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किसान-सरकार के बीच नौवें दौर की वार्ता रही बेनतीजा, 19 जनवरी को फिर होगी बैठक
- अनुराग गुप्ता
- जनवरी 15, 2021 14:27
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रिपोर्ट्स के मुताबिक भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लिखित गारंटी देनी होगी।
नयी दिल्ली। केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन 51 दिनों से जारी है। 40 किसान संगठनों की मांग है कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को वापस लें और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) कानून बनाया जाए। इन्हीं तमाम मुद्दों को लेकर सरकार और किसानों के बीच नौवें दौर की वार्ता विज्ञान भवन में हुई। हालांकि, यह वार्ता बेनतीजा रही। अब अगले दौर की वार्ता 19 जनवरी को होगी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरकार-किसान वार्ता में सरकार का पक्ष रख रहे कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान कह रहे हैं कि सरकार जिद्दी है लेकिन हमने तो किसानों की बातें मान ली हैं मगर किसान एक कदम भी आगे बढ़ने के लिए राजी नहीं हैं। वहीं, किसान संगठनों ने सरकार के प्रस्ताव को नकार दिया और अपनी मांगों के लेकर अड़े रहे।
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तीनो कानूनों को वापस ले सरकार
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लिखित गारंटी देनी होगी।
Delhi: Farmer leaders reach Vigyan Bhawan to hold ninth rounds of talks with the Central government over the new farm laws.
— ANI (@ANI) January 15, 2021
"Govt needs to devise a plan to scrap the three laws and give legal guarantee for MSP," says BKU Spokesperson Rakesh Tikait. pic.twitter.com/U5vBFzf1yB
बंगाल में ममता की वापसी तो तमिलनाडु में कांग्रेस गठबंधन की बल्ले-बल्ले, जानें 5 राज्यों के ताजा सर्वे का अनुमान
- अंकित सिंह
- मार्च 9, 2021 10:03
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पिछले दिनों हमने आपको बताया था कि एबीपी सीएनएक्स के ओपिनियन पोल में कैसे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी भाजपा पर भारी पड़ रही हैं। इन सबके बीच अब एक और नया ओपिनियन पोल आया है। यह ओपिनियन पोल टाइम्स नाउ-c-voter का है।
4 राज्य और 1 केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने है। चुनाव आयोग की ओर से इन राज्यों में चुनावी तारीखों का ऐलान कर दिया गया है। साथ ही साथ सबसे बड़ा सवाल यही है कि इन राज्यों में कौन सी पार्टी सरकार बनाने में कामयाब होगी और किसे विपक्ष में बैठना पड़ेगा? हालांकि इस सवाल का जवाब तो चुनावी नतीजों के बाद ही मिल पाएगा लेकिन जो ओपिनियन पोल आ रहे हैं उससे अनुमान जरूर मिल रहा है। पिछले दिनों हमने आपको बताया था कि एबीपी सीएनएक्स के ओपिनियन पोल में कैसे पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी भाजपा पर भारी पड़ रही हैं। इन सबके बीच अब एक और नया ओपिनियन पोल आया है। यह ओपिनियन पोल टाइम्स नाउ-c-voter का है।
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टाइम्स नाउ-c-voter के अनुमान के मुताबिक पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को 154 सीटें मिल सकती हैं जबकि भाजपा 107 पर पहुंच सकती है। टीएमसी को पिछले चुनाव के मुकाबले बड़ा नुकसान होता दिखाई दे रहा है। वही सीटों की बात करें तो भाजपा को बड़ा फायदा दिख रहा है। हालांकि भगवा पार्टी सरकार बनाने से दूर नजर आ रही है। पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा नुकसान लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन को हो रहा है। इस गठबंधन को 50 से ज्यादा सीटों के नुकसान का अनुमान जताया जा रहा है।
केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट एक बार फिर से सत्ता में वापसी कर रहा है। पी विजयन के नेतृत्व में केरल में एलडीएफ सब पर भारी है। एलडीएफ को 140 में से 82 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ को 56 सीटें ही मिल रही है। पी विजयन मुख्यमंत्री के रूप में सबसे बड़ी पसंद है। केरल में भाजपा के लिए अभी कुछ अच्छा होता दिखाई नहीं दे रहा। पार्टी को सिर्फ एक सीट पर ही संतोष करना पड़ सकता है।
तमिलनाडु में एआईएडीएमके के नेतृत्व वाली गठबंधन को सत्ता से हाथ धोना पड़ सकता है। 234 सीटों वाली तमिलनाडु विधानसभा में डीएमके-कांग्रेस गठबंधन को 158 से ज्यादा सीटें मिल सकती है। एआईएडीएमके-भाजपा गठबंधन के खाते में सिर्फ 65 सीटें ही जाती हुई दिखाई दे रही है।
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बात असम की करें तो यहां एक बार फिर से एनडीए की शानदार वापसी होती दिख रही है। एनडीए गठबंधन को 126 में से 67 सीटें ही मिलने का अनुमान जताया जा रहा है। कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए का प्रदर्शन पिछले चुनाव से बढ़िया हो रहा है। हालांकि सत्ता से अभी भी दूर रह सकती है। यूपीए को यहां 57 सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है। बात पुडुचेरी की करें तो यहां एनडीए की सरकार बनती दिखाई दे रही है। 30 विधानसभा सीटों में से 16 से 20 सीटें एनडीए के खाते में जा रही है। वहीं यूपीए के खाते में 13 सीटें जा सकती है।
15 मार्च तक हो सकता है RLSP का JDU में विलय ! बागियों ने बढ़ाई कुशवाहा की मुश्किलें
- अंकित सिंह
- मार्च 9, 2021 09:31
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रालोसपा का एक धड़ा जहां जदयू के साथ विलायक पर तैयार है, वही पार्टी के महासचिव विनय कुशवाहा अपने 40 समर्थकों के साथ रालोसपा से त्यागपत्र दे दिया है। बावजूद इसके रालोसपा का एक बड़ा तबका जदयू के साथ विलय को तैयार है। बागियों ने दावा किया कि नीतीश कुमार के साथ उपेंद्र कुशवाहा गलबहिया कर रहे हैं।
राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड के विलय की चर्चा से बिहार की सियासत गरमाई हुई है। बड़ी खबर अब यह आ रही है कि 15 मार्च के आसपास रालोसपा का जदयू में विलय हो जाएगा। हाल ही में जदयू के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह और रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के मुलाकात आईजीआईएमएस में हुई थी। दोनों ही भले ही वहां वैक्सीन लगवाने पहुंचे थे लेकिन इसके सियासी मायने निकाले जा रहे है। दो-तीन दिनों के भीतर रालोसपा की बैठक होनी है जिसमें यह तय होगा कि जदयू के साथ विलय करना है या नहीं करना है। रालोसपा का एक धड़ा जहां जदयू के साथ विलायक पर तैयार है, वही पार्टी के महासचिव विनय कुशवाहा अपने 40 समर्थकों के साथ रालोसपा से त्यागपत्र दे दिया है। बावजूद इसके रालोसपा का एक बड़ा तबका जदयू के साथ विलय को तैयार है। बागियों ने दावा किया कि नीतीश कुमार के साथ उपेंद्र कुशवाहा गलबहिया कर रहे हैं।
