इसके और खराब होने की आशंका है। पर्यावरणविद् भावरीन कंधारी ने कहा कि दिल्ली एनसीआर में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए प्रदूषण के स्रोतों का पता लगाने और प्रणालीगत बदलावों को लागू करने के लिए लगातार प्रयासों की आवश्यकता है। निर्माण स्थलों के आसपास धूल प्रदूषण के बारे में कंधारी ने कहा कि निर्माण स्थलों पर पूरे साल स्मॉग गन एक अनिवार्य उपकरण होना चाहिए।

कंधारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘प्रदूषण स्रोतों का पता लगाने और प्रणालीगत परिवर्तनों को लागू करने के लिए लगातार प्रयासों की आवश्यकता है। स्मॉग टावर, गन और स्प्रिंकलर की जरूरत है। हमें स्मॉग गन की आवश्यकता है, लेकिन उन्हें पूरे वर्ष निर्माण स्थलों पर अनिवार्य उपकरण होना चाहिए, केवल फोटो खिंचवाने के लिए नहीं।’’ दिल्ली में शु्क्रवार को 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 261 दर्ज किया गया। इससे पहले बृहस्पतिवार कोएक्यूआई 256 , बुधवार को 243 और मंगलवार को 220 रहा था। एक्यूआई शून्य से 50 के बीच अच्छा , 51 से 100 के बीच संतोषजनक , 101 से 200 के बीच मध्यम , 201 से 300 के बीच खराब , 301 से 400 के बीच बहुत खराब और 401 से 500 के बीच गंभीर माना जाता है। दिल्ली के लिए केंद्र की वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान प्रणाली के अनुसार, राष्ट्रीय राजधानी की वायु गुणवत्ता शनिवार को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंचने की आशंका है।

इसकी मुख्य वजह हवा की धीमी गति और तापमान में गिरावट मानी जा रही है। कंधारी ने आरोप लगाया कि दिल्ली सरकार हर साल पौधे लगाने की बात तो करती है, लेकिन साथ ही पेड़ काटने की इजाजत भी देती है। उन्होंने कहा, ‘‘कार्य योजना में दस लाख पौधे लगाने का उल्लेख है, लेकिन सरकार साथ ही पेड़ों को काटने की अनुमति भी देती है। अब समय आ गया है कि हवा को साफ करने के लिए एक मजबूत, प्रभावी, किफायती सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में निवेश किया जाए। हमारा नीतियां इस दृष्टिकोण के अनुरूप होनी चाहिए।’’ पिछले हफ्ते, प्रदूषण नियंत्रण योजना ‘ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान’ (जीआरएपी) को सक्रिय रूप से लागू करने के लिए जिम्मेदार एक वैधानिक निकाय, वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने प्रदूषण के स्तर में संभावित वृद्धि के बीच एनसीआर में अधिकारियों को निजी परिवहन को हतोत्साहित करने और सीएनजी या इलेक्ट्रिक बसों और मेट्रो ट्रेन की सेवाओं को बढ़ाने के लिए पार्किंग शुल्क बढ़ाने का निर्देश दिया था।

चिंतन एनवायरमेंट रिसर्च एंड एक्शन ग्रुप संस्थापक और निदेशक भारती चतुर्वेदी ने कहा कि सरकार को जीआरएपी पर भरोसा नहीं करना चाहिए और राष्ट्रीय राजधानी में सार्वजनिक परिवहन में सुधार किया जाना चाहिए। इस बीच, सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) में कार्यकारी निदेशक (अनुसंधान और वकालत) अनुमिता रॉयचौधरी ने कहा कि कदमों में कमी को दूर करने और एकीकृत सार्वजनिक परिवहन सुनिश्चित करना आवश्यक है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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