NGT ने मंदिर निर्माण में ISKCON द्वारा शर्तों के पालन की निगरानी के लिए समिति बनायी

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[email protected] । May 21 2019 6:13PM

हरित पैनल ने यह आदेश तब जारी किया जब सीपीसीबी ने उससे कहा कि बायोडायवर्सिटी पार्क की दशा की निगरानी पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा हो और भूजल मुद्दे की निगरानी सीजीडब्ल्यूए करे।

नयी दिल्ली, राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने मथुरा में 70 मंजिले मंदिर का निर्माण करा रहे इस्कॉन पर लगायी गयी शर्तों के अनुपालन की निगरानी के लिए एक समिति बनायी है। एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने जिम्मेदारियां टालने से बचने के लिए पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और केंद्रीय भूजल प्राधिकरण प्रदूषण (सीजीडब्ल्यूए) के प्रतिनिधियों की एक संयुक्त समिति बनायी।

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पीठ ने कहा, ‘‘सीपीसीबी अनुपालन और संयुक्त समिति के समन्वयन के लिए नोडल एजेंसी होगा ताकि इस मामले में जरूरी सभी पहलुओं पर गौर हो सके। इस आदेश की प्रति ईमेल से पर्यावरण एवं वन मंत्रालय, सीपीसीपी और सीजीडब्ल्यूए को भेजी जाए। सीपीसीबी एक महीने में आगे की रिपोर्ट ईमेल से जमा करे।’’ हरित पैनल ने यह आदेश तब जारी किया जब सीपीसीबी ने उससे कहा कि बायोडायवर्सिटी पार्क की दशा की निगरानी पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा हो और भूजल मुद्दे की निगरानी सीजीडब्ल्यूए करे। एनजीटी ने कहा कि न तो सीजीडब्ल्यू और न ही पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने कार्रवाई की।

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एनजीटी ने सीपीसीबी को मथुरा में इस्कॉन द्वारा बायोडायवर्सिटी पार्क की स्थापना पर एक रिपोर्ट देने को कहा था। उसने सीपीसीबी से इस बात पर रिपोर्ट देने को कहा था कि क्या पर्यावरण एव वन अनापत्ति के लिए लगायी गयी शर्तों का ट्रस्ट द्वारा पालन किया जा रहा है या नहीं जिसे उसने यह पार्क बनाने का निर्देश दिया है। अधिकरण ने ट्रस्ट को 70 मंजिले मंदिर के निर्माण की हरी झंडी दी तो थी लेकिन उसे सामाजिक जिम्मेदारी के तौर पर यह पार्क बनाने का आदेश दिया था। अधिकरण मथुरा स्थानीय निवासी मणिकेश चतुर्वेदीकी याचिका पर सुनवाई कर रहा है जिन्होंने कहा है कि यमुना के समीप इस मंदिर के निर्माण से पर्यावरण को नुकसान पहुंचेगा।

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