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इन सबके बीच माना जा रहा है कि इसको लेकर उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है। इतना ही नही, उपेंद्र कुशवाहा और वशिष्ठ नारायण सिंह के बीच भी लगातार बैठक हो रही है। उपेंद्र कुशवाहा को जदयू में लाने का काम सबसे ज्यादा सक्रिय होकर वशिष्ठ नारायण सिंह ही कर रहे हैं। दोनों दलों की ओर से यह कहा जा रहा है कि अगर कोई फैसला होता है उसका निर्णय या तो नीतीश कुमार करेंगे या फिर उपेंद्र कुशवाहा करेंगे। जदयू में रालोसपा के विलय होने के बाद माना जा रहा है कि उपेंद्र कुशवाहा को बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। बिहार मंत्रिमंडल विस्तार से पहले भी उपेंद्र कुशवाहा के सरकार में शामिल होने की चर्चा थी लेकिन जदयू ने उनके सामने यह शर्त रखी थी कि रालोसपा का विलय वह पार्टी में कर ले। उस समय उपेंद्र कुशवाहा इसके लिए तैयार नहीं हुए थे।
रालोसपा में भी इस बात को लेकर खींचतान जारी थी। उस समय भी यह कहा जा रहा था कि उपेंद्र कुशवाहा सही समय का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि यह बात स्पष्ट होने लगी थी कि उपेंद्र कुशवाहा और उनकी पार्टी का बड़ा तबका जदयू में विलय को तैयार है। उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार की जोड़ी बिहार में लव-कुश की जोड़ी के नाम से मशहूर है। एक कुर्मी समुदाय से आते हैं तो दूसरे कुशवाहा समुदाय से। इस ओबीसी वोट बैंक को साधने के लिए नीतीश उपेंद्र कुशवाहा के साथ नया समीकरण बना रहे हैं। हालांकि ये दोनों नेता कभी साथ रहे हैं तो कभी बिछड़े हैं। कभी दोनों में दोस्ती रही है तो कभी टकराव भी देखने को मिली है। पूर्व केंद्रीय मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने राजग में अपनी वापसी की अटकलों के बारे में कुछ भी स्पष्ट करने से इंकार करते हुए बुधवार को कहा कि अगले सप्ताह पार्टी की बैठक में भविष्य की रणनीति की घोषणा की जाएगी।
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रालोसपा प्रमुख ने हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ उनकी बैठकों पर पूछे गए सवालों को टाल दिया। उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि आप मुझे रोक (मुख्यमंत्री से मिलने से) नहीं सकते हैं। गौरतलब है कि कुशवाह करीब एक दशक पहले कुमार की पार्टी जदयू से अलग हो गए थे। कुशवाहा के जदयू में वापसी के बारे में नीतीश ने कहा कि देखिए, समय का इंतजार कीजिए। पार्टी का नौवां स्थापना दिवस मनाने के बाद पत्रकारों से कुशवाहा ने कहा पार्टी की अगली बैठक में भविष्य की रूप रेखा तैयार की जाएगी। रालोसपा के जदयू में विलय के बारे में उन्होंने पत्रकारों से कहा कि खबर लिखने और दिखाने वाले आप ही हैं। ऐसे में इस बात पर क्या जवाब दूं। राजग में वापसी को लेकर जदयू के वरिष्ठ नेता वशिष्ठ नारायण सिंह के के बयान में रालोसपा प्रमुख ने कहा कि वह वरिष्ठ नेता हैं। मैं उनपर टिप्पणी नहीं कर सकता। मैं केवल वही कह सकता हूं जो मैंने अतीत में खुद कहा है।
विजयन ने भाजपा पर किया पलटवार, अमित शाह को बताया सांप्रदायिकता का मूर्त रूप
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- मार्च 9, 2021 09:01
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विजयन ने 2002 के गुजरात दंगों को ‘नरसंहार’ बताया और शाह के बेटे एवं बीसीसीआई सचिव जय शाह पर भी निशाना साधा। मुख्यमंत्री ने यह भी पूछा कि भाजपा के केंद्र की सत्ता में आने के बाद तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे से सोने की तस्करी की घटनाओं में कैसे बढ़ोतरी हो रही है? जबकि यह हवाई अड्डा केंद्र सरकार के तहत आता है।
