महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा से पारित कराने की नीतीश ने अपील

Nitish appeals against passage of Women''s Reservation Bill Lok Sabha
[email protected] । Feb 17 2018 7:57PM

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संसद और विधानमंडल में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण के लाभ के लिए महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा से भी पारित कराने की लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से आज अपील की।

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संसद और विधानमंडल में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण के लाभ के लिए महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा से भी पारित कराने की लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन से आज अपील की। नीतीश ने छठे भारत प्रक्षेत्र राष्ट्रमंडल संसदीय संघ सम्मेलन (सीपीए) के शुभारंभ के बाद इसके प्रारंभिक सत्र को संबोधित करते हुए मंच पर मौजूद लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा से अपील करते हुए कहा, ‘‘महिला आरक्षण विधेयक जो राज्यसभा से पारित हो गया है, उसे अब लोकसभा से भी पारित किये जाने की आवश्यकता है ताकि संसद और विधानमंडल में महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण का लाभ मिल सके।’’

उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता की बात हो रही है, ऐसे में महिला आरक्षण विधेयक लोकसभा से भी अतिशीघ्र पारित होना चाहिए। इससे महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अंतरिक्ष सहित हर जगह महिलाओं की मौजूदगी है, ऐसे में महिलाओं की जो क्षमता और मेधा है, उसका इस्तेमाल होना चाहिए। हमने इस दिशा में काफी पहल की है।

उन्होंने कहा कि 72वें और 73वें संविधान संशोधन के जरिये महिलाओं को एक तिहाई आरक्षण दिया गया लेकिन हमने देखा कि महिलाओं की आधी आबादी है। यह देखते हुए पंचायती राज और नगर निकाय चुनाव में महिलाओं को 50 प्रतिशत का आरक्षण दिया। उसके बाद अब तक तीन बार चुनाव हुए जिसमें आधे से अधिक महिलायें चुनाव जीतकर आयीं।

नीतीश ने कहा कि लड़कियों को शिक्षा से जोड़ने के लिए पोशाक योजना और हाई स्कूल के बाद साइकिल योजना की भी हमने शुरूआत की। महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह बनाया और केंद्र सरकार ने उसी मॉडल को स्वीकार कर आजीविका कार्यक्रम चलाया। मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार में अब तक आठ लाख स्वयं सहायता समूह बन चुके हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि अगले एक साल में इनकी संख्या 10 लाख हो जायेगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार पुलिस में कांस्टेबल और उप निरीक्षक के पद पर बहाली में 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया। इसके साथ ही बिहार के सभी थानों में चार से पांच महीने के अंदर महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से शौचालय का इंतजाम भी किया गया। इसका नतीजा है कि इतनी बड़ी संख्या में महिलायें पुलिस महकमे में देखने को मिल रही हैं। उसके बाद राज्य सरकार की सभी सेवाओं में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान लागू किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि महिलाओं के एक सम्मेलन में शराबबंदी की मांग की गयी, जिसके बाद हमने अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू करने का फैसला लिया। उन्होंने कहा कि बाल विवाह और दहेज प्रथा के खिलाफ इसी वर्ष 21 जनवरी को पूरे बिहार में शराबबंदी की तरह ही मानव श्रृंखला बनाई गयी, जिसमें 14 हजार किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला में लोगों ने खड़े होकर सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ अपनी भावना प्रकट की। समारोह को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, सीपीए कार्यकारिणी समिति की सभापति एमिलिया मोंजोवा लिफाका, बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, बिहार विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी और बिहार विधान परिषद के कार्यकारी सभापति हारून रशीद ने भी संबोधित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के पेसिफिक प्रक्षेत्र के प्रतिनिधि, टोंगा संसद के लार्ड फाकाफानुआ एवं सचिव ग्लोरिया गुटेनबिल, सीपीए के महासचिव अकबर खान, विभिन्न प्रांतीय विधायी निकायों के अध्यक्ष एवं सभापति, लोकसभा एवं राज्यसभा के महासचिव के साथ उनके अन्य पदाधिकारी, विभिन्न विधायी निकायों के सचिव, बिहार मंत्रिपरिषद के सदस्य, राष्ट्रमंडल संसदीय संघ-बिहार शाखा के सदस्य, विधायक एवं पूर्व विधायक, वरीय अधिकारी एवं गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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