धर्मादम (केरल)। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने सोमवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर पलटवार करते हुए उन्हें ‘सांप्रदायिकता का मूर्त रूप’ बताया। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा नेता कथित ‘अपहरण और फर्जी मुठभेड़’ के अपराध में जेल गए थे। विजयन ने सोहराबुद्दीन शेख मामले का संदर्भ देते हुए यह कहा। गौरतलब है कि एक दिन पहले शाह ने एक रैली में सोना और डॉलर तस्करी के मामले में विजयन से कुछ सवाल किये थे। इस पर वाम दल के नेता ने केंद्रीय मंत्री पर पलटवार करते हुए उनसे सवाल किया, “फर्जी मुठभेड़ और अपहरण” के मामले के आरोप पत्र में किसका नाम था ?’’ विजयन ने आरोप लगाया, “ अमित शाह सांप्रदायिकता के मूर्त रूप हैं। वह सांप्रदायिकता को बढ़ाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। भले ही वह मंत्री बन गए हों, लेकिन उनमें बहुत बदलाव नहीं आया है। सांप्रदायिकता का प्रचार करने वाले आरएसएस के नेता यहां हमें धर्मनिरपेक्षता का पाठ पढ़ाने आए हैं।”
केरल के मुख्यमंत्री ने सोमवार को कहा, ‘‘उन्होंने (शाह ने) कल मुझसे कुछ सवाल किये थे। मैं उन्हें याद दिलाना चाहुंगा कि मैं वह व्यक्ति नहीं हूं, जो अपहरण के लिए जेल गया था। क्या अमित शाह को याद है कि फर्जी मुठभेड़ मामले के आरोपपत्र में किसका नाम था, जो गिरफ्तार हुआ था और जेल गया था?’’ सोहराबुद्दीन शेख, उनकी पत्नी कौसर बी और तुलसी राम प्रजापति की मौत का हवाला देते हुए विजयन ने आरोप लगाया, “ये सभी फर्जी मुठभेड़ के मामले थे। इन अपराधों के लिए किस पर आरोप लगा था? उसका नाम है अमित शाह।” उन्होंने दावा किया कि इन मामलों की सुनवाई कर रही सीबीआई अदालत के न्यायाधीश बी एच लोया की रहस्मय परिस्थितियों में मौत हुई थी। विजयन ने कन्नूर जिले के धर्मादम में एक चुनावी रैली में कहा, “पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कथित रूप से छेड़छाड़ की गई। न्यायाधीश का परिवार अब भी इंसाफ के इंतजार में हैं। क्या भाजपा का कोई नेता इस बारे में बात करेगा? हम सब 2013 के जासूसी मामले के बारे में जानते हैं। बाद में शिकायतकर्ता महिला ने अपना मामला वापस ले लिया था।”How did TRV - under full control of Union Govt. - become a hub of gold smuggling since BJP came to power? Haven't those caught for gold smuggling been deputed & sangh parivar folks been appointed there? Isn't an MoS playing a lead role in controlling it? @AmitShah should respond.
— Pinarayi Vijayan (@vijayanpinarayi) March 8, 2021
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मुख्यमंत्री ने कहा, “ इन मामलों में कौन जेल गया था? जिस पद पर आप बैठे हैं, उसके मुताबिक काम नहीं करेंगे, तो हम आपके कथित गलत काम को सामने लाने को मजबूर हो जाएंगे।” उन्होंने कहा, “ वह व्यक्ति हत्या, अपहरण, वसूली और गैरकानूनी निगरानी कराने का आरोपी था। और एक रहस्यम मौत पर क्या वह अपने अनुभव से बोल रहे हैं?” वह सोहराबुद्दीन शेख ‘फर्जी मुठभेड़’ मामले का हवाला दे रहे थे, जिसमें शाह को जुलाई 2010 में गिरफ्तार किया गया था। शाह ने गुजरात के गृह मंत्री के तौर पर इस्तीफा दे दिया था, हालांकि दिसंबर 2014 में सीबीआई की एक अदालत ने उन्हें मामले में आरोप मुक्त कर दिया था। विजयन ने 2002 के गुजरात दंगों को ‘नरसंहार’ बताया और शाह के बेटे एवं बीसीसीआई सचिव जय शाह पर भी निशाना साधा। मुख्यमंत्री ने यह भी पूछा कि भाजपा के केंद्र की सत्ता में आने के बाद तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे से सोने की तस्करी की घटनाओं में कैसे बढ़ोतरी हो रही है? जबकि यह हवाई अड्डा केंद्र सरकार के तहत आता है